Posted on 24 Jan, 2014 01:47 PMसूरत में हर रोज 1400 मीट्रिक टन कूड़ा-कचरा उत्पन्न होता है। शहर के बाहर छोर के अंतिम निपटान स्थल पर एक ‘वेस्ट ट्रीटमेंट प्लांट’ बनाया गया है जहां प्रतिदिन 400 मीट्रिक टन कूड़े के खाद और ईंधन तैयार किया जाता है। पठान बताते हैं, ‘हमने एक खुली बोली के बाद अपशिष्ट संशोधित तकनीक से लैस एक कंपनी को आमंत्रित किया था। ‘हैंजर बायोटेक’ का चयन किया गया।’ नटवरलाल पटेल को 1994 के वे दिन आज भी याद हैं जब सूरत में प्लेग महामारी फैली थी। वे बाहर निकलने से भी इस कदर डर गए थे कि एक हफ्ता घर में ही बिताया। उन्होंने और उनके परिवार ने जो कुछ रसोई में था, वही खा-पीकर काम चलाया। हालांकि, शहर हफ्ते भर में ही पहले की तरह सामान्य हो गया था, लेकिन इन कुछ दिनों में सूरतवासियों ने जो कुछ देखा, वह कूड़े के प्रति उनके नजरिए को हमेशा के लिए बदलने वाला था।