भारत

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जल-प्रबंधन
Posted on 17 Nov, 2014 01:37 PM वाटरशेड प्रबंधन योजनाओं द्वारा ही भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले देश
भूजल संकट : कृषि के लिए घातक
Posted on 17 Nov, 2014 01:17 PM वर्तमान में कृषि, पशु-पालन, उद्योग-धंधों तथा पेयजल हेतु नदी जल व भू
वैदिक वाङ्मय में पर्यावरण
Posted on 17 Nov, 2014 12:32 PM

(जल के विशेष संदर्भ में)

सृष्टि का दुःदोहन
Posted on 16 Nov, 2014 03:49 PM ऊपर असीम नभ का वितान
नीचे अवनि का विकल वदन
वसन हीन तरु करते प्रलाप
गिरिवर का तप्त झुलसता मन

भोर लाज से हो रही लाल
दिवस व्यथित हो रहा उदास
सांध्य पटल पर गहन तिमिर
करने को आतुर प्रलय हास

उद्दाम तरंगें सागर की
सब कूल-किनारे तोड़ चलीं
उन्मुक्त लालसा मानव की
प्रकृति की छवि मानो लील चली
राष्ट्रीय नदी संरक्षण-योजना
Posted on 16 Nov, 2014 03:44 PM गंगा-कार्य योजना के प्रथम चरण से जो बात सामने आई वह है-ऊर्जा, जल तथ
जल-संरक्षण और पर्यावरण
Posted on 16 Nov, 2014 11:39 AM

आज कृषि और उद्योग क्षेत्रों में जल की बढ़ती हुई मांग के कारण कई राष्ट्रों में जल का भीषण संकट उ

जल स्वराज : मुमकिन है
Posted on 15 Nov, 2014 01:12 PM
पानी के प्रबंध की फिलासफी का अंतिम लक्ष्य जल स्वराज है। जलस्वराज, हकीकत में पानी के प्रबंध की वह आदर्श व्यवस्था है जिसमें हर बसाहट, हर खेत-खलिहान तथा हर जगह जीवन को आधार प्रदान करती पानी की इष्टतम उपलब्धता सुनिश्चित होती है।

जल स्वराज, हकीकत में पानी का ऐसा सुशासन है जो जीवधारियों की इष्टतम आवश्यकता के साथ-साथ पानी चाहने वाले प्राकृतिक घटकों की पर्यावरणी जरूरतों को बिना व्यवधान, पूरा करता है।

वह, जीवधारियों को जल जनित कष्टों से मुक्त करता है। उन्हें आरोग्य प्रदान करता है। स्वचालित एवं स्वनियंत्रित प्राकृतिक व्यवस्था की मदद से पानी को खराब होने से बचाता है। खारे पानी को शुद्ध करने के लिए वाष्पीकरण को मदद करता है।
Talab
प्रकृति
Posted on 15 Nov, 2014 11:29 AM

इस विकास में बड़ी आसानी से एक के लिये दूसरे की बलि दे दी जाती है। इस तरह यह विकास हिंसा पर आधार

कचरा सिर्फ सड़क पर नहीं होता
Posted on 15 Nov, 2014 10:40 AM स्वच्छ भारत अभियान या सफाई के कार्यक्रम का स्वागत इसलिए करना चाहिए क्योंकि यह “फैशनेबल इवेंट“ नहीं, बल्कि प्रायश्चित का कार्यक्रम है। ‘झाड़ू’ गांधी की सामाजिक विषमता तथा जात-पात पर आधारित ऊंच-नीच की भावना समाप्त करने वाली सामाजिक क्रांति का प्रतीक थी। वैसे भी क्रांति का अंकगणित नहीं होता, ’प्रतीक’ होते हैं। झाड़ू या सफाई का कार्यक्रम जाति निवारण का वर्ग निराकरण का भी प्रतीक था।

उस क्रांति के पीछे भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व भावना निर्माण करना, जो धर्म, भाषा, प्रदेश या वर्ग पर आधारित सभी भेदभाव के परे हो, की भावना थी। असमानता में विश्वास रखने वालों के लिए स्वच्छता अभियान अखबार की खबर और हाथ में झाड़ू लेकर फोटो का पोज छपवा लेने का कार्यक्रम है।
swatch bharat
स्वच्छता की हकीकत और बच्चे
Posted on 15 Nov, 2014 10:04 AM भारत में स्वच्छता का नारा काफी पुराना है, लेकिन अभी भी देश की एक बड़ी आबादी गंदगी के बीच अपना जीवन बिताने को मजबूर है। 2011 की जनगणना के अनुसार, राष्ट्रीय स्वच्छता कवरेज 46.9 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह औसत केवल 30.7 प्रतिशत है।

अभी भी देश की 62 करोड़ 20 लाख की आबादी यानी राष्ट्रीय औसत 53.1 प्रतिशत लोग खुले में शौच करने को मजबूर हैं। राज्यों की बात करें तो मध्य प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में शौचालय के उपयोग की दर 13.6 प्रतिशत, राजस्थान में 20 प्रतिशत, बिहार में 18.6 प्रतिशत और उत्तर प्रदेश में 22 प्रतिशत है। केवल ग्रामीण ही नहीं,बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी शौचालयों का अभाव है।

यहां सार्वजनिक शौचालय भी पर्याप्त संख्या में नही हैं, जिसकी वजह से हमारे शहरों में भी एक बड़ी आबादी खुले में शौच करने को मजबूर है। इसी तरह से देश में करीब 40 प्रतिशत लोगों को पीने योग्य स्वच्छ पानी उपलब्ध नहीं है।
Sanitation
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