गुजरात

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सरदार सरोवर बांध और नर्मदा में बाढ़ : खेती की बर्बादी
Posted on 13 Aug, 2012 01:33 PM

नर्मदा नियंत्रण प्राधिकरण और राज्य शासन के रिपोर्टों की पोल खुली


डूब और नुकसानों को अवैध साबित करते हुए, भादल पिछौड़ी, छोटा बड़दा आदि गाँवों के किसानों, मछवारों और आदिवासियों ने बताया कि केवल पिछोड़ी के 15 परिवारों को सुप्रीम कोर्ट में केस चलते हुए जो खेत जमीन के पत्र आंवटित हुए, वह भी सन 2000 से डूब आते हुए, 2012 में उस जमीन का भी कब्जा मूल मालिक जमीन छोड़ने तैयार न होने से, शासन उन्हें नहीं दे पायी है। महाराष्ट्र और म.प्र. के पहाड़ी आदिवासी गाँवों में 1994 से सैकड़ों की जमीन और घर डूब में गया है, ऐसं भी सैकड़ों परिवारों का कानूनन पुर्नवास बाकी है।

सरदार सरोवर बांध के डूब क्षेत्र में पिछले तीन दिनों से, खेंतों में और कुछ घरो में भी पानी घुसने से, बर्बादी का सिलसिला चला है। उपर के तीन बड़े बांधों (ओंकारेश्वर, इंदिरा सागर और महेश्वर) से पानी सरदार सरोवर के जलाशय में एकत्रित होकर, डूब की भयावह स्थिति सामने आया।
गुजरात में दूसरी हरित क्रांति
Posted on 05 Jul, 2012 04:39 PM

ड्रिंप एवं स्प्रिंक्लर सिंचाई तकनीक’ ने कच्छ जिले की सूरत बदल दी है। जो क्षेत्र कभी पूरी तरह बंजर भूमि के तौर पर

शिप डंपिंग पॉलिसी पर यूरोप का दोहरा रवैया
Posted on 01 Jun, 2012 10:07 AM कबाड़ा और बेकार जहाजों को एशिया के भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश के बंदरगाहों पर तोड़ा जाता है। जिससे न केवल पर्यावरणीय नुकसान होता है बल्कि वहां पर काम करने वाले मजदूरों के स्वास्थ्य पर भी बहुत बुरा असर पड़ता है। जहाजों को तोड़ने पर काफी जहरीला कचरा भी निकलता है। यूरोपीय देश अपने देश में तो कबाड़ा जहाजों को तोड़ने से रोकने के लिए तरह-तरह के नियम-कायदे बना रखे हैं। पर भारत जैसे देशों में अपने कबा
सौर ऊर्जा से कम होगी पानी की किल्लत
Posted on 20 Mar, 2012 03:57 PM अहमदाबाद (प्रेट्र)। सौर ऊर्जा से समुद्र को छानने का सबसे आसान तरीका - सोलर स्टिल में तात्कालिक सुधार कर इसका इस्तेमाल जल्द ही उद्योगों में व्यापारिक रूप से होगा। सेंट्रल सॉल्ट मैराइन एंड केमिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीएसएमसीआरआई) के निदेशक पुश्पितो घोष के अनुसार पहले हम सिर्फ तीन से चार लीटर पानी ही छान पाते थे, लेकिन अब इस नवीन प्रक्रिया के जरिए हम ज्यादा काम कर पाएंगे। अभी हम परीक्षण कर रहे हैं ले
खतरे में हैं नमभूमियां और प्रवासी पक्षी
Posted on 24 Jan, 2012 11:01 AM

(19-22 जनवरी, 2012 के दौरान गुजरात में आयोजित द्वितीय ग्लोबल बर्ड वॉचर्स कांफ्रेंस पर आधारित लेख)

दूसरी ग्लोबल बर्ड वॉचर्स कांफ्रेंस
Posted on 10 Jan, 2012 10:55 AM

19-22 जनवरी, 2012 गांधीनगर


गुजरात तेजी से इको-टूरिज्म गंतव्य के रुप में उभर रहा है जहाँ प्राचीन एवं अभी तक अज्ञात गंतव्यों की ऐसी विस्तृत रेंज मौजूद है जो प्रकृति प्रेमियों के लिए उत्सुकता का विषय है। गुजरात अतिथि सत्कार के लिए भी जाना जाता है जहाँ के निवासी बेहद मिलनसार होते हैं। यहां का वातावरण इतना मनोरम है कि प्रकृति के खूबसूरत फरिश्ते-पक्षी यहाँ की सुरम्यता को भांप कर दूरदराज के स्थानों से यहाँ आते हैं। राज्य में इस समय 520 से ज्यादा पक्षी प्रजातियां पाई जाती हैं जो दशकों से इन मनमोहक परिदों को आकर्षित करता रहा है।

फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स, ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की पार्टनरशिप में गुजरात पर्यटन गांधीनगर, गुजरात, भारत में 19 से 22 जनवरी, 2012 तक सेकेंड ग्लोबल वर्ड वॉचर्स कांफ्रेंस आयोजित कर रहे हैं।
जाके आंगन है नदी
Posted on 30 Dec, 2011 06:27 PM गुजरात का आदिवासी इलाका धर्मपुरा बदहाली और मुफलिसी का बावजूद कुछ समर्पित समाजसेवियों और संस्थाओं की मदद से स्वावलंबन के रास्ते पर बढ़ रहा है। इस काम में कुदरत के साथ तालमेल बिठाकर जीने की कला भी विकसित हो रही है। लेकिन राज्य सरकार बड़ा बांध बनाकर इस क्षेत्र को विकसित करना चाहती है। विकास की विडंबना को कलमबद्ध किया है जाने-माने कथाकार गोविंद मिश्र ने इस यात्रा-वृत्त में।

सरकार हमेशा बड़े बांधों, उनसे बिजली बनाकर अमीरों को साधन पहुंचाने का ही क्यों सोचा करती है? कभी ऐसी जगहों पर रह रहे लोगों को वहीं स्थापित करने, नगरों, महानगरों की बजाय ऐसी जगहों को विकसित करने, जिससे कि यहां के लोग शहर की तरफ भागने की बजाय यहीं रहें, उल्टे वहां के लोग यहां आकर बसें- ऐसा कुछ क्यों नहीं सोचती? नहीं, वह अपनी बड़ी योजनाओं के नीचे उन लोगों को ही कुचल कर रख देगी, जो संख्या में भले कम हों, पर जो यहां के हैं, जिनका इस भूमि पर पहला अधिकार है।

इस बार मुबंई प्रवास थोड़ा लंबा था, तो अच्छा लगा जब मित्र आरके पालीवाल ने सुझाव दिया कि वापी के पास सह्याद्रि श्रेणियों के बीच एक आदिवासी इलाका देख आया जाए। वहां आदिवासियों के लिए कुछ अच्छा काम हो रहा है, कठिन परिस्थितियों में रहने वालों की तकलीफें दूर करने जैसे काम सीधे-सीधे समाज को लाभ पहुंचाते हैं, इसलिए पालीवाल को ऐसे काम साहित्य-लेखन से अधिक तुष्टि देने वाले लगते हैं। बस एक दिन जाना, एक रात रुकना, दूसरे दिन लौट आना। मैंने उरई में संजय सिंह के साथ ऐसे कामों को थोड़ा बहुत देखा था। उत्सुकता हुई कि देखें गुजरात में ये किस तरह से हो रहे हैं। आरके के अलावा वहां विकास कार्य से जुड़े दो लोग खंडेलवाल और रश्मिन संघवी भी साथ थे। मुंबई में लगातार बारिश चल रही थी। बरसात के दिनों में मुंबई के आसपास का इलाका, जिसे यहां के लोग बड़े उत्साह से कहते हैं – ‘लश ग्रीन’ हो जाता है...
वड़ोदरा शहर के भूजल में पेस्टीसाइड प्रदूषण की समस्या
Posted on 27 Dec, 2011 03:49 PM जल में बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या में निरंतर वृद्धि से बढ़ता शहरीकरण, औद्योगिकरण तथा कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए ज्यादा से ज्यादा उर्वरकों एवं कीटनाशकों (पेस्टीसाइड्स) का प्रयोग है। गुजरात प्रदेश के वड़ोदरा शहर के भूजल के नमूने पूर्व मानसून तथा पश्च मानसून अवधि में 2008-09 तथा 2009-10 में एकत्रित किए गए तथा इन नमूनों का भौतिक रासायनिक प्राचालों के मानों तथा पेस्टीसाइड्स की मात्रा का भ
હજુ સુધી તળાવ છે
Posted on 03 Nov, 2011 01:14 PM

તળાવ ઉપર હજુ પણ છે (ગુજરાતી)તેમના પુસ્તક 'તળાવ ઉપર હજુ પણ છે' ભારત તરફ, શ્રી અનુપમ જી તળાવો, પાણી - પાક સિસ્ટમો, પાણી - ઘણા ભવ્ય પરંપરા ની સમજણ વ્યવસ્થા તળાવો, અને પાણી, તત્વજ્ઞાન અને સંશોધન દસ્તાવેજીકૃત છે.

ભારત પરંપરાગત જળાશયોમાં, આજે ગામો અને નગરો હજારો જીવાદોરી સમાન છે. આ અનન્ય જીવંત ક્રિયા છે, જે સમગ્ર દેશમાં ફેલાય શેડો જેવા ગંભીર જળ કટોકટી સાથે વ્યવહાર કરવામાં આવે છે અને સમસ્યાને 'માર્ગદર્શન' કામ કરે છે સમજો. અનન્ય વસવાટ કરો છો પર્યાવરણ અને પાણી - વર્ષ માટે વ્યવસ્થાપન ક્ષેત્રમાં કામ કર્યું છે અને હાલમાં ગાંધી પીસ ફાઉન્ડેશન, નવી દિલ્હી સાથે કામ કરે છે.

તળાવ ઉપર હજુ પણ છે (ગુજરાતી)
जरूरी है कोरल रीफ को बचाना
Posted on 10 Sep, 2011 04:42 PM

कोरल रीफ मछली की सैंकड़ों प्रजातियों के प्रजनन का केंद्र भी है। अगर कोरल रीफ खत्म हुआ को इन प्र

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