वड़ोदरा शहर के भूजल में पेस्टीसाइड प्रदूषण की समस्या

जल में बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण जनसंख्या में निरंतर वृद्धि से बढ़ता शहरीकरण, औद्योगिकरण तथा कृषि उत्पादन में वृद्धि के लिए ज्यादा से ज्यादा उर्वरकों एवं कीटनाशकों (पेस्टीसाइड्स) का प्रयोग है। गुजरात प्रदेश के वड़ोदरा शहर के भूजल के नमूने पूर्व मानसून तथा पश्च मानसून अवधि में 2008-09 तथा 2009-10 में एकत्रित किए गए तथा इन नमूनों का भौतिक रासायनिक प्राचालों के मानों तथा पेस्टीसाइड्स की मात्रा का भारतीय मानक ब्यूरों द्वारा पेयजल हेतु निर्धारित सीमा से तुलना की गई तथा यह पाया गया कि वड़ोदरा के भूजल में कुल घुलित ठोस की मात्रा 486 मि.ली. ग्राम प्रति लीटर से 3507 मि.ग्रा./ली. तक पाई गई तथा लगभग सभी नमूनों में 500 मि.ग्रा./ली. से अधिक पाई गई।

कुल कठोरता की मात्रा 79 मि.ग्रा./ली. से 1144 मिग्रा./ली. तक पाई गई। तथा 29 प्रतिशत नमूने अधिकतम सीमा 600 मि.ग्रा./ली. से अधिक पाये गए। भूजल के नमूनों में पेस्टीसाइड्स के परीक्षण से ज्ञात होता है कि एल-बी.एच.सी. बीटा—बी.एच.सी., डेल्टा-बी.एच.सी., ऐल्ड्रन एल-एण्डोसल्फान तथा मेथोक्सि-क्लोर की मात्राएं निर्धारित सीमा (1.0 माइक्रोग्राम/ली.) को पार कर गई। अतः प्रपत्र में पेयजल के शुद्धिकरण के लिए कुछ अनुशंसाएं भी दी गई है।

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