उत्तम खेती जो हर गहा। मध्यम खेती जो सँग रहा।
जो पूछेसि हरवाहा कहाँ। बीज बूड़िगे तिनके तहाँ।।
भावार्थ- घाघ कहते हैं कि किसान स्वयं हल जोतता है उसकी खेती श्रेष्ठ होती है, जो हलवाहे के साथ रहता है उसकी मध्यम, लेकिन जो यह पूछता है कि हलवाहा कहाँ हैं? उसका बीज भी व्यर्थ चला जाता है।
Path Alias
/articles/utatama-khaetai-jao-hara-gahaa