सावन सोये ससुर घर भादों खाये पूवा


सावन सोये ससुर घर भादों खाये पूवा।
खेत-खेत में पूछत डोलैं तोहरे केतिक हूवा।।


भावार्थ- आलसी और सुस्त किसान सावन मास में ससुराल में रहे, भादों में पूवा खाता रहे और फसल पकने पर दूसरों से पूछता फिरता रहे कि तुम्हारे खेत में कितनी पैदावार हुई? ऐसा किसान किसी लायक नहीं होता है और सदैव परेशान रहता है।

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Post By: tridmin
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