अभिमत
नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुआ मेधा पाटकर ने नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी के फैसले को ‘राजनीतिक’ कहा है। उन्होंने कहा कि बांध की वर्तमान ऊंचाई 121 मीटर है जिससे 245 गांवों के दो लाख से ज्यादा आदिवासी परिवार प्रभावित हैं। इन्हें तीन दशक से अपने हक के लिए लड़ते रहने के बाद भी राहत और पुनर्वास के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। ऐसे में फैसला विकास के सिद्धांत के खिलाफ जाता है। आखिरकार नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी ने सरदार सरोवर बांध की वर्तमान ऊंचाई 121 मीटर से बढ़ाकर 138.6 मीटर करने का फैसला ले ही लिया। इस पूरी परियोजना पर अब तक 392.4 बिलियन रुपए खर्च हो चुके हैं। इससे चार हजार मेगावॉट बिजली उत्पादित होगी। नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी ने सरदार सरोवर बांध को 17 मीटर और ऊंचा करने के फैसले की सराहना की है।
नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी के फैसले की आपात बैठक बारह-तेरह जून को संबंधित मंत्रालयों और चारों राज्यों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में हुई। संबंधित पक्षों से बातचीत के बाद बांध की ऊंचाई बढ़ाने का फैसला लिया गया। नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर ने फैसले का विरोध किया है।
सरदार सरोवर बांध के गेट लगाने से गुजरात की जिंदगी में नया उछाल आएगा। वहां की जनता के लिए ‘अब और अच्छे दिन’ नौ साल बाद आ गए हैं। गुजरात की मुख्यंमंत्री आनंदी बेन पटेल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती और दूसरे मंत्रियों से मुलाकात करके लंबे अर्से से चली आ रही इस मांग को पूरा करने पर धन्यवाद दिया।
सरदार सरोवर बांध की ऊंचाई बढ़ने से गुजरात में नर्मदा जल की उपलब्धता और ज्यादा होगी। यह गुजरात की जनता की जीत है। उसे अब जाकर लाभ हासिल हुआ है। बांध की क्षमता अब चार गुनी ज्यादा होगी। यानी पहले दस लाख एकड़ फीट थी जो अब चालीस लाख एकड़ फीट होगी। सूखे के खिलाफ गुजरात की विजय की यह एक बड़ी मुहिम है। इसमें कामयाबी के अब आसार हैं।
बाध की ऊंचाई बढ़ने से अब गुजरात को पेयजल सिंचाई के लिए और बिजली-बनाने के लिए प्रचुर मात्रा में नर्मदा का जल मिलेगा। समझौते के अनुसार इस बांध का सर्वाधिक लाभ गुजरात को हासिल होगा। मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र को बिजली मिलेगी। नर्मदा ट्रिब्यूनल अवार्ड के तहत गुजरात को नर्मदा से 9 मिलियन एकड़ फीट जल मिल रहा है। इसमें 7.5 और 0.22 मिलियन एकड़ फीट जल सिंचाई, उद्योग और पेयजल बतौर है।
गुजरात में सौराष्ट्र के किसानों को नर्मदा का जल मिलने से इससे उत्पादन बढ़ेगा। भरतीय किसान संघ ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि जल मिलने से खासा लाभ होगा। गुजरात के मुख्यंमंत्री रहे नरेंद्र मोदी हर मौके पर यूपीए सरकार में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सामने सरोवर बांध की ऊंचाई 17 मीटर और बढ़ाने की मांग करते लेकिन उनकी मांग की अनसुनी कर दी जाती।
प्रभावित गुजरात ने लगातार इस माग की सुनवाई पर दबाव बनाया और फिर भी मांग टलती रही। आखिरकार गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी मांग के समर्थन में 51 घंटे की भूख हड़ताल पर बैठना पड़ा। जब खुद नरेंद्र मोदी आखिरकार 16वीं लोकसभा में प्रधानमंत्री पद पर आए तो उनकी पहल पर यह मांग मानी जा सकी।
गुजरात को मिलने वाले जल से वहां के उद्योग क्षेत्र में फार्मास्टुटिकल, टेक्सटाइल्स और उत्पादक क्षेत्र में फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में कृषि उत्पादों को खासा बढ़ावा मिलेगा। किसानों ने भी इस फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि इससे न केवल जल संकट काफी हद तक हल हो सकेगा, बल्कि सिंचाई के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
नर्मदा बचाओ आंदोलन की अगुआ मेधा पाटकर ने नर्मदा कंट्रोल अथॉरिटी के फैसले को ‘राजनीतिक’ कहा है। उन्होंने कहा कि बांध की वर्तमान ऊंचाई 121 मीटर है जिससे 245 गांवों के दो लाख से ज्यादा आदिवासी परिवार प्रभावित हैं। इन्हें तीन दशक से अपने हक के लिए लड़ते रहने के बाद भी राहत और पुनर्वास के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है।
ऐसे में फैसला विकास के सिद्धांत के खिलाफ जाता है। मेधा पाटकर ने पिछले साल 19 अक्टूबर को दिल्ली के जंतर-मंतर चौक पर दो दिन का आंदोलन भी छेड़ा था। उन्होंने लागत और लाभ के आधार पर परियोजना का आकलन, पर्यावरण हानि, पुनर्वास और विस्थापन के मुद्दों पर समीक्षा की मांग की थी।
उधर, केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा है कि बांध की ऊंचाई बढ़ाने से प्रभावित लोगों और उनके परिवारों को पुनर्वास और राहत की तमाम सुविधाएं प्रदान कराने का भरोसा दिलाया है।
ईमेल : akhabariamit@gmail.com
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