भारत आज जल क्षेत्र में सर्वाधिक निवेश और व्यापक लक्ष्यों के साथ कार्य करने वाला दुनिया का शीर्ष देश है। इस लिहाज से सबसे अहम है जल जीवन मिशन (जेजेएम) की सफलता। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा भी है कि जल जीवन मिशन का विजन लोगों तक पानी पहुंचाने का तो है ही, साथ ही यह विकेंद्रीकरण का भी एक बहुत बड़ा माध्यम है। यह ग्राम-संचालित और नारी शक्ति-संचालित है। इसका मुख्य आधार जन आंदोलन और जन भागीदारी है।
जेजेएम आज भारत की विकास नीति और दृष्टि की सफलता की जमीनी गवाही दे रहा है। 14 करोड़ से ज्यादा ग्रामीण परिवारों तक पहुंच रहा शुद्ध जल यह बताता है कि हम सिर्फ सरपट विकास की ओर नहीं भाग रहे, बल्कि आम लोगों के जीवन में बुनियादी बदलाव के संकल्प के साथ आगे बढ़ रहे हैं। इससे उत्तराखंड के क्यारकुली भट्टा गांव से पलायन रुक गया है।
झारखंड के आदिवासी गांव कुसुमडीह में मानव-पशु संघर्ष में कमी आई है तो महाराष्ट्र के चांदपुर गांव की गलियों में शहनाई की आवाजें फिर से गूंजने लगी हैं। इन तीन गांवों में ही नहीं, बल्कि ऐसे हजारों गांवों में जल जीवन मिशन से आया परिवर्तन आज स्पष्ट दिखता है। यह मिशन न केवल संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में भी वरदान साबित हो रहा है, बल्कि महिला सशक्तीकरण और ग्रामीणों की जिंदगी में सकारात्मक बदलाव भी ला रहा है।
जल जीवन मिशन ने 73.68 प्रतिशत ग्रामीण घरों में नल से जल की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली है। यह बड़ी बात है कि 14 करोड़ से अधिक ग्रामीण घरों को नल से जल का कनेक्शन दिया जा चुका है। अगस्त 2016 में ऐसे घरों की संख्या मात्र 3.23 करोड़ थी। प्रधानमंत्री मोदी ने वर्ष 2016 में लाल किले की प्राचीर से इस योजना की घोषणा की थी। इस मिशन के तहत ग्रामीण जनता के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार की दिशा और दशा निर्धारित की गई, जो आजादी के 75 साल बाद भी नल से जल सरीखी बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित थी। देश के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को प्रतिदिन शुद्ध जल आपूर्ति सुनिश्चित कराने के लक्ष्य के साथ जल जीवन मिशन की यात्रा शुरू हुई थी। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती थी कि देश के किसी भी नागरिक को जल आपूर्ति से वंचित न रहना पड़े। भारत की विशालता और भौगोलिक विविधता के लिहाज से यह एक बड़ी चुनौती थी। सरकार ने समुदायों, भागीदारों और गैर सरकारी संगठनों को एक साथ लाकर अल्पकालिक और दीर्घकालिक योजना तैयार की।
एक ही व्यवस्था सभी क्षेत्रों में लागू नहीं की जा सकती थी। उत्तर के पहाड़ी क्षेत्रों में पानी जमने की समस्या थी तो रेगिस्तानी और सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पेयजल स्रोतों की कमी थी। कहीं ग्रामीण बस्तियां दूर-दूर थीं तो कुछ जगहों पर प्रदूषण की बड़ी समस्या थी। इसलिए 'कोई भी पीछे न छूटे' की थीम के साथ जल जीवन मिशन ने सभी तरह की चुनौतियों से निपटते हुए अपनी राह बनाई।
पहाड़ी और ठंडे क्षेत्रों में इंसुलेटेड पाइप का उपयोग किया गया। जिन बस्तियों में पानी की गुणवत्ता से संबंधित शिकायतें थीं, वहां के लिए मल्टी-विलेज योजना बनाई गई। साथ ही पीने और खाना पकाने के लिए सामुदायिक जल शोधन संयंत्र जैसे अल्पकालिक उपाय भी किए गए। ये उपाय उपयोगी सिद्ध हुए।
जल जीवन मिशन का प्रभाव केवल जल उपलब्धता तक सीमित नहीं है। इसमें ग्रामीण समुदायों की सुरक्षा, स्वास्थ्य और पर्यावरण के प्रति व्यापक प्रतिबद्धता भी शामिल है। यह जहां स्वास्थ्य जोखिमों को कम कर रहा है, वहीं लोगों के जीवन स्तर में सुधार भी ला रहा है। नोबेल पुरस्कार विजेता डा. माइकल क्रेमर ने कहा है कि सुरक्षित पानी उपलब्ध कराने से नवजात मृत्यु दर में 30 प्रतिशत तक की कमी आ सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि हर घर जल की आपूर्ति सुनिश्चित होने से डायरिया से होने वाली चार लाख मौतों को कम किया जा सकता है। जेजेएम से 8.37 लाख करोड़ रुपये तक की आर्थिक बचत का आकलन भी किया गया है। जेजेएम से हर दिन पानी की व्यवस्था करने में लगने वाले समय में छह करोड़ घंटे से भी अधिक की बचत संभव है। इससे महिलाओं के जीवन पर सकारात्मक असर पड़ेगा, क्योंकि आम तौर पर महिलाएं ही पानी की व्यवस्था करती है।
जेजेएम के तहत ग्रामीण इलाकों में 'नल जल मित्र' पहल भी शुरू की गई है, ताकि ग्रामीण आबादी को पंप संचालन और जल प्रबंधन से संबंधित कार्यों में कुशल बनाया जाए। इसके तहत अब तक 5.14 लाख से अधिक ग्राम जल एवं स्वच्छता समितियां, पानी समितियां गठित हो चुकी हैं। 5.12 लाख विलेज एक्शन प्लान तैयार कर लिए गए हैं। फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग कर पानी के नमूनों की जांच करने के लिए 23.68 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। अपने शुरुआती चरण में इससे औसतन 56.63 लाख लोगों को प्रतिवर्ष प्रत्यक्ष और 2.22 करोड़ लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिला। कार्यान्वयन और रख-रखाव चरण के दौरान इस मिशन से अतिरिक्त 11.18 लाख लोगों को प्रत्यक्ष तौर पर प्रतिवर्ष रोजगार मिला।
इतनी बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलने से समाज आत्मनिर्भर हुआ और ग्रामीण विकास को नए पंख लगे। देश में पानी की स्वच्छता जांचने के लिए आज 2,118 लैब काम कर रही हैं। मामूली दरों पर पानी के नमूनों की जांच की जा रही है, ताकि हर परिवार को स्वच्छ जल मुहैया कराया जा सके। सरकार का लक्ष्य एक ऐसे भारत का निर्माण है, जहां सभी के लिए स्वच्छ जल उपलब्ध हो, पानी की कमी अतीत की बात हो जाए और किसी ग्रामीण परिवार को जीवन के इस अमृत के लिए मशक्कत न करनी पड़े।
- (लेखक केंद्रीय जल शक्ति मंत्री हैं)
स्रोत - लोकसम्मान पत्रिका, फरवरी 2024, लखनऊ संस्करण
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