गुजरात

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परम्परागत जल प्रणाली का धनी
Posted on 18 Nov, 2017 04:42 PM
गुजरात के शुष्क और गर्म काठियावाड़ प्रायद्वीप से लेकर केरल के भरपूर बारिश वाले मालाबार तट का इलाका पश्चिमी तटीय मैदान का हिस्सा है। उत्तर में इसकी सीमा गुजरात तक आए थार मरुभूमि क्षेत्र तय करता है, जबकि उत्तर-पश्चिम में अरावली पर्वतमाला, मालवा का पठारी क्षेत्र, विंध्य और सतपुड़ा पहाड़ियाँ। फिर पश्चिम घाट की पूर्वी ढलान गुजरात से शुरू होकर महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक और केरल तक इसकी पूर्वी सीमा
सरदार सरोवर बाँध वरदान है या अभिशाप (Sardar Sarovar Dam a boon or a curse?)
Posted on 08 Oct, 2017 01:51 PM
प्रस्तुति - अमरनाथ

लागत, लाभ और प्रभाव का कोई विश्वसनीय आकलन नहीं- हिमांशु ठक्कर

मालधारियों के चमत्कार
Posted on 13 May, 2017 04:37 PM
खारी जमीन और खारे पानी के बीच अपनी साल भर की पानी की जरूरतों को पूरा करने के लिये ईजाद की ‘विरडा’ प्रणाली
आने वाली पीढ़ियों से कुछ सवाल
Posted on 08 Jan, 2017 10:54 AM
पिछले 25 वर्षों से सारे राजनैतिक लोगों के लिये कुर्सी का एक खेल बनी नर्मदा-योजना के बारे में एक बार फिर विवाद का बवंडर उठ खड़ा हुआ है। राजकोट, अहमदाबाद, सूरत और बड़ोदरा के नगर-निगमों के चुनावों में स्थानीय प्रश्नों और चर्चित घोटालों को एक बोरे में बन्द करके सब लोग ‘हमको तो नर्मदा का पानी चाहिए’ की रट के साथ अपने-अपने हथियारों को सान पर चढ़ाने के काम में जुट गए थे। नर्मदा के नाम का चाब
ये हैं कच्छ के मालधारी
Posted on 07 Jan, 2017 11:35 AM
घुमन्तू जातियाँ अन्तर्मुखी होती हैं। स्वभाव से सरल और निर्मल। ठीक प्रकृति की तरह। इनमें भी मालधारी हों तो कहना ही क्या!
सुप्रीम कोर्ट को ठेंगा दिखाकर सरदार सरोवर बाँध की ऊँचाई बढ़ाया
Posted on 10 Dec, 2016 11:30 AM

सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष 2000 और 2005 के निर्णयों में खेती योग्य उपयुक्त जमीन का आवंटन,

Sardar sarovar dam
माई बनी मालगाड़ी
Posted on 17 Sep, 2016 12:31 PM


महात्मा गाँधी का प्रसिद्ध कथन है, “प्रकृति के पास इतना है कि वह सभी की जरूरतों को पूरा कर सकती है, लेकिन इतना नहीं है कि किसी एक का भी लालच पूरा कर सके।” मध्य भारत की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण नदी नर्मदा इसी लालच हलकान है। नर्मदा में सौ से ज्यादा छोटे बड़े बाँध बनाए गए हैं इनसे नहरें निकाल कर हजारों हेक्टेयर इलाकों में सिंचाई की जा रही है।

मध्य प्रदेश और गुजरात के कई क्षेत्रों, जो नर्मदा से पचासों किलोमीटर दूर है, को पीने का पानी भी इसी नदी से सप्लाई किया जाता है, साबरमती को जिन्दा बनाए रखने में भी नर्मदा की भूमिका है, यहाँ तक की सिंहस्थ कुम्भ शाही स्नान की जिम्मेदारी भी नर्मदा माई पर ही है।

प्रकृति के करीब
Posted on 06 Sep, 2016 12:26 PM


पिछले माह मुझे गुजरात में कच्छ-भुज में स्थित प्राकृतिक चिकित्सा फार्म में ठहरने का मौका मिला। हम वहाँ एक कार्यक्रम के सिलसिले में गए थे। इस फार्म का नाम था- निजानंद फार्म।

यह हरीपर गाँव में था। भुज से चार-पाँच किलोमीटर दूर। सबसे कम बारिश वाले इलाके में बहुत हरा-भरा फार्म मनमोहक था। सरसराती हवा, रंग-बिरंगे फूल, शान्त वातावरण। कुछ सोचने और तलाशने का वातावरण।

वर्षाजल बचाने की पारम्परिक पद्धति विरदा
Posted on 26 Aug, 2016 11:01 AM
मालधारी बड़ी संख्या में पशु रखते हैं। उन्होंने अपने लम्बे अनु
नर्मदा जल जमीन हक सत्याग्रह की तैयारी शुरू
Posted on 14 Jul, 2016 01:16 PM
50 हजार परिवारों के पुनर्वास का कार्य अभी भी अधूरा है। 14 हजार परिवारों को गुजरात और महाराष्ट्र में बसाया गया है, लेकिन मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात के पहाड़ी आदिवासी क्षेत्रों के करीब 1500 परिवार तथा मैदानी मध्य प्रदेश के करीब 45 हजार परिवारों को अभी बसाना बाकी है। सरदार सरोवर में जैसे ही गेट लगेगा, एक धर्मपुरी नगर, 244 गाँवों के बाशिन्दों के घर, खेत, खलिहान... सब डूब जाएँगे। उन्होंने 30 जुलाई से नर्मदा के जल और जमीन के हुकूक के लिये सत्याग्रह करना तय किया है। इसकी तैयारी के लिये वे 13 जुलाई से 15 जुलाई तक नर्मदा परिक्रमा भी कर रहे हैं और 21 से 23 जुलाई को नर्मदा किनारे वाहन यात्रा भी। 19 से 22 जुलाई के बीच का कार्यक्रम भी तैयार किया जा रहा है।

उनकी चिन्ता


नर्मदा घाटी दुनिया की सबसे पुरानी संस्कृति है। हरदूद जैसे शहर के उजड़ने से वे डर गए हैं। उन्हें चिन्ता है कि 30 बड़े और 135 छोटे मझोले बाँधों के कारण आगे चलकर नर्मदा नदी तालाबों में तब्दील हो जाएगी। इससे लोगों के साथ-साथ नर्मदा घाटी की उपजाऊ खेती, फलदाई वानिकी, मन्दिर, मस्जिद, पाठशाला, कारीगरी, व्यापार और नर्मदा की संस्कृति का नाश होगा।
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