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कैमरून में घटते जल संसाधन
प्राकृतिक संसाधनों से जीवन यापन करने वाले समुदायों – चरवाहों, मछुआरों और किसानों के बीच जारी है खूनी संघर्ष Posted on 27 Oct, 2023 12:48 PM

उत्तरी कैमरून में सिकुड़ते पानी के स्रोतों को लेकर तनाव के चलते 5 दिसंबर 2021 को शुरू हुए जातीय संघर्षों के बाद एक लाख लोग विस्थापित हुए हैं। इस क्षेत्र में पानी का दबाव, लंबे समय से चले आ रहे जातीय तनावों के बाद अब समुदायों की हथियारबंद झड़पों में बदल रहा है।

कैमरून में घटते जल संसाधन
जलवायु के दुश्मन दुनिया को बचने देंगे ?
कुछ वर्षों में पूरी दुनिया में एक ओर भारी वर्षा ,तूफान और बाढ आरही है वहीं दूसरी ओर गर्मी और लू का प्रकोप भी बढा है। भारत में भी गर्मी बढने के कारण ग्लेशियर पिघलने की रफ्तार तेज हो गई है। संभव है कुछ दशक के बाद गंगा और यमुना जैसी नदियों में ग्लेशियरों के समाप्त होजाने के कारण पानी आना बंद हो जाये।  Posted on 27 Oct, 2023 12:36 PM

31 अक्टूबर से ग्लासगो (ग्रेट ब्रिटेन) मे COP26 विश्व पर्यावरण सम्मेलन हो रहा है। इसमें चीन को छोड़कर दुनिया के अधिकांश राजप्रमुख शामिल हो रहे हैं। इसे दुनिया को बचाने का आखरी मौका माना जा रहा है। दुनिया मे बढते प्रदूषण को लेकर यह छब्बीसवां अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन है, पर इतने वर्षों के प्रयास के बावजूद अपेक्षित परिणाम क्यों नहीं निकल रहे हैं?

जलवायु के दुश्मन दुनिया को बचने देंगे
अपनी कब्र खोद रही है दुनिया – सोपान जोशी
क्लाइमेट चेंज; इन दो शब्दों ने दुनिया को डिस्टर्ब कर रखा है. हम दो तरह की बातें अक्सर सुनते हैं. एक तो ये कि इससे दुनिया को क्या क्या और कैसे कैसे खतरे हैं और दूसरा ये कि इन खतरों से निपटने के लिए दुनिया भर के राजनीतिज्ञ क्या क्या राजनीति करने में मशगूल हैं। हममें से कम ही लोगों को इस बात का एहसास होगा कि यह दुनिया को उसके अंत तक भी ले जा सकता है. अगर आपको इस बात पर भरोसा नहीं हो रहा है, तो कोई बात नहीं, यह साक्षात्कार पूरा पढ़ने के बाद हो जाएगा. सोपान जोशी जल मल थल किताब के लेखक हैं और क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर लगभग पचीस सालों से सघन काम कर रहे हैं। क्लाइमेट चेंज का कांसेप्ट आखिर है क्या चीज़? क्या हमारे विकास में ही हमारे विनाश के बीज छुपे हुए हैं और क्या क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभावों से हम इस दुनिया को महफूज़ रख पाएंगे? इन्हीं और ऐसे ही सवालों पर सोपान जोशी से यह बातचीत की है नितिन ठाकुर ने Posted on 27 Oct, 2023 12:09 PM

प्रश्न- क्लाइमेट चेंज की भारत में जो स्थिति है, सो तो है ही, लेकिन विदेशों में; खासकर विकसित देशों में, अपनी हर समस्या के समाधान के लिए जिनकी तरफ हम देखते हैं, उनकी क्या स्थिति है, वो क्या कर रहे हैं?

अपनी कब्र खोद रही है दुनिया
बिगड़ रहा है पर्वतीय संतुलन
नासा की एक खोज के अनुसार अंटार्कटिका में औसतन 150 बिलियन टन और ग्रीनलैंड आइस कैप में 270 बिलियन टन बर्फ प्रति वर्ष पिघल रही है। आगे आने वाले समय में सिंधु, गंगा और ब्रह्मपुत्र आदि नदियां सिकुड़ जाएंगी और बढ़ता हुआ समुद्री जल स्तर खारे पानी की वजह से डेल्टा क्षेत्र को मनुष्य के रहने लायक नहीं छोड़ेगा। Posted on 21 Oct, 2023 12:11 PM

वैश्विक स्तर पर पर्यावरण के दोहन से पृथ्वी पर जीव जंतुओं, वनस्पतियों; यहां तक कि मनुष्य के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिह्न लग गया है। जीवन जल, वायु, अग्नि, मिट्टी और आकाश इन पांच तत्वों से मिलकर बना है। केवल अग्नि को छोड़कर शेष चारों तत्व आज सीधे तौर पर मनुष्य द्वारा इतने प्रदूषित कर दिए गए हैं कि मनुष्य स्वयं अपना जीवन लील रहा है, आगे आने वाली पीढ़ियों पर अस्तित्व का भयंकर संकट मंड़रा रहा है। इन चा

महंगा पड़ेगा पर्वतीय असंतुलन,Pc- सर्वोदय जगत
बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय
हिमालय एक भूकंप-प्रवण क्षेत्र है। यहां तक कि कम क्रम वाला भूकंप भी इस क्षेत्र के कई हिस्सों में भीषण आपदा को जन्म दे सकता है। भारत, नेपाल और भूटान में हिमालय की 273 जलविद्युत परियोजनाओं में से लगभग एक चौथाई में भूकंप और भूस्खलन से गंभीर क्षति होने की आशंका है। सड़क चौड़ीकरण और जल विद्युत परियोजनाओं के बेलगाम विकास से हिमालय के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को बचाना होगा। पर्यावरणीय नियमों का पालन न करने से बड़े पैमाने पर नुकसान हो सकता है, जिससे लाखों लोगों की जिंदगी पलक झपकते ही ख़तम हो सकती है। Posted on 21 Oct, 2023 11:37 AM

ध्रुवीय क्षेत्रों के बाहर, हिमालयी ग्लेशियर ताजे पानी का सबसे बड़ा स्रोत हैं। हिमालयी क्षेत्र में हिमपात और हिमनद पूरे उपमहाद्वीप में विभिन्न नदियों के लिए पानी के मुख्य स्रोत हैं। ये स्रोत ब्रह्मपुत्र, सिंधु और गंगा जैसी नदी प्रणालियों में पानी के सतत प्रवाह को बनाए रखने में मदद करते हैं। एक अरब से अधिक लोगों का जीवन इन नदियों पर निर्भर है। वैश्विक तापमान में वृद्धि के साथ, हिमालय के ग्लेशियर

बेतरतीब विकास और जलवायु परिवर्तन से संकट में हिमालय,pc-सर्वोदय जगत
गंगा को जान-बूझकर मारा जा रहा है–राजेन्द्र सिंह
राजेन्द्र सिंह, जिन्हें जलपुरुष और पानी बाबा के रूप में सम्मानित किया जाता है, 1 जनवरी को बनारस में पहुंचे। उनका उद्देश्य था कि वे काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के नाम पर हो रही राजनीतिक हंगामे की सच्चाई को सामने लाएं और गंगा के किनारे हो रहे विकास कार्यों का मूल्यांकन करें। बनारस को सुंदरता से सजाने के लिए सोशल मीडिया पर प्रसारित किए गए फोटो और वीडियो से लोगों को मुग्ध करने का प्रयत्न हुआ है। लोग समझते हैं कि बनारस में समृद्धि का संकेत है, और गंगा में प्रकृति से मेल है। परंतु, हमने मणिकर्णिका और ललिता घाट पर पहुंचकर, समस्या की हकीकत से मुकाबला किया। नए-नए खिड़किया घाट की प्रतीक्षा में हम पहुंचे, पर हमें मिला तो सिर्फ निराशा ही निराशा। राजेन्द्र सिंह क्रोध से लाल-पीले हो कर कहते हैं, कि गंगा को जान-बूझकर मारा जा रहा है। Posted on 19 Oct, 2023 03:05 PM

आज सुबह जब मैं बनारस में गंगा जी के घाटों पर गया, तो ललिता घाट से पैदल गुजरते हुए मैंने लक्ष्य किया कि दक्षिणवाहिनी गंगा जब बनारस में उत्तरवाहिनी होती है तो एक अर्द्धचन्द्राकार हार सी आकृति बनाती है. पहले वहां एक निरवरोध प्रवाह बना रहता था. ललिता घाट पर बनने वाला वह प्राकृतिक वृत्त, आज देखा तो नष्ट कर दिया गया है और वहां अब एक त्रिकोण सा निर्मित हो गया है.

वाराणसी के खिड़किया घाट पर गंगा के प्रवाह क्षेत्र के लगभग 50 मीटर भीतर चल रहा निर्माण,Pc-सर्वोदय जगत
बोतलबंद इंडस्ट्री पर एक नजर
बोतलबंद पानी का सेवन स्वास्थ्य के लिए उतना ही खतरनाक है, जितना कि नल का पानी, क्योंकि बोतलबंद पानी में भी अनेक प्रकार के जीवाणु मौजूद होते हैं, जो सेण्टर फॉर एनवायरमेन्ट और विश्व के कई देशों में की गई शोध-प्रक्रिया से पता चलता है। भारत में बोतलबंद पानी के मार्केट में तेजी से वृद्धि होने से, पानी के संसाधनों पर कॉरपोरेट का हस्तक्षेप भी बढ़ता जा रहा है, जिससे पानी की समस्या और भी गहराई में पहुंच सकती है। इसलिए, हमें बोतलबंद पानी का सेवन कम से कम करना चाहिए, और साथ ही पानी के संरक्षण में सहयोग करना चाहिए।
Posted on 19 Oct, 2023 11:58 AM

पेयजल सहित औसत घरेलू पानी की मांग वर्ष 2000 में 85 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन (एलपीसीडी) से बढ़कर क्रमशः 2025 और 2050 तक 125 एलपीसीडी और 170 एलपीसीडी हो जाएगी। इस बीच बोतल बंद पानी की बिक्री में बढ़ोत्तरी हुई है। ट्रेड प्रमोशन काउंसिल ऑफ इंडिया के अनुसार भारत में पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर बॉटल का बाजार 2020 में 36000 करोड़ रुपये का आँका गया था। 2023 के अंत तक इसके 60000 करोड़ रुपए तक पहुंच जाने क

बोतलबंद इंडस्ट्री पर एक नजर
बैटरी-वाहन सुखा सकते हैं पानी के स्रोत
लीथियम खनन के कारण अर्जेंटीना के अपने क्षेत्र का पारिस्थितिक संतुलन बिगड़ रहा है, इसका विरोध हाइड्रोलॉजिस्ट और संरक्षणवादी कर रहे हैं। उच्च एंडीज में रहने वाले मूल निवासियों का कहना है कि लीथियम बैटरी से चलने वाली हरित क्रांति के लिए उनका पानी, जो उनके परिवार, पशुपालन, और चरागाहों के लिए महत्वपूर्ण है, समाप्त होता जा रहा है Posted on 18 Oct, 2023 12:58 PM

सितम्बर 2022 में चंडीगढ़ प्रसाशन ने एक अधिसूचना जारी की थी, जिसके मुताबिक चंडीगढ़ शहर में प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए दो साल में पेट्रोल मोटरसाइकिल का पंजीकरण बंद हो जायेगा, सिर्फ ई-बाइकों का ही पंजीकरण होगा। पांच वर्षों में पेट्रोल-डीजल की कारों को भी आधा करने की तैयारी है। नया ई-वाहन खरीदने पर लोगों को तीन हजार से लेकर दो लाख तक का इंसेंटिव भी मिलेगा।

पोटोसी, बोलीविया की एक खदान में वाष्पीकरण पूल में पंप किया जाता हुआ लीथियम युक्त नमकीन,Pc-  सर्वोदय जगत
एक नज़र : जलवायु परिवर्तन पर(climate change)
आधुनिक समय में मौसम विज्ञान बहुत अधिक विकसित हो चुका है फिर भी प्रायः मौसमविदों की भविष्यवाणियां निरर्थक हो जाती हैं। ऐसे में यह विचार कौंधता है कि क्या इसमें भारतीय ऋतु विज्ञान की सहायता नहीं ली जा सकती मने ही पराधीन काल में भारतीय ऋतु विज्ञान उपेक्षित रहा हो किन्तु अब  स्वतंत्र देश में उसका परीक्षण तो किया ही जा सकता है। Posted on 14 Oct, 2023 06:13 PM

प्रायः ऋतुओं के समय में विचित्र एवं असम्भावित परिवर्तन होते रहते हैं जिससे ऋतुओं का प्रारम्भ अपने निर्धारित क्रमानुसार नहीं होता जैसा कि होना चाहिए। निर्धारित समय से पूर्व वर्षा ऋतु का आगमन या अमृतपूर्व शीतलहरी आदि अप्रत्याशित घटनाओं को देखकर वैज्ञानिकों का ध्यान विपर्यय की ओर गया है। देश-विदेश के विशेषज्ञ अन्तराष्ट्रीय स्तर पर इस समस्या के अध्ययन में लगे हुए हैं। इसे जलवायु परिवर्तन कहते हैं।

ऋतुचक्र का बदलाव
अतुल्य भारत की बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा आर्द्रभूमियाँ
इस सम्मेलन में यह निश्चित किया गया कि प्रतिवर्ष संपूर्ण विश्व में 2 फरवरी का यह दिन "विश्व आर्द्रभूमि दिवस" के रूप में मनाया जायेगा। इसका मुख्य उद्देश्य ग्लोबल  वॉर्मिंग का सामना करने में आर्द्रभूमि, जैसे दलदल अथवा मैनग्रोव के महत्व के बारे में जागरुकता फैलाना है। वर्ष 2020 में विश्व आर्द्रभूमि  दिवस के दिन इस विषय को सर्वोपरि रखा गया और आर्द्रभूमि की वर्तमान स्थिति, जैव-विविधता और उससे जुड़े अनेकानेक विषयों पर प्रकाश डाला गया। उसमें हुई क्षति की भरपाई करने के उपायों पर बातचीत की गई और इस महत्वपूर्ण विषय को बढ़ावा दिया गया। Posted on 13 Oct, 2023 05:36 PM

वेटलैंड(आर्द्रभूमि) एक विशिष्ट प्रकार का पारिस्थितिकीय तंत्र है तथा जैव-विविधता का एक महत्त्वपूर्ण अंग है। जलीय एवं स्थलीय जैव-विविधताओं का मिलन स्थल होने के कारण यहाँ वन्य प्राणी प्रजातियों व वनस्पतियों की प्रचुरता पाए जाने की वजह से वेटलैंड समृद्ध पारिस्थतिकीय तंत्र है। आज के आधुनिक जीवन में मानव को सबसे बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन से है और ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि हम अपनी जैव-विविधता का

अतुल्य भारत की बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा आर्द्रभूमियाँ
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