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बयाबानों के शाह
Posted on 21 Nov, 2014 11:59 AM

अगर हमें हमारी आने वाली पीढ़ियों को बचाना है तो हमें यानी समाज को और धार्मिक अगुआ को मिट्टी, ज

जल मंथन का आयोजन
Posted on 20 Nov, 2014 04:33 PM जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जल मंथन का आयोजन हो रहा है।

दिनांक : 20-22 नवंबर, 2014
स्थान : विज्ञान भवन, नई दिल्ली में


“जल मंथन” जल संसाधनों के अधिकतम उपयोग के मुद्दों पर ध्यान देने के लिए राज्यों के सिंचाई/जल संसाधन मंत्रियों, जल संसाधन, सचिवों, स्वैच्छिक संगठनों और अन्य पणधारियों के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने के लिए जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय की एक पहल है। इसमें मंत्रालय की नीतियों को और अधिक लोक-हितैषी तथा राज्यों की आवश्यकताओं के प्रति क्रियाशील बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
मौत के ख़िलाफ़ मोर्चाबंदी
Posted on 20 Nov, 2014 02:13 PM

यह सच है कि पदार्थ जगत की शक्ति बहुत ही भयावह होती है तथा भूकंप जैसी घटनाएं विनाश से बचने की हम

धरती से सूखा भगाने के लिये
Posted on 20 Nov, 2014 11:39 AM

पिछले 200 बरसों में बने संबंधों, तरीकों इत्यादि को आवश्यकता अनुसार बदलना होगा और उनकी जगह जो ब

प्याली से थाली तक जहर
Posted on 20 Nov, 2014 10:15 AM खाद्य-वस्तुओं में जहरीले रसायनों के अलावा कई दूसरी किस्म की खतरनाक चीजें मिलाकर नागरिकों के जीवन और स्वास्थ्य से खिलवाड़ किया जा रहा है। कई नामी-गिरामी कंपनियों के उत्पाद भी विश्वसनीय नहीं रह गए हैं। कड़े कानून होने के बावजूद निगरानी तंत्र कोई कारगर कार्रवाई नहीं कर रहा है। इसका जायजा ले रहे हैं अभिषेक।
Thali mai jahar
स्वच्छता अभियान और मानव जीवन
Posted on 20 Nov, 2014 09:40 AM

गंगा की सफाई को लेकर प्रधानमंत्री अभिभूत हैं, इसके लिए उन्होंने एक पूर्व मुख्यमंत्री और राज्यमं

वन-महोत्सव
Posted on 19 Nov, 2014 02:50 PM बहुउपयोगी कार्यक्रम ‘पंचज’ से तात्पर्य है कि-

ज = जल (पानी)
ज = जंगल (वन)
ज = जर (जायदाद)
ज = जमीन (भूमि)
ज = जन (जनता)

जंगल हमारे जीवन में कितनी अहम भूमिका निभाते हैं? इससे हमें भलीभांति परिचित होना ही होगा, अन्यथा बहुत देर हो जाएगी। कल्पना करें कि यदि यह वृक्ष आपस में बातें कर अपनी व्यथा/कहानी सुनाते तो वे क्या कहते। सुनो-
वन-संसाधन के अतिदोहन के दूरगामी परिणाम
Posted on 19 Nov, 2014 02:43 PM आज जनसंख्या वृद्धि के साथ वन का विनाश भी बढ़ने लगा है। लोगों को यह
पादप एवं पर्यावरण
Posted on 18 Nov, 2014 04:28 PM बाढ़ी आवत देखि करि, तरुवर डोलन लाग।
हम्म कटे की कुछ नहीं, पंखेरू घर भाग।।

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