विकास संवाद
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विकास संवाद द्वारा मीडिया फेलोशिप- 2018 हेतु आवेदन आमंत्रित
Posted on 03 Mar, 2018 06:39 PMआवेदन पत्र प्राप्त होने की अंतिम तिथि- 23 मार्च, 2018 है।
जैसा कि आपको विदित ही है कि विकास संवाद मीडिया एडवोकेसी के लिये काम करने वाली संस्था है तथा पिछले 13 वर्षों से प्रतिवर्ष हमारे द्वारा पत्रकार साथियों को कुछ चुने हुए विषयों पर फेलोशिप प्रदान की जाती रही है।
विकास संवाद द्वारा इस वर्ष भी वंचित समूह और बाल अधिकारों के लिये चौदहवीं मीडिया लेखन और शोध फेलोशिप की घोषणा कर दी गई है। इस फेलोशिप का मकसद मुद्दों के प्रति समझ बढ़ाना,जमीनी स्थितियों को सीधे देखना, शोध आधारित नजरिया व्यापक करना और मुख्यधारा के मीडिया में सामाजिक मुद्दों के दायरे को विस्तार देना है। यह फेलोशिप फील्ड रिपोर्टिंग को बढ़ावा देने और पत्रकारीय दृष्टिकोण के साथ सम्बन्धित विषय पर शोध कार्य के लिये मदद करती है।
आमंत्रण - ग्यारहवाँ राष्ट्रीय मीडिया संवाद
Posted on 15 Jul, 2017 11:05 AMविषय - मीडिया, बच्चे और असहिष्णुता
दिनांक - 18-19-20 अगस्त, 2017
स्थान - ओरछा, मध्य प्रदेश
मीडिया के साथियों के साथ बैठकर कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर नया जानने, आपसी समझ बनाने, एक-दूसरे के विचारों को समझने, अपने रोजाना के काम-काज से हटकर मैदानी इलाकों के आम लोगों की जिन्दगी में झाँकने और विकास के तमाम आयामों पर एक बेहतर संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से पिछले दस सालों से यह कोशिश जारी है। हर बार समाज को मथने वाला कोई विषय होता है, जिस पर हम गहराई से संवाद करने का प्रयास करते हैं।आपको विकास संवाद राष्ट्रीय मीडिया संवाद के ग्यारहवें साल का आमंत्रण सौंपते हुए बेहद खुशी हो रही है। आपके संग-साथ से ही यह सफर निरन्तर जारी है और हम सब मिलकर इसे और बेहतर बनाकर इसकी सार्थकता को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।
मीडिया के साथियों के साथ बैठकर कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर नया जानने, आपसी समझ बनाने, एक-दूसरे के विचारों को समझने, अपने रोजाना के काम-काज से हटकर मैदानी इलाकों के आम लोगों की जिन्दगी में झाँकने और विकास के तमाम आयामों पर एक बेहतर संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से पिछले दस सालों से यह कोशिश जारी है। हर बार समाज को मथने वाला कोई विषय होता है, जिस पर हम गहराई से संवाद करने का प्रयास करते हैं।
विकास का नाकाम मॉडल
Posted on 19 Jul, 2016 01:51 PMदसवाँ राष्ट्रीय मीडिया विमर्श
स्थान : कान्हा, मध्य प्रदेश
तारीख : 13-14-15 अगस्त, 2016
“लोगों के बीच जाइए। उनके साथ रहिए। उनसे सीखिए। उन्हें स्नेह दीजिए।
शुरू करें वहाँ से जो वे जानते हैं। निर्माण उन चीजों से करें जो उनके पास है।
लेकिन नेतृत्व ऐसा हो कि जब काम पूरा हो तो लोग कहें, ‘ये हमने बनाया है।”
हमारे बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो हमें सही रास्ता दिखा रहे हैं। जैसे जैसलमेर के रामगढ़ को पानीदार बनाने का समाज केन्द्रित मॉडल। वहाँ इस सूखे और 51 डिग्री तापमान में भी उनके गाँव में पशु-पक्षियों के लिये भी पानी है। इसी तरह उत्तराखण्ड में हुई पहल ने दिखा दिया है कि अगर जंगलों को सहेजने का जिम्मा स्थानीय समाज ले ले तो न जंगलों में आग लगेगी और न कहीं पानी की कमी होगी। ये लोग असल में विकास के नाम पर चल रही उस भेड़चाल को चुनौती दे रहे हैं, जिसमें एक छायादार, घना पेड़, बहती नदी और लहलहाते खेत का कोई मोल नहीं, क्योंकि ‘बाजारवादी विकासोन्मुखी सिद्धान्त’ में इनका दोहन की विकास दर तय करता है। विकास और नियोजन को लेकर पाँचवीं और छठी शताब्दी के चीनी दार्शनिक लाओ त्सू की यह परिकल्पना 20वीं शताब्दी में भारत सहित दुनिया के किसी भी देश के विकास मॉडल में नजर नहीं आती। जिन परिणामों की प्राप्ति के लिये विकास के ये मॉडल बनाए गए, वे फिलहाल अपेक्षित परिणाम देने में नाकाम हैं। इसके दर्जनों उदाहरण हमारे सामने हैं।
एक समय अमेरिका के चार बड़े निवेश बैंकों में शुमार रहे लेहमैन ब्रदर्स के 2008 में दिवालिया होने के बाद अब बारी भारतीय स्टेट बैंक और उसके अधीनस्थ बैंकों की है, जिन पर 5 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का डूबत खाते का ऋण है। दुनिया में भारत अकेला देश नहीं, जिसका विकास मॉडल फेल हुआ है। ग्रीस का दिवालिया हो जाना और भयंकर मंदी में उलझे यूरोपीय संघ के कुछ और देशों, चीन, ब्राजील, तुर्की और मलेशिया में भी विकास के भूमण्डलीकृत मॉडल की नाकामी साफ झलकने लगी है।
दसवाँ राष्ट्रीय मीडिया विमर्श, कान्हा
Posted on 02 Jun, 2016 11:56 AMदिनांक : 13-15 अगस्त, 2016स्थान : कान्हा, मध्य प्रदेश
इस वर्ष यह सम्मेलन स्वतंत्र भारत में अपनाए गए विकास के मॉडल और बीते साठ सालों में इनके योगदान की समालोचना पर आधारित होगा। भले ही बात खेती की हो, सिंचाई की हो, पानी की हो, जंगलों की हो या फिर देश की अर्थव्यवस्था की। विकास के तमाम मानकों की मौजूदा स्थितियों को देखकर लगता है कि इन मॉडलों पर कुछ सवाल तो खड़े किये जाएँ। इनकी समीक्षा तो की जाये। और यदि जिन अवधारणाओं के आधार पर हम देश को आगे ले जा रहे हैं, वह अपनी भूमिका में कहीं असफल हो रही हैं, तो विकास के वैकल्पिक मॉडल क्या हैं? मीडिया के साथियों के साथ एक मंच के तले बैठकर कुछ मुद्दों पर नया जानने, आपसी समझ बनाने, एक-दूसरे के विचारों को जानने-समझने, अपने रोजाना काम से अलग हटकर मैदानी इलाकों में जाकर आम लोगों की जिन्दगी में झाँकने, बातचीत करने और विकास के तमाम आयामों पर एक बेहतर संवाद स्थापित करने के उद्देश्य से हमने दस साल पहले एक पहल की थी।
मप्र में पहाड़ों की रानी पचमढ़ी से होता हुआ यह सफर चित्रकूट, बांधवगढ़, महेश्वर, छतरपुर, पचमढ़ी, केसला, चंदेरी, झाबुआ होता हुआ अब फिर कान्हा आ पहुँचा है। इस बार हम मध्य प्रदेश के भौगोलिक परिदृश्य पर एक महत्त्वपूर्ण स्थान कान्हा में दसवाँ मीडिया कॉन्क्लेव आयोजित कर रहे हैं। अगस्त माह की 13 से 15 तारीख तक यह सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है।
विकास संवाद मीडिया फेलोशिप के लिये आवेदन आमंत्रित
Posted on 04 Feb, 2016 03:54 PMफेलोशिप के दौरान पत्रकार को सम्बन्धित विषय पर 10 समाचार/आलेख प्रकाशित करवाने होंगे। इनमें नीतिगत मुद्दों पर 3 विस्तृत आलेख 1500 शब्दों में होना अनिवार्य है। फेलोशिप की समाप्ति पर 10,000 शब्दों की एक शोध रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। चयनित पत्रकारों को फेलोशिप के दौरान कुल 84000 रुपए की सम्मान निधि शोध कार्य और लेखन के लिये दी जाएगी। भोपाल (सप्रेस)। विकास संवाद की ओर से जारी विज्ञप्ति में वरिष्ठ पत्रकार राकेश दीवान एवं राकेश मालवीय ने बताया है कि विकास और जनसरोकार के मुद्दों पर दी जाने वाली विकास संवाद मीडिया लेखन और शोध फेलोशिप की घोषणा कर दी गई है।
फेलोशिप के बारहवें साल में पोषण सुरक्षा पर चार फेलोशिप के साथ प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर भी एक फेलोशिप के लिये आवेदन किये जा सकते हैं। फेलोशिप के चार विषय पिछले दो साल की तरह वंचित, उपेक्षित या हाशिए पर खड़े समुदाय की पोषण सुरक्षा पर केन्द्रित होंगे।
इस साल एक और नया विषय प्राथमिक शिक्षा की गुणवत्ता पर केन्द्रित होगा। फेलोशिप के लिये मुख्य धारा या स्वतंत्र पत्रकारिता करने वाले इलेक्ट्रॉनिक, डिजिटल, समाचार एजेंसी और प्रिंट माध्यम के पत्रकार 20 फरवरी 2016 तक आवेदन कर सकते हैं।
विकास संवाद द्वारा नौवाँ नेशनल मीडिया कॉन्क्लेव
Posted on 14 Jun, 2015 12:38 PMतारीख : 17 से 19 जुलाई 2015स्थान : झाबुआ,
गरीबी की स्थितियों ने यहाँ पर पलायन को विकराल रूप में पेश किया है। पलायन ने यहाँ पर सिलिकोसिस को जानलेवा बना दिया है। बच्चे बीमार हैं, कुपोषण भयानक हैं और इसके चलते बच्चे बड़ी संख्या में हर साल मरते हैं। पीने के पानी का संकट यहाँ पर फ्लोरोसिस पैदा करता है। खेती भी अब वैसी नहीं बची, इससे इलाके की पोषण सुरक्षा लगातार घटी है और उसके चलते सबसे ज्यादा जो स्थितियाँ दिखाई देती हैं वह किसी-न-किसी तरह की बीमारी के रूप में सामने आती हैं। पिछले आठ सालों से हम हर साल राष्ट्रीय मीडिया संवाद का आयोजन कर रहे हैं। इसका मकसद है जनसरोकारों के मुद्दों पर पत्रकारों के बीच एक गहन संवाद स्थापित करना है। पचमढ़ी से शुरू होकर संवाद का यह सिलसिला बांधवगढ़, चित्रकूट, महेश्वर, छतरपुर, पचमढ़ी, सुखतवा, चन्देरी तक का सफर तय कर चुका है।
इन ऐतिहासिक जगहों पर आयोजित सम्मेलनों में हमने, पत्रकारिता, कृषि, आदिवासी आदि विषयों पर बातचीत की है। इन सम्मेलनों में कई वरिष्ठ पत्रकार साथियों ने भागीदारी की है।
शुरुआती सालों में हमने इस संवाद को किसी एक विषय से बाँधकर नहीं रखा, लेकिन आप सभी साथियों के सुझाव पर महेश्वर से हमने इस संवाद को विषय केन्द्रित रखने की शुरुआत की। इस बार हम इस संवाद को स्वास्थ्य के विषय पर बातचीत के लिये प्रस्तावित कर रहे हैं।
विकास संवाद मीडिया लेखन फैलोशिप 2015
Posted on 15 Jan, 2015 10:18 AM विकास संवाद की सोच उस दौर में उभरी, जब विकास की उपभोक्तावादी अवधारणा से प्रभावित मुख्यधारा के मीडिया में समाज के सबसे कमजोर तबकों से जुड़े मुद्दों के लिए जगह लगातार कम होती चली गई। विकास संवाद ने पिछले 10 सालों में मीडिया और जमीनी स्तर पर जनमुद्दों की पैरवी कर रहे संगठनों के बीच एक सेतु बनाने की कोशिश की है। इससे मीडिया के लिए मुद्दों तक पहुँच का दायरा तो व्यापक हुआ ही, विकास के मसलों पर पत्रकारों का लगातार जुड़ाव होता चला गया। विकास के मुद्दों पर लगातार संवाद ही हमारी शक्ति है। मीडिया फैलोशिप इस कार्य को और व्यापकता देने का एक माध्यम है। विकास संवाद मीडिया फैलोशिप का यह लगातार दसवाँ साल है। अभी तक इस फैलोशिप के जरिए 66 पत्रकार साथी लेखन और शोध कार्य कर चुके हैं।विकास संवाद इस बार 4 फैलोशिप के लिए आवेदन आमन्त्रित कर रहा है।
10वीं विकास संवाद मीडिया लेखन फैलोशिप
Posted on 16 Dec, 2013 11:51 AMआवेदन आमंत्रितअंतिम तिथि : 15 जनवरी 2014
भोपाल। वर्ष 2014 के लिए दसवीं विकास संवाद मीडिया लेखन फैलोशिप की घोषणा कर दी गई है। इस साल प्रदेश के चार पत्रकारों को सामाजिक मुद्दों पर लेखन के लिए फैलोशिप दी जाएगी। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि बढ़कर 10 जनवरी से 15 जनवरी, 2014 हो गई है।
इस वर्ष की फैलोशिप ‘पोषण की सुरक्षा और कुपोषण’ विषय पर दी जाएगी। आवेदक को अपना प्रस्ताव और कार्य योजना को मध्य प्रदेश के किसी एक अंचल (मालवा, महाकोशल, चम्बल, मध्य क्षेत्र, बघेलखंड, बुंदेलखंड) में रहने वाले “किसी एक” आदिवासी/ दलित या अन्य वंचित तबकों में (पिछली फेलोशिप अध्ययन में शामिल हो चुके भील, कोरकू, बैगा और गोंड समुदाय को छोड़कर) पोषण और खाद्य सुरक्षा (बच्चों के सन्दर्भ में) की स्थिति पर केंद्रित रखना होगा। यह फैलोशिप छह माह के लिए होगी। यह चारो फैलोशिप हिन्दी व अंग्रेजी के प्रिंट मीडिया के पत्रकारों के लिए हैं।
आमंत्रण- विकास संवाद सातवाँ मीडिया सम्मेलन, 29,30 जून एवं 1 जुलाई 2013, केसला
Posted on 04 Apr, 2013 09:40 PMविकास और जनसरोकार के मुद्दों पर बातचीत का सिलसिला साल-दर-साल आगे बढ़ता ही जा रहा है| हालाँकि इस बार हम अपने तय समय से थोडा देर से करने जा रहे हैं, लेकिन कई बार मार्च में संसद और राज्य विधानसभाओं के सत्र और बजट की आपाधापी में फंसने के कारण बहुत सारे साथी आ नहीं पाते थे| तो इस बार सोचा थोडा लेट चलें, लेकिन सब मिल सकें|आप सब जानते ही हैं कि यह सफ़र सतपुड़ा की रानी पचमढ़ी से शुरू हुआ| बांधवगढ़, चित्रकूट,महेश्वर, छतरपुर, फिर पचमढ़ी के बाद इस बार हम केसला में यह आयोजन करने जा रहे हैं| इस बार कई दौर की बैठकों के बाद केसला संवाद के लिए जो विषय चुना गया है, वह है|
विकास संवाद मीडिया फैलोशिप 2013
Posted on 19 Feb, 2013 05:50 PMहर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मध्यप्रदेश के पत्रकारों के लिए विकास संवाद फैलोशिप – 2013 की औपचारिक घोषणा कर दी गई है। जिसका विवरण अटैचमेंट में उपलब्ध है.फैलोशिप से संबंधित विस्तृत जानकारी और आवेदन पत्र ई-7/226, अरेरा कालोनी स्थित विकास संवाद कार्यालय से भी लिए जा सकते हैं। आवेदन फार्म और प्रपत्र विकास संवाद की वेबसाइट www.mediaforrights.org से भी डाउनलोड किये जा सकते हैं।