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दुनिया
भारत के 100 शहर भयानक जल संकट की चपेट में हैं
Posted on 26 Apr, 2024 03:16 PMबेंगलुरु मेट्रो सिटी है। इसलिए जलसंकट का प्रचार ज्यादा हो रहा है। वैसा ही संकट देश के 90 प्रमुख शहरों में भी गहरा गया है, या कुछ समय बाद विकराल रूप में नजर आएगा। इन शहरों में दिल्ली ही नहीं पहाड़ों पर बसा शहर शिमला भी है। इसकी चर्चा आगे लेख में करूंगा। बात बेंगलुरु से शुरू हुई थी, इसलिए वहां उत्पन्न जल संकट की वजह पहले बताऊंगा। यह कोई नई पैदा हुई समस्या नहीं है। आजादी के बाद से ही जल संरचनाओं प

पानी संकट का वर्तमान-भूत-भविष्य
Posted on 25 Apr, 2024 03:35 PMजल की कमी समस्त देशों और महाद्वीपों के दायरों को लांघ कर विश्वव्यापी समस्या बन गई है। धरातल का दो-तिहाई हिस्सा जल से घिरा है, लेकिन इसका दो-तीन प्रतिशत ही इस्तेमाल किया जाता हैं। अंतरराष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान, कोलंबो सहित अनेक एजेंसियों का अनुमान है कि भविष्य में जल की कमी बड़ी समस्या होगी।

स्कूलों में पढ़ाया जाए जल-पाठ
Posted on 24 Apr, 2024 03:55 PMअगर हम समय से नहीं जागे तो भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के अनेक शहरों से ऐसे जल संकट के समाचार आएंगे। नीति आयोग द्वारा जून, 2018 में प्रकाशित 'समग्र जल प्रबंधन सूचकांक' शीर्षक रिपोर्ट में भी ऐसे जल संकट की तरफ संकेत दिए गए थे। रिपोर्ट में भारत जल गुणवत्ता सूचकांक में 122 देशों की सूची में 120वें स्थान पर था और जिसका लगभग 70% जल दूषित है। आज संपूर्ण विश्व में पर्यावरण रक्षा पर विशेष चर्चाएं हो रही

पानी के अखाड़े में चुनाव
Posted on 22 Apr, 2024 01:57 PMदुनिया में यह दौर सांस्कृतिक चेतना के उभार का है। इतिहास को फिर से टटोलने और अपने पुरखों की काबिलियत पर अभिमान का भी है। अपने अतीत में हम झांकते हैं, तो हमें पानी की अद्भुत विरासत भी मिलती है, बेहतरीन वास्तु, कला और कौशल से बनाए जलाशय भी, जिनके देश के हर इलाके में अलग-अलग नाम हैं। कहीं बावड़ी, कहीं बाओली, तो कहीं बाव। पानी को सहेजने के सैकड़ों साल पुराने इतने अद्भुत और वैज्ञानिक तरीके हैं कि हम

जल संकट के नगरीय आयाम क्या हैं
Posted on 19 Apr, 2024 11:33 AMजल, जीवन और संगीत एक दूसरे से गहरे रूप से जुड़े हुए हैं। जीवन जल में पैदा हुआ है, और जीवन व जल एक दूसरे के साथ चलते हैं। जल तरंग की तरह यह जानना-समझना जरूरी है कि पात्र में कितना जल है, उसमें कितना आघात करना है क्योंकि यही संगीत की मधुरता को सुनिश्चित करता है। जैसे हमारे जीवन में जीवन शैलीगत व्याधियां बढ़ी हैं, उसी तरह हमारे जीवन दर्शन की त्रुटियों ने भी हमारे जीवन में संकट को गहरा किया है। इसम

पर्यावरण कानून : विश्व भर में एक समान हों
Posted on 13 Apr, 2024 01:39 PMहाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अनुच्छेद 14 व 21 का दायरा बढ़ाकर स्वच्छ वातावरण और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को भी शामिल किया गया है.

अब प्रकृति का कर्ज चुकाने की बारी है
Posted on 23 Mar, 2024 04:45 PMप्राकृतिक सन्तुलन बनाए रखने के लिए हमें जल संरक्षण व पौधारोपण पर विशेष ध्यान देना होगा। यह कार्य हर आम व खास आदमी कर सकता है। जल संरक्षण एक सरल प्रक्रिया है...

प्रकृति से मुंह मोड़ने का नतीजा
Posted on 23 Mar, 2024 02:30 PMपिछले दस-पन्द्रह सालों में ही पर्यावरण का हल्ला अखबारों में हुआ है। अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर पर्यावरण पर सेमिनार होने लगे हैं। बड़े-बड़े प्रस्ताव पास किए जा रहे हैं। स्कूलों, कालेजों विश्वविद्यालयों में पर्यावरण विषय पर वाद-विवाद प्रतियोगिताएं होती हैं। अकाशवाणी व दूरदर्शन पर संवाद होते हैं। इन सबसे ऐसा लगता है जैसे पर्यावरण को लेकर सभी चिन्तित हैं। लेकिन हमारे देश में तीन सौ के आस-पास विश्वविद्य

कौन निकालेगा पर्यावरण प्रदूषण के चक्रव्यूह से
Posted on 23 Mar, 2024 02:06 PMपर्यावरण प्रदूषण स्वयं मनुष्य की पैदा की हुई समस्या है। प्रारम्भ में पृथ्वी घने वनों से भरी हुई थी, लेकिन आबादी बढ़ने के साथ ही मनुष्य ने अपनी आवश्यकता के अनुसार बसाहट, खेती-बाड़ी आदि के लिए वनों की कटाई शरू की। औद्योगिकीकरण के दौर में तो पर्यावरण को पूरी तरह अनदेखा कर दिया गया। प्राकृतिक संसाधनों का न केवल पूरी मनमानी के साथ दोहन किया गया बल्कि जल और वायु प्रदूषण भी शुरू हो गया। कारखानों से नि

बाढ़ और सूखा वन-विनाश के दो पहलू
Posted on 09 Mar, 2024 03:41 PMआज आधुनिकता की अन्धी सड़क और बढ़ती आबादी के अन्धे स्वार्थ ने पेड़ों का पीछा कर रही है। मूक और अचल जंगल भाग नहीं सकते। मनुष्यों की क्रूरता के कारण वे नष्ट हो रहे हैं। रोज लाखों-करोड़ों वृक्षों का जीवन समाप्त कर देता है मनुष्य ! पेड़ प्रतिशोध नहीं लेते, किन्तु प्रकृति का अदृश्य सन्तुलन चक्र वन-विनाश के भावी परिणामों का हल्का संकेत तो देता ही है-प्रलयकारी बाढ़ों और भयावह सूखे के रूप में।
