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कामिनि गरभ औ खेती पकी
Posted on 22 Mar, 2010 08:46 AM
कामिनि गरभ औ खेती पकी।
ये दोनों हैं दुर्वल बदी।।


भावार्थ- ऐसा माना जाता है कि गर्भवती स्त्री और पकी खेती दोनों दुर्बल होती है।

कपास चुनाई। खेत खनाई
Posted on 22 Mar, 2010 08:43 AM
कपास चुनाई। खेत खनाई।।

भावार्थ- कपास चुनने से और खेत को खोदने से लाभ की सम्भावना बढ़ जाती है।

एक हर हत्या दो हर काज
Posted on 22 Mar, 2010 08:41 AM
एक हर हत्या दो हर काज।
तीन हर खेती चार हर राज।।


भावार्थ- यदि किसान के पास एक हल की खेती है, तो हत्या के बराबर है, दो हल की खेती है, तो काम चलाऊ है, लेकिन यदि किसान के पास तीन हल या चार हल की खेती है तो वह राजा के बराबर है।

उर्द मोथी की खेती करिहौ
Posted on 20 Mar, 2010 04:58 PM
उर्द मोथी की खेती करिहौ।
कुँड़िया तोर उसर में धरिहौ।।


शब्दार्थ- कुड़िया-कूँड़ा (मिट्टी का घड़ा जिसमें अनाज रखा जाता है)।

भावार्थ- यदि उरद और मोथी की खेती करोगे तो कूँड़ा को तोड़ कर ऊसर में रखना पड़ेगा क्योंकि उर्द और मोथी की फसल ऊसरीली जमीन में अधीक होती है।

ऊख करै सब कोई
Posted on 20 Mar, 2010 04:54 PM
ऊख करै सब कोई।
जो बीच में जेठ न होई।।


भावार्थ- यदि ज्येष्ठ जैसा गर्मी का महीना न हो तो हर किसान ईख की खेती करना चाहेगा।

उत्तम खेती मध्यम बान
Posted on 20 Mar, 2010 04:15 PM
उत्तम खेती मध्यम बान।
निषिद चाकरी भीख निदान।।


भावार्थ- घाघ का कहना है कि खेती सबसे अच्छा कार्य है। व्यापार मध्यम है, नौकरी निषिद्ध है और भीख माँगना सबसे बुरा कार्य है।

इतवार करै धनवन्तरि होय
Posted on 20 Mar, 2010 04:11 PM
इतवार करै धनवन्तरि होय, सोम करै सेवा फल होय।
बुध बिहफै सुक्रै भरै बखार, सनि मंगल बीज न आवै द्वार।।

आधा खेत बटैया देके
Posted on 20 Mar, 2010 04:08 PM
आधा खेत बटैया देके, ऊँची दीह किआरी।
जो तोर लइका भूखे मरिहें, घघवे दीह गारी।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि यदि किसान के पास खेत अधिक है तो आधा बटाई पर दे देना चाहिए और आधे खेत में ऊँचे मेंढ़ बाँधकर खेती करनी चाहिए। यदि इतना करने पर भी पैदावार अच्छी न हो तो मुझे गाली देना।

आसपास रबी बीच में खरीफ
Posted on 20 Mar, 2010 04:06 PM
आसपास रबी बीच में खरीफ।
नोन मिर्च डालके का गया हरीफ।।


शब्दार्थ- हरीफ- शत्रु, प्रतिद्वंदी।

भावार्थ- यदि किसान ने खरीफ की फसल के चारों तरफ रबी की फसल की बोवाई की है तो उसका शत्रु नमक मिर्च लगा कर उसे खा जायेगा अर्थात् पैदावार अच्छी नहीं होगी।

खेती सम्बन्धी कहावतें
Posted on 20 Mar, 2010 04:02 PM
आकर कोदो, नीम जवा।
गाडर गेहूँ, बैर चना।।


शब्दार्थ- आकर-मदार। गाडर- एक घास जिसकी जड़ ‘खस’ कहलाती है।

भावार्थ- जिस वर्ष मदार खूब फूलें औऱ फलें तो समझो उस वर्ष कोदों की पैदावार अच्छी होगी। जब गाडर घास की अधिकता हो तो गेहूँ की फसल अच्छी होती है। जब बेर की फसल अच्छी हो तो चना की पैदावार अच्छी होती है।

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