मध्य प्रदेश

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इन्दौर - रोजाना 7.5 करोड़ लीटर पानी की बर्बादी (Water Crisis Indore )
Posted on 07 May, 2016 09:57 AM

उल्लास की ऊँचाई को दर्शन की गहराई से जोड़ने वाले लोग पूरे जीवन को बस पानी का एक बुलबुला मानते हैं और इस संसार को एक विशाल सागर। इसमें पीढ़ियाँ आती हैं, पीढ़ियाँ जाती हैं, युग आते हैं, युग जाते हैं, ठीक लहरों की तरह...अनुपम मिश्र

प्रधानमंत्री को भाया देवास का गोरवा
Posted on 25 Apr, 2016 11:11 AM
इन्दौर से करीब 60 किमी दूर देवास जिले में आगरा–मुम्बई मार्ग स
Water Crisis in Bundelkhand
Posted on 21 Apr, 2016 10:46 AM
Water is the biggest problem in almost every district of Bundelkhand whether it is Banda or Lalitpur: Despite the largest number of dams in Bundelkhand, the queue for water before tap and hand pump is a common sight during summer.
फ्लोराइड की अधिकता से अस्थि विकृति एवं पोषण आहार से सम्बन्ध
Posted on 17 Apr, 2016 02:26 PM
भारत के विशेष क्षेत्रों में विगत कुछ वर्षों में फ्लोरोसिस एक नई जन-स्वास्थ्य समस्या के रूप में प्रकट हुई है। फ्लोरोसिस, लम्बे समय तक फ्लोराइड विषाक्तता के अन्तर्ग्रहण का एक रूप है जो फ्लोराइड की अत्यधिक मात्रा मुख्यतः पीने के पानी के माध्यम से ग्रहण किये जाने से होती है। इस अध्ययन के पूर्व मध्य प्रदेश का मंडला जिला देश के फ्लोराइड चिन्हित मानचित्र में नहीं था।

सन 1995 में पहली बार मध्य प्रदेश में इस केन्द्र द्वारा इस बीमारी की पहचान की गई। फ्लोराइड की अधिकता के कारण, समस्या की गम्भीरता एवं विस्तार का आकलन करने हेतु क्षेत्रीय जनजाति आयुर्विज्ञान अनुसन्धान केन्द्र (भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद), जबलपुर (मध्य प्रदेश) द्वारा मंडला जिला (मध्य प्रदेश) के 5 गाँवों (2263 व्यक्तियों) में यह अन्वेषण किया गया।
फ्लोरोसिस से उबर कर आगे बढ़ा मंडला
Posted on 14 Apr, 2016 04:12 PM Mandla moving on after successfully eliminating fluorosis

.मध्य प्रदेश का मंडला जिला वर्षों तक एक रहस्यमय बीमारी का शिकार रहा। स्थानीय मीडिया की अनभिज्ञता और सरकारी जागरुकता की कमी ही थी जिसके चलते एक चिकित्सकीय परेशानी या बीमारी को देवी-देवता, अन्धविश्वास और ऊपरी प्रकोप से जोड़कर देखा जाता रहा। हुआ यह कि 80 के दशक और उसके बाद अचानक मंडला जिले के कुछ खास इलाकों में लोगों के हाथ-पैर अचानक टेढ़े होने लगे, उनकी गर्दन नीचे को झुककर सख्त हो गई और लगभग गाँव-के-गाँव दाँतों के पीलेपन की बीमारी से पीड़ित हो गए।

यह समस्या दरअसल पेयजल में फ्लोराइड की अधिकता की वजह से उत्पन्न हुई थी। दिक्कत यह थी कि उस वक्त तक मंडला जिला देश के फ्लोराइड मानचित्र पर मौजूद तक नहीं था।
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