गुजरात

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हम पी रहे है मीठा जहर
Posted on 08 Oct, 2009 10:26 AM

गंगा के मैदानी इलाकों में बसा गंगाजल को अमृत मानने बाला समाज जल मेंव्याप्त इन हानिकारक तत्वों को लेकर बेहद हताश और चिंतित है। गंगा बेसिनके भूगर्भ में 60 से 200 मीटर तक आर्सेनिक की मात्रा थोडी कम है और 220मीटर के बाद आर्सेनिक की मात्रा सबसे कम पायी जा रही है। विशेषज्ञों केअनुसार गंगा के किनारे बसे पटना के हल्दीछपरा गांव में आर्सेनिक की मात्रा1.8 एमजी/एल है। वैशाली के बिदुपूर में विशेषज्ञों ने पानी की जांच की तोनदी से पांच किमी के दायरे के गांवों में पेयजल में आर्सेनिक की मात्रादेखकर वे दंग रह गये। हैंडपंप से प्राप्त जल में आर्सेनिक की मात्रा 7.5एमजी/एल थी ।

तटवर्तीय मैदानी इलाकों में बसे लोगों के लिए गंगा जीवनरेखा रही है। गंगा ने इलाकों की मिट्टी को सींचकर उपजाऊ बनाया। इन इलाकों में कृषक बस्तियां बसीं। धान की खेती आरंभ हुई। गंगा घाटी और छोटानागपुर पठार के पूर्वी किनारे पर धान उत्पादक गांव बसे। बिहार के 85 प्रतिशत हिस्सों को गंगा दो (1.उत्तरी एवं 2. दक्षिणी) हिस्सों में बांटती है। बिहार के चौसा,(बक्सर) में प्रवेश करने वाली गंगा 12 जिलों के 52 प्रखंडों के गांवो से होकर चार सौ किमी की दूरी तय करती है। गंगा के दोनों किनारों पर बसे गांवों के लोग पेयजल एवं कृषि कार्यों में भूमिगत जल का उपयोग करते है।


गंगा बेसिन में 60 मीटर गहराई तक जल आर्सेनिक से पूरी तरह प्रदूषित हो चुका है। गांव के लोग इसी जल को खेती के काम में भी लाते है जिससे उनके शरीर में भोजन के द्वारा आर्सेनिक की मात्रा शरीर में प्रवेश कर जाती है।

उकाई: हम भी बह गए थे
Posted on 11 Sep, 2009 08:40 PM
न भाखड़ा बांध की तरह प्रसिद्ध, न नर्मदा बांध की तरह बदनाम-उकाई बांध तो गुमनामी में बना था। न किसी को उसको बनाने का समय याद, न यह कि उसने बनने के बाद कितने परिवारों, गांवों को मिटाया था। उकाई बांध कोई बहुत बड़ा नहीं था पर सन् 2006 में वह उसी शहर और उद्योग-नगरी को ले डुबा, जिसके कल्याण के लिए उसे सन् 1964 में बहुत उत्साह से बनाया गया था। लेकिन तब भी एक सज्जन अपनी पुरानी मोटर साइकिल पर इस पूरे इलाके में घूम रहे थे। उस दौर में तो बांधों को नया मंदिर माना जा रहा था। शुरू में तो वे भी इन नए मंदिरों के आगे नतमस्तक ही थे। पर धीरे-धीरे उन्होंने जो देखा और फिर लोगों के बीच उतर कर जो कुछ किया, उसकी उन्हें सबसे भारी कीमत भी चुकानी पड़ी- उन्हें एक सूनी सड़क पर एक ट्रक ने रौंद कर मार डाला था। उनका काम भी कभी सामने नहीं आया पर वह काम खाद बना और फिर उसी खाद से ऐसे विचारों को पोषण मिला। उनका नाम था श्री रमेश देसाई। उकाई नवनिर्माण समिति का भुला दिया गया यह किस्सा रमेश भाई ने अपनी हत्या से कुछ ही पहले सन् 1989 में लिखा था। 
गुजरात में तूफान की चेतावनी
Posted on 17 Jul, 2009 08:15 AM
पूरे दक्षिण गुजरात तट पर मछुआरों को अगले 24 घंटे के दौरान किसी भी समुद्र से दूर रहने की बुधवार को चेतावानी जारी की गई है। जहाजों और मछली पकड़ने वाहिकाओं को मिले निर्देश में कहा गया है कि अगले 24 घंटों के दौरान अरब सागर में 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं चल सकती हैं।

मौसम विभाग ने उत्तरी और दक्षिणी गुजरात और कच्छ के इलाके में भारी वर्षा की भविष्यवाणी की है।
विवादित जल उपयोग
Posted on 22 Oct, 2008 07:10 PM

जल अभाव से ग्रस्त गांव में सामाजिक अंतर संघर्ष

waste of water
भारत में पानी
Posted on 17 Oct, 2008 08:22 AM

प्रेमचन्द्र श्रीवास्तव / पर्यावरण संदेश

सामान्य तौर पर देखने से ऐसा लगता है कि भारत में पानी की कमी नहीं है। एक व्यक्ति को प्रतिदिन 140 लीटर जल उपलब्ध है। किन्तु यह तथ्य वास्तविकता से बहुत दूर है। संयुक्त राष्ट्र विकास संघ (यूएनडीओ) की मानव विकास रिपोर्ट कुछ दूसरे ही तथ्यों को उद्घाटित करती है। रिपोर्ट जहां एक ओर चौंकाने वाली है, वहीं दूसरी ओर घोर निराशा जगाती है।

भारत में पानी
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