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जल जीवन मिशन का सुफल : करोड़ों घरों में नल से स्वच्छ जल
Posted on 24 May, 2024 06:20 AMभारत आज जल क्षेत्र में सर्वाधिक निवेश और व्यापक लक्ष्यों के साथ कार्य करने वाला दुनिया का शीर्ष देश है। इस लिहाज से सबसे अहम है जल जीवन मिशन (जेजेएम) की सफलता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा भी है कि जल जीवन मिशन का विजन लोगों तक पानी पहुंचाने का तो है ही, साथ ही यह विकेंद्रीकरण का भी एक बहुत बड़ा माध्यम है। यह ग्राम-संचालित और नारी शक्ति-संचालित है। इसका मुख्य आधार जन आंदोलन और जन भागीदारी

जलवायु परिवर्तनः रोगवाहक जन्य रोगों के विशेष संदर्भ में मानव स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव
Posted on 18 May, 2024 06:51 AMपृथ्वी पर प्राणियों का अस्तित्व तथा उनका सतत विकास वातावरण के साथ उनके सकारात्मक सामंजस्य का द्योतक है। परन्तु विगत कुछ वर्षों से गरमाती धरती, तेजी से महामारियों एवं विलुप्त होती प्रजातियों से यह सम्बन्ध हिलता सा दिख रहा है। फरवरी 2007 में पेरिस में कुल 130 देशों के 2500 वैज्ञानिकों के दल के साथ जलवायु परिवर्तन पर निगरानी के लिए गठित अंतर शासकीय पैनल (इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेन्ज) (IP

सूखी ही बहने को मजबूर नदियाँ
Posted on 17 May, 2024 06:50 PMबीसवीं सदी के पहले कालखण्ड तक भारत की अधिकांश नदियाँ बारहमासी थीं। हिमालय से निकलने वाली नदियों को बर्फ के पिघलने से अतिरिक्त पानी मिलता था। पानी की आपूर्ति बनी रहती थी अतः उनके सूखने की गति अपेक्षाकृत कम थी। नदी के कछार के प्रतिकूल भूगोल तथा भूजल के कम रीचार्ज या विपरीत कुदरती परिस्थितियों के कारण, उस कालखण्ड में भी भारतीय प्रायद्वीप की कुछ छोटी-छोटी नदियाँ सूखती थीं। इस सब के बावजूद भारतीय नद

पर्यावरण-प्रबन्धन और प्रकृति-संरक्षण: एक वैदिक दृष्टिकोण
Posted on 16 May, 2024 06:46 PMसौर मण्डल में जीवन से भरपूर सुन्दर गृह पृथ्वी की उत्पत्ति विज्ञान के अनुमानानुसार लगभग 4.

पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) का महत्व क्या है? और भारत में पर्यावरण मंजूरी प्रक्रिया
Posted on 15 May, 2024 03:53 PMभारत में पर्यावरण प्रभाव आकलन (ईआईए) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 27.01.1994 को पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के तहत जारी की गई विभिन्न गतिविधियों के लिए एक अधिसूचना के माध्यम से अनिवार्य किया गया था। उक्त ईआईए अधिसूचना 1994 के कार्यान्वयन के दौरान, कई छोटी-छोटी कमियां देखी गई और इन लघु कमियों को समय-समय पर संशोधन करने के माध्यम से दूर करने का प्रयास किया गया। ईआईए का उपयो

बेहिसाब भूजल दोहन भूकंप के खतरे को विनाशकारी बना देगा
Posted on 15 May, 2024 09:10 AMदेहरादून। ‘वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी’ के वैज्ञानिकों ने भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में इंडो-यूरेशियन प्लेटों के टक्कर से उत्पन्न होने वाले भूकंपों के अध्ययन डाटा को एकत्रित किया है और डाटा से उन क्षेत्रों की पहचान की है जो भूकंप से अत्यधिक प्रभावित और जोखिम में हैं। इस अनुसंधान के अनुसार, पूर्वी हिमालय के दार्जिलिंग, सिक्किम, अरुणाचल, असम और भूटान क्षेत्रों में भवि

जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं वर्तमान प्रदूषण रहित चुनौतियां (भाग 2)
Posted on 14 May, 2024 03:32 PMजलवायु परिवर्तन एवं जैविक प्रदूषण का प्रभाव
रोगकारक सूक्ष्म जीवों से संक्रमित कर मनुष्यों, फसलों, फलदायी वृक्षों व सब्जियों का विनाश करना जैविक प्रदूषण है। सन 1846 में जीनीय एकरूपता के कारण यूरोप में आलू की समस्त फसल नष्ट हो गयी, जिसके फलस्वरूप 10 लाख लोगों की मृत्यु हो गयी और 15 लाख लोग अन्यत्र पलायन कर गये। चूंकि समस्त आलू में एक ही प्रकार का जीन था अतः सब एक ही प्रकार के रोगाणुओं

जलवायु परिवर्तन का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव एवं वर्तमान प्रदूषण रहित चुनौतियां (भाग 1)
Posted on 14 May, 2024 02:43 PMवर्तमान में जलवायु परिवर्तन का बढ़ता स्तर मानवीय स्वास्थ्य के लिए दिन-प्रतिदिन चिंता का सबब बनता जा रहा है। जलवायु परिवर्तन का सीधा असर मानवीय स्वास्थ्य पर पड़ रहा है जिससे अनेक बीमारियां जन्म ले रही हैं। जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर एशिया के क्षेत्रों पर पड़ेगा क्योंकि यहाँ ज्यादातर देशों की अर्थव्यवस्था कृषि व प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर करती है। ऐसे में भारत जैसे देशों को जलवायु परिवर्त

भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
Posted on 12 May, 2024 07:48 AMपिछले कुछ दशकों में यह स्पष्ट हो गया है कि मानवीय बुनियादी ढांचे में बदलाव हो रहा है, जिससे वैश्विक जलवायु परिर्वतन हो रहा है। भारत एक बड़ा विकसित देश है जिसमें 7500 किमी लंबा हिमालय, दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा बर्फ भंडार और दक्षिण में घुटने की आबादी वाली तट रेखा है। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली उनकी एक अरब आबादी में लगभग 700 मिलियन लोग अपने निर्वाह और कृषि के लिए सीधे जलवायु संवेदनशील क्षेत

कार्बन डाईऑक्साइड रिकार्ड हाई से बाढ़-सूखे का खतरा
Posted on 11 May, 2024 03:47 PMनई दिल्ली, एजेंसियां। पृथ्वी को गर्म करने में कार्बन डाई ऑक्साइड की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वायुमंडल में इस गैस के स्तर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। कार्बन की खतरनाक बढ़त ने मौसम की एक्सट्रीम कंडीशन को बढ़ाया है यानी बाढ़-सूखे का खतरा बहुत बढ़ गया है।
