बीघा बायर होय बाँध जो होय बँधाये।
भरा भुसौला होय बबुर जो होय बुवाये।
बढ़ई बसे समीप बसूला बाढ़ धराये।
पुरखिन होय सुजान बिया बोउनिहा बनाये।
बरद बगौधा होय बरदिया चतुर सुहाये।
बेटवा होय सपूत कहे बिन करे कराये।
शब्दार्थ- बायर-चक। बाढ़- धार। बगौधा-खाकी रंग का, भूरा।
भावार्थ- यदि किसान का खेत एक चक में हो, खेत के चारों ओर सिंचाई के लिए बाँध बँधे हों, भुसौला (भूसा का घर) भरा हुआ हो, बबूल के पेड़ हो और बढ़ई पास में बसा हो, उसका बसूला तेज हो, घर की मालकिन गृहस्थी में होशियार हो और बीजों को बोने योग्य बना ले, उसके बैल बगौधे नस्ल के हों, हलवाहा नेक और समझदार हो, बेटा सपूत हो और बाप के बिना कहे सारे काम-काज करा सके, तो उसे अच्छा किसान कहा जा सकता है।
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