Science to beyond science - to govern groundwater sustainably
Modelling or divining are two different methods used by scientists and farmers to trace groundwater availability in Tamil Nadu and can play an important role in sustainable management and governance of groundwater in the state.
Groundwater practices in Tamil Nadu (Image Source: India Water Portal)
जल संरक्षण एक राष्ट्रीय दायित्व
शहरों में भूजल स्तर लगातार नीचे को खिसकता जा रहा है। पारंपरिक जल संरक्षण के व्यावहारिक उपायों को हमने आधुनिकता के दबाव में त्याग दिया। आज जल संरक्षण को एक राष्ट्रीय दायित्व के रूप में अपनाने का समय आ गया है। लेखक भारतीय संदर्भ में जल संसाधन के अनुभवी विशेषज्ञ है और प्रस्तुत लेख में उन्होंने भारत में जल के भौगोलिक वितरण, वर्षा के पैटर्न, पेयजल, तालाब संस्कृति और जल संरक्षण हेतु जल जागरूकता जैसे मुद्दों पर चर्चा की है।
जल संरक्षण एक राष्ट्रीय दायित्व,Pc-DB
Study suggests continuous monitoring of the water and soil quality in wastewater irrigated areas in Musi basin
Heavy metals, physical and biological parameters were analysed in water, soil, and crops in Musi River basin
Musi is polluted due to municipal sewage and industrial wastewater (Image: Muhammed Mubashir, Wikimedia Commons)
जल प्रबंधन में आदर्श गांव बनने को तैयार है पल्थरा
पल्थरा एक छोटा सा आदिवासी गांव है, जो मध्यप्रदेश के पन्ना जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर जंगल में है। यहां समुदाय ने आगे बढ़कर जल प्रबंधन का काम अपने हाथ में ले लिया है और यहां न केवल वर्तमान में नल-जल योजना का सुचारू संचालन हो रहा है, बल्कि भविष्य में पानी की दिक्कत न हो, इस पर भी ध्यान दिया जा रहा है। यहां हर घर में नल कनेक्शन है।
जल प्रबंधन में आदर्श गांव बनने को तैयार है पल्थरा
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव (Effects of Global Warming in Hindi)
पृथ्वी का औसत बार्षिक तापमान लगभग 15° C है। यदि ग्रीनहाऊस गैस न हो तो पृथ्वी का तापमान गिरकर लगभग 20°C हो जाएगा। पृथ्वी को गर्म रखने की वायुमंडल की यह क्षमता ग्रीनहाऊस गैसों की उपस्थिति पर निर्भर करती है। यदि इन ग्रीनहाऊस गैसों की मात्रा में वृद्धि हो जाए तो ये अल्ट्रावॉयलेट (पराबैंगनी किरणों को अत्यधिक मात्रा में अवशोषित कर लेंगी।
ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव,Pc-Hwp
Desalination via solar energy for sustainable development
The economic viability of solar desalination methods is the primary obstacle
The challenge is of ascertaining how renewable energy sources can be utilized to operate a desalination system (Image: Vmenkov, Wikimedia Commons)
Learning their way to water security and better incomes
Facilitating varied interventions to improve the health of the village commons
Pastureland (Image: FES)
WMO annual report emphasises how quickly climate change is progressing
The WMO State of the Global Climate report 2022 focuses on key climate indicators – greenhouse gases, temperatures, sea level rise, ocean heat and acidification, sea ice and glaciers.
Ocean heat content reached a new observed record high in 2022 (Image: Maxpixel)
समुद्री शैवाल की खेती और प्रसंस्करण क्षेत्र असंख्य संभावनाएं
वैश्विक दृष्टि से समुद्री शैवाल का उत्पादन लगभग 32.59 मिलियन टन के नए शिखर पर पहुंच गया है, जिसकी कीमत लगभग 13.3 बिलियन अमेरीकी डॉलर है। इसमें से तकरीबन 97.1% (91.5 मिलियन टन) पूरी तरह से समुद्री शैवाल की खेती द्वारा उत्पन्न किया जाता है
समुद्री शैवाल की खेती,Pc-Forbes india
पर्यावरण रक्षक सिद्ध गिद्ध
पहले हमारे शहरों, खासकर हमारे गाँवों के गोचर व कचरे वाले स्थल, व जंगलों में इनकी संख्या बहुत हुआ करती थी, लेकिन अब यदाकदा ही हमें गिद्ध कहीं नजर आते हैं। गिद्ध पक्षी को रामायण में जटायु के रूप में रावण से लड़कर मरने के कारण हम उसे श्रद्धा से देखते हैं, जबकि आमतौर पर इसे घृणित और बदसूरत पक्षी के रूप में जानते हैं व मरे हुए जानवरों के माँस को खाने के कारण हम इन्हें कम पसन्द करते हैं। लेकिन इसके इस महत्वपूर्ण काम के लिए इसे हम पर्यावरण का रक्षक भी कहते हैं
गिद्ध, साभार - विकिपीडिया
ई-कचरा : पर्यावरण प्रदूषण का नया आयाम
सेलफोन, टेलीविजन कम्प्यूटर व लैपटॉप आदि ने संचार की दुनिया का परिदृश्य बदला, वहीं दूसरी ओर इससे उपजे कचरे ने पर्यावरण असंतुलन में भयानक योगदान दिया है। दरअसल इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के बढ़ते प्रयोग के साथ-साथ ई-कचरे के परिमाण में भी अभिवृद्धि हुई है। खराब अथवा प्रयोग में न आने वाले मोबाइल फोन, टीवी, कम्प्यूटर, प्रिन्टर, छायाकन मशीन, रेडियो, ट्रांजिस्टर आदि उपकरणों का ढेर विश्वव्यापी समस्या बन चुके हैं।
ई-कचरा
सीसा प्रदूषण का अर्थ, कारण और निवारण (Meaning, causes and prevention of lead pollution in Hindi)
सीसा अपनी प्राकृतिक अवस्था में बहुत कम पाया जाता है। परन्तु इसे अयस्कों से बहुत सुगमता से प्रगलित किया जा सकता है। अनुमानतः भारत में सीसे और जस्ते के संयुक्त अयस्क लगभग 384  मिलियन टन हैं जिसमें राजस्थान से उपर्युक्त अयस्कों की मात्रा 335 मिलियन टन है। इसके अतिरिक्त आंध्र प्रदेश, गुजरात, उड़ीसा, बिहार और पश्चिमी बंगाल में भी इसके कुछ अयस्क हैं। भारत में सीसे की उत्पादन क्षमता लगभग 89,000 टन प्रति वर्ष है जो कि विश्व बाजार में कुल उत्पादन क्षमता का केवल 0.5 प्रतिशत है।
सीसा प्रदूषण का अर्थ, कारण और निवारण (Meaning, causes and prevention of lead pollution in Hindi)
एक जिंदगी वृक्षों के नाम प्रकृति सहचरी वंगारी मथाई
नोबल शांति पुरस्कारों को कोटि में पर्यावरण संरक्षण को भी अहमियत दी जाने लगी, कदाचित पर्यावरण की बदहाली से भयाक्रांत मानवता की चीख-पुकार ने नोबल समिति को उद्वेलित किया हो तभी तो एक साधारण सी कीनियाई महिला, जो कभी पौधरोपण के लिए महिलाओं को कुछ शिलिंग देती थी, ने कालांतर में (वर्ष 2004) नोवल की बुलंदियों का संस्पर्श किया। उस साधारण सी महिला ने वस्तुतः पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में, अपनी धरती की हरीतिमा बचाने के उपक्रम में असाधारण कार्य किए थे
एक जिंदगी वृक्षों के नाम प्रकृति सहचरी वंगारी मथाई,Pc-one earth
Cities urgently need to step up climate action
Bangalore hosts conference to help cities mainstream climate actions
Cities continue to face daunting capacity constraints as they pursue urgently needed climate action (Image: Nimit Nagpal, Wikipedia Commons)
पृथ्वी दिवस (22 अप्रैल) पर विशेष : कार्बन उत्सर्जन में गांव भी पीछे नहीं
शिवचंद्र सिंह तीन भाई हैं और तीनों किसान हैं. ये तीनों चिलचिलाती धूप, कड़ाके की ठंड एवं मूसलाधार बारिश की मार झेलकर भी धरती का सीना चीर अनाज उपजाते हैं, तब बमुश्किल परिवार का भरण-पोषण हो पाता है. बिहार के वैशाली जिले का एक गांव है कालापहाड़. शिवचंद्र सिंह की तरह ही इस गांव में बिल्कुल अलग बसे एक टोले के करीब 30 परिवारों का पेशा भी किसानी ही है. शिवचंद्र कहते हैं कि भीषण गर्मी के कारण जलस्तर काफी नीचे चला गया है. इस कारण सिंचाई करना मुश्किल हो रहा है. डीजल महंगा है और इधर बिजली चालित मोटर पंप पानी खींच नहीं पा रहा है.
Temple pond in Kerala (Image: Sreekanth V, Wikimedia Commons)
पारितंत्रीय बहाली एवं कार्बन फुटप्रिंट घटाने हेतु अभिनव प्रयत्न
पारिस्थितिक तंत्र की बहाली (इकोसिस्टम रेस्टोरेशन) कई मामलों में अत्यंत महत्वपूर्ण है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व पर्यावरण दिवस के इसी मौके पर आधिकारिक रूप से यूनाइटेड नेशंस डिकेड ऑन इकोसिस्टम रेस्टोरेशन 2021-2030 लॉन्च किया जा रहा है, जिसका उद्देश्य प्रत्येक महाद्वीप और समस्त महासागरों में हो रहे  पारिस्थितिक तंत्र के अपकर्ष को रोकना और अधोमुखी करना है।
कार्बन फुटप्रिंट, साभार - जागरण जोश
शिक्षा, पारंपरिक ज्ञान और हमारा पर्यावरण
आज से करीब 30 वर्ष पहले पहाड़ के दूरदराज के गांवों में, गांव के लोगों के अनुरोध पर हमने स्कूल खोले। उस समय औसतन 7-10 गांवों के बीच एक सरकारी स्कूल हुआ करता था, पहाड़ के गांव छोटे- छोटे और बिखरे हुए होते हैं, एक गांव से दूसरे गांव की दूरी तय करने में घंटों लग सकते हैं, अब तो खैर स्थिति बदल गई है, सड़कें भी बन गई हैं और सरकारी स्कूलों की तादाद भी बढ़ी है।
शिक्षा, पारंपरिक ज्ञान और हमारा पर्यावरण,Pc- Fii
तकनीकी पर्यावरण का नया चेहरा
पिछले दो दशकों में हमारे देश में तकनीक आधारित डिजिटल सेवाओं का बड़ा विस्तार हुआ है। उसका सबसे बड़ा प्रभाव बैंकिंग और डिजिटल पेमेंट के क्षेत्र में देखने को मिलता है। सरकार द्वारा ऑनलाइन पेमेंट को बढ़ावा देने के कारण ऑनलाइन लेन-देन में आशातीत बढ़ोतरी हुई है। माना जाता है कि अब लगभग चालीस प्रतिशत लेन-देन ऑनलाइन माध्यमों से ही हो रहा है। देश में पंचायत स्तर तक नागरिक सुविधा केंद्र यानी कॉमन सर्विस सेंटर का जाल बिछाया गया है, जो कई तरह की सेवाएं प्रदान कर रहे है। किताबें हों, कपड़े हों या घरेलू उपयोग का कोई और सामान, घर बैठे मंगवाया जा सकता है। और अब तो राशन और सब्जियां आदि भी सीधे दुकान से घर पहुंचने की व्यवस्था की जा रही है। शिक्षा, आवागमन, यातायात, चिकित्सा, शोध और विकास जैसे सभी क्षेत्रों में सूचना तकनीक ने अपना हस्तक्षेप बढ़ा लिया है। यह प्रगति की दिशा में एक अच्छा सूचक है। भारत सूचना सेवाओं के लिए एक निर्यातक देश माना जाता है और हमें विश्व में सॉफ्ट पॉवर की तरह देखा जाता है।
तकनीकी पर्यावरण का नया चेहरा, Pc-stockholm
हीटवेव: कारण, लक्षण, बचाव के उपाय
मुंबई में इससे अब तक 11 लोगों  की मौत हो चुकी है। वही दिल्ली में भी तापमान 40 डिग्री से ऊपर होने के बाद मौसम विभाग ने अलर्ट जारी कर दिया है। राजस्थान का बूंदी  45.2 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ देश का सबसे गर्म स्थान रहा। इसी तरह उत्तर प्रदेश का प्रयागराज और हमीरपुर में भी 40 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तक तापमान पहुंच चुका  है
 हीटवेव: कारण, लक्षण, बचाव के उपाय,PC-WD
पर्यावरण संरक्षण में विधायिका की भूमिका
पृथ्वी और प्राकृतिक संसाधनों का सतत प्रबंधन हमारे देश में आर्थिक विकास और मानवीय समृद्धि के लिए एक महती आवश्यकता है। पर्यावरण की सुरक्षा और उसके संरक्षण तथा प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग की आवश्यकता भारत के संवैधानिक ढांचे में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। हमारा संविधान देश के सभी नागरिकों के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समानता का अधिकार सुनिश्चित करता है। अनुच्छेद 21 के अंतर्गत "जीवन का अधिकार' केवल जीवित रहने तक ही सीमित नहीं है
 पर्यावरण संरक्षण में विधायिका की भूमिका,Pc Shutterstock
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