कार्बन डाईऑक्साइड रिकार्ड हाई से बाढ़-सूखे का खतरा

कार्बन डाईऑक्साइड रिकार्ड स्तर पर
कार्बन डाईऑक्साइड रिकार्ड स्तर पर

नई दिल्ली, एजेंसियां। पृथ्वी को गर्म करने में कार्बन डाई ऑक्साइड की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। हालिया अध्ययन में वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि वायुमंडल में इस गैस के स्तर में रिकॉर्ड वृद्धि हुई है। कार्बन की खतरनाक बढ़त ने मौसम की एक्सट्रीम कंडीशन को बढ़ाया है यानी बाढ़-सूखे का खतरा बहुत बढ़ गया है। 

अमेरिका स्थित सैन डिएगो में स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के CO2 प्रोग्राम के निदेशक राल्फ कीलिंग कहते हैं, "हम एक नए युग में हैं।" जब स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी के वैज्ञानिकों (विशेष रूप से, राल्फ कीलिंग के पिता) ने पहली बार 1958 में हवाई में प्राचीन मौना लोआ पर्वत शिखर वेधशाला में वायुमंडलीय CO2 को लगातार मापना शुरू किया, तो CO2 का स्तर 316 पार्ट प्रति मिलियन (पीपीएम) था, जो पूर्व-औद्योगिक स्तर से थोड़ा अधिक था। अब 400 पीपीएम पार हमारे भविष्य में आने वाली अगली बड़ी, गोल संख्या थी। जानकारी के लिए बता दें कि अब 425 पीपीएम से भी आगे का मामला है।

सैन डिएगो के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओसनोग्राफी के शोधकर्ताओं के अनुसार, दुनिया के वायुमंडल में भरी कार्बन डाईऑक्साइड गैस की मात्रा में अब तक की सबसे बड़ी बढ़त दर्ज की गई है। इस साल मार्च में कार्बन डाईऑक्साइड की वैश्विक औसत सांद्रता पिछले साल मार्च की तुलना में 4.7 भाग प्रति मिलियन (या पीपीएम) अधिक थी, जो 12 महीने की अवधि में कार्बन डाइऑक्साइड के स्तर में रिकॉर्ड-तोड़ वृद्धि है। कार्बन डाइऑक्साइड की रीडिंग हवाई में मौना लोआ ज्वालामुखी पर स्थित स्टेशन से ली गई है।

वैज्ञानिकों के अनुसार समय-समय पर होने वाली अल नीनो जैसी जलवायु घटना के साथ-साथ जीवाश्म ईंधन के जलने और वनों की कटाई के कारण वायुमंडल में जारी ग्रीनहाउस गैसों की निरंतर और बढ़ती मात्रा के कारण वृद्धि हुई है। सैन डिएगो के स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी में कार्बन कार्यक्रम के निदेशक राल्फ कीलिंग ने कहा कि इस साल के पहले चार महीनों में वृद्धि की गति देखना वास्तव में महत्वपूर्ण है।

खतरे की घंटी: कार्बन डाइऑक्साइड ने तोड़ा पिछले आठ लाख वर्षों का रिकॉर्ड

 कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर नित नए-नए रिकॉर्ड कायम कर रहा है। मई-जून 2023 में कार्बन अपने 8 लाख साल के रिकॉर्ड हाई पर दर्ज किया गया।  इस बारे में ‘डाउन-टू-अर्थ’ में छपी एक रिपेर्ट बताती है कि नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओएए) की मौना लोआ एटमॉस्फेरिक बेसलाइन ऑब्जर्वेटरी द्वारा जारी आंकड़ों से पता चला है कि मई 2023 में वातावरण में मौजूद कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर 424 भाग प्रति मिलियन (पीपीएम) पर पहुंच गया है। गौरतलब है कि ऐसा पिछले लाखों वर्षों में नहीं देखा गया है।

मौसम और कार्बन डाईआक्साइड

जर्नल ‘नेचर क्लाइमेट चेंज’ में प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार उच्च वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड की बढ़ती मात्रा वातावरण में तापमान और एक्सट्रीम वेदर कंडीशन की परिस्थितियों पैदा करती हैं।  जिसका अर्थ है कि इन चरम सीमाओं में खतरनाक परिवर्तन हो सकते हैं, भले ही वैश्विक औसत तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस के भीतर रहे। 

कार्बन डाइऑक्साइड क्या है और जलवायु परिवर्तन से कैसे जुड़ा हुआ है? 

कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) एक रंगहीन, गंधहीन ग्रीनहाउस गैस है जो कई प्राकृतिक प्रक्रियाओं और मानवीय गतिविधियों जैसे जीवाश्म ईंधनों के दहन और सीमेंट निर्माण से उत्पन्न होती है। इसे ग्रीनहाउस गैस कहा जाता है क्योंकि — एक ग्रीनहाउस की कांच की संरचना की तरह — कार्बन डाइऑक्साइड अणु वातावरण में गर्मी को रोक लेते हैं। कार्बन डाइऑक्साइड मानवीय गतिविधियों द्वारा वर्तमान में हो रहे वैश्विक तापमान में दो-तिहाई योगदान देता है, बाकी का योगदान मीथेन, नाइट्रस ऑक्साइड, हैलोकार्बन्स, और अन्य गैसें जो मानवीय गतिविधियों द्वारा उत्सर्जित होती हैं, से होता है।

कार्बन डाइऑक्साइड के साथ ही अन्य प्राकृतिक ग्रीनहाउस-एजेंट पृथ्वी पर जीवन के लिए अनुकूल तापमान को बनाए रखने में मदद करते हैं। हालांकि, पृथ्वी के इतिहास में कभी न देखी गई मानवीय गतिविधियों ने शायद वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा को हाई कर दिया है।  शोधकर्ता अतिरिक्त CO2 की तुलना ठंडी रात में अतिरिक्त कंबल डालने से करते हैं। हालांकि CO2 स्वयं गर्मी प्रदान नहीं करता है, यह वातावरण की उस गर्मी को रोकने की क्षमता को बढ़ाता है जो अन्यथा अंतरिक्ष में वापस पहुंच जाती।

मौना लोआ की नवीनतम आकलन से पता चला

जून में अमेरिकी एजेंसी नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (एनओपए) ने घोषणा की कि कार्बन डाई ऑक्साइड की वैश्विक सांद्रता 421 पीपीएम तक पहुंच गई है, जो पूर्व-औद्योगिक समय की तुलना में 50 प्रतिशत की वृद्धि और लाखों वर्षों में सबसे अधिक है। मौना लोआ की नवीनतम रीडिंग से पता चलता है कि दुनिया में लगभग 426 पीपीएम कार्बन डाइऑक्साइड है।

कई तरह के खतरे बढ़े

गर्मी को रोकने वाली गैस कार्बन डाईऑक्साइड में तेजी से वृद्धि से दुनियाभर में कई तरह के खतरे हो सकते हैं। हीटवेव, बाढ़, सूखे और जंगल की आग के रूप में विनाशकारी जलवायु संकट का खतरा है। कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर लगभग 1.4 करोड़ वर्ष पहले इतना अधिक था। गैस में पिछली रिकॉर्ड वार्षिक वृद्धि 2016 में हुई थी।
 

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Post By: Kesar Singh
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