Posted on 13 Aug, 2014 12:05 PMराज्य में विभिन्न नदियों में प्रदूषण से निपटने के लिए गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने मुंबई के एक विशेषज्ञ को नियुक्त किया है, जो प्रदूषण की वजहों और स्थिति में सुधार के उपायों पर एक पूरी रिपोर्ट देगा। जीपीसीबी के अध्यक्ष के.यू मिस्त्री ने बताया कि पर्यावरणीय अभियांत्रिकी के जाने माने विशेषज्ञ दीपक कांतावाला को गुजरात में प्रदूषित नदियों का अध्ययन करने के ल
Posted on 07 Aug, 2014 10:48 AMगांव के आसपास 1980 में जहां 1400 पेड़ थे, वहीं आज उनकी संख्या बढ़ कर 65 हजार हो गई है। इस ग्राम पंचायत को देश के पहले पॉलीथिन मुक्त गांव के रूप में भी जाना जाता है। गांव के विकास के लिए हर जाति, वर्ग के लोगों को सहभागी बनाया गया। यहां महिला पंचायत का भी अस्तित्व है, जिसकी सदस्य सिर्फ महिलाएं ही होती हैं। जल प्रबंधन का ही असर है कि यहां का हर किसान साल में तीन फसलें उगाता है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति काफी सुधर गई है। गांव में कुल 47 चेकडैम, चार झील व सात जल रिसन तालाब व भूजल संचय के लिए 10 नाले हैं। गुजरात के राजकोट जिले में स्थित राजसमधियाला गांव जलछाजन के कारण आदर्श गांव बन गया। जलछाजन से इस गांव की गरीबी दूर हुई और जलछाजन पर अध्ययन के लिए यह गांव देश-विदेश में चर्चित हो गया। दो दशक पूर्व तक यह गांव पानी की किल्लत को झेलता था, पर आज पानी के कारण इस गांव की आय का स्तर ऊंचा हो गया है।
1985 के आसापास इस गांव का जलस्तर 250 मीटर तक नीचे गिर गया था। गांव वालों के साथ पर्यावरण वालों के लिए भी यह बड़ी चिंता की बात थी। ऐसे में ग्रामीणों ने चेकडैम, तालाब आदि का निर्माण कर गांव में जलछाजन अभियान की शुुरुआत की। इस गांव में बदलाव की शुरुआत हुई पंचायती राज व्यवस्था के कारण।
Posted on 21 Jul, 2014 04:03 PMदक्षिण गुजरात में मेघराज देर आए पर दुरुस्त आए। लगातार बारिश से पूरा जिला तरबतर हो गया है। वलसाड में सुबह सात बजे से शाम चार बजे तक नौ घंटे में 15 इंच बारिश दर्ज की गई उधर, नवसारी जिले में भी मंगलवार रात मूसलाधार बारिश हुई। गणदेवी तहसील में 18 घंटों में 10 इंच बारिश दर्ज की गई। बारिश से किसानों के चेहरों पर खुशी छा गई है। वापी में भी पिछले 24 घंटे में 4 इंच बारिश दर्ज की गई। बारिश के कारण पहली बार
Posted on 24 Jan, 2014 01:47 PMसूरत में हर रोज 1400 मीट्रिक टन कूड़ा-कचरा उत्पन्न होता है। शहर के बाहर छोर के अंतिम निपटान स्थल पर एक ‘वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट’ बनाया गया है जहां प्रतिदिन 400 मीट्रिक टन कूड़े के खाद और ईंधन तैयार किया जाता है। पठान बताते हैं, ‘हमने एक खुली बोली के बाद अपशिष्ट संशोधित तकनीक से लैस एक कंपनी को आमंत्रित किया था। ‘हैंजर बायोटेक’ का चयन किया गया।’ नटवरलाल पटेल को 1994 के वे दिन आज भी याद हैं जब सूरत में प्लेग महामारी फैली थी। वे बाहर निकलने से भी इस कदर डर गए थे कि एक हफ्ता घर में ही बिताया। उन्होंने और उनके परिवार ने जो कुछ रसोई में था, वही खा-पीकर काम चलाया। हालांकि, शहर हफ्ते भर में ही पहले की तरह सामान्य हो गया था, लेकिन इन कुछ दिनों में सूरतवासियों ने जो कुछ देखा, वह कूड़े के प्रति उनके नजरिए को हमेशा के लिए बदलने वाला था।