अहमदाबाद (प्रेट्र)। सौर ऊर्जा से समुद्र को छानने का सबसे आसान तरीका - सोलर स्टिल में तात्कालिक सुधार कर इसका इस्तेमाल जल्द ही उद्योगों में व्यापारिक रूप से होगा। सेंट्रल सॉल्ट मैराइन एंड केमिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट (सीएसएमसीआरआई) के निदेशक पुश्पितो घोष के अनुसार पहले हम सिर्फ तीन से चार लीटर पानी ही छान पाते थे, लेकिन अब इस नवीन प्रक्रिया के जरिए हम ज्यादा काम कर पाएंगे। अभी हम परीक्षण कर रहे हैं लेकिन बहुत जल्द इसका व्यापारिक प्रयोग शुरू हो जाएगा। घोष के अनुसार फिलहाल इस स्टिल का एक प्रारूप बनाने में दस हजार प्रति यूनिट की लागत आएगी लेकिन व्यापारिक इस्तेमाल शुरू होने के बाद यह लागत बहुत कम हो जाएगी।
सोलर स्टिल तकनीक खारे पानी वाले बीहड़ इलाकों के घरों के लिए बहुत लाभदायक साबित होगी। इसकी यूनिट में नीचे जमने वाली कालिख को साफ करने का अच्छा तरीका भी मौजूद है। सीएसएमसीआरआई की केमिकल इंजीनियर सुर्बना मैती कहती हैं कि गर्मियों में इन स्टिल यूनिट से हर दिन का सात लीटर पानी निकाला जा सकता है। शुरुआती परीक्षण में दिसंबर के महीने में भी पांच लीटर तक पानी निकाला गया था। यह परीक्षण राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, दक्षिण भारत (रामेश्वरम), पूर्वी (सुंदरवन) और उत्तरी भाग के सुदूर इलाकों में किया गया जहां साफ पीने का पानी मिलना मुश्किल है।
सोलर स्टिल तकनीक खारे पानी वाले बीहड़ इलाकों के घरों के लिए बहुत लाभदायक साबित होगी। इसकी यूनिट में नीचे जमने वाली कालिख को साफ करने का अच्छा तरीका भी मौजूद है। सीएसएमसीआरआई की केमिकल इंजीनियर सुर्बना मैती कहती हैं कि गर्मियों में इन स्टिल यूनिट से हर दिन का सात लीटर पानी निकाला जा सकता है। शुरुआती परीक्षण में दिसंबर के महीने में भी पांच लीटर तक पानी निकाला गया था। यह परीक्षण राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, दक्षिण भारत (रामेश्वरम), पूर्वी (सुंदरवन) और उत्तरी भाग के सुदूर इलाकों में किया गया जहां साफ पीने का पानी मिलना मुश्किल है।
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