Posted on 22 Mar, 2010 11:43 AM पाही जोतै तब घर जाय। तेहि गिरहस्त भवानी खायँ।।
शब्दार्थ- पाही-किसान का वह खेत जो निवास स्थान से कुछ अधिक दूर हो।
भावार्थ- जो किसान दूसरे गाँव में खेती करता है और उसे जोत-बोकर घर चला जाता है, उसे भवानी खा जाये तो अच्छा है अर्थात् पाही काश्तकार को पाही पर रहना आवश्यक होता है।
Posted on 22 Mar, 2010 09:52 AM दुइ हर खेती यक हर बारी। एक बैल से भली कुदारी।।
शब्दार्थ- हर-हल।
भावार्थ- यदि किसान के पास दो हल हैं तो खेती और एक हल है तो साग तरकारी की बाड़ी अच्छी होती है और जिस किसान के पास एक ही बैल हो तो उससे अच्छा है वह कुदाल ही रखे।