मेरा पानी मेरी विरासत योजना जल संरक्षण
ग्रामीण क्षेत्रों में 90% आबादी पीने के लिए भू-जल पर निर्भर है क्योंकि कई बार शहर के जल आपूर्ति विभाग या कंपनियां उन्हें पीने के लिए पानी की बुनियादी आवश्यकता प्रदान करने में विफल रहती हैं। वर्ष 2015 में लगभग 48% सिंचाई प्रक्रिया इसी भू-जल के माध्यम से की गई थी और तब से जल स्तर तेजी से घट रहा है। 
जल संरक्षण, Pc-villageera
Adaptation and mitigation for monsoon extremes in the Indo Gangetic Plains
Warming will not only lead to a decline, but also trigger monsoon extremes in the Indo Gangetic Plains.
A woman wades through knee-deep water with her belongings. (Picture courtesy - 101Reporters) (Source: IWP Flickr photos)
मानव- पर्यावरण संबंध का मानव स्वास्थ्य पर प्रभावः एक भौगोलिक अध्ययन
मानव अपनी जीवन की उत्पत्ति से ही पर्यावरण से संबंधित रहा है। मानव पर्यावरण का संबंध मनुष्य के लिए अपेक्षाकृत अधिक लाभकारी रहा है। पिछली चार शताब्दियों में मानव की गतिविधियों के कारण पृथ्वी के मूल तत्वों हवा, पानी, मिट्टी तथा रासायनिक संगठन में परिवर्तन हुआ है
मानव- पर्यावरण संबंध का मानव स्वास्थ्य पर प्रभाव,PC-H&F
पर्यावरण पर निर्माण सामग्रियों का प्रभाव
आजकल निर्माण उद्योग बड़ी शीघ्रता से उन्नति कर रहा है। जिस प्रकार से इमारतों की रूपरेखा और उनका निर्माण किया जा रहा है उससे हानिकारक पर्यावरण संकट उत्पन्न होता है। एक शोध के अनुसार निर्माण उद्योग ऊर्जा की खपत करने वाला तीसरा बड़ा उद्योग है।
पर्यावरण पर निर्माण सामग्रियों का प्रभाव, PC-India.com
मैक्रोफाइट्स के माध्यम से जल गुणवत्ता उन्नयन एक अध्ययन
वर्तमान अध्ययन भोपाल शहर की दो यूट्रोफिक झीलों, शाहपुरा झील एवं लोअर लेक हैं जोकि केंद्रित सिंचाई मत्स्य पालन एवं मनोरंजक गतिविधियों के केंद्र हैं, पर किया गया है। शाहपुरा झील नए भोपाल में स्थित है तथा छोटा तालाब पुराने शहर में स्थित है। दोनों ओर सीवेज झील हैं।
मैक्रोफाइट्स के माध्यम से जल गुणवत्ता उन्नयन एक अध्ययन, Pc- webnode
Fiscal health of the State Pollution Control Boards
Has their financial predicament indirectly constrained their ability to fulfil their mandate effectively?
AI generated image of air pollution (Image: Alan Frijns from Pixabay)
घटता भूजल स्तर : कारण और निवारण
भारत में वार्षिक औसत वर्षा 1160 मिलीमीटर है. देश में बहुत बड़ा क्षेत्र सूखाग्रस्त है, जो वर्षा पर निर्भर है. जो कुल खाद्यान्न उत्पादन में लगभग 44 प्रतिशत का योगदान करता हैं इसके साथ-साथ 40 प्रतिशत मानव एवं 60 प्रतिशत पशुपालन में सहयोग करता है
घटता भूजल स्तर : कारण और निवारण, Pc-News18
The changing face of monsoon
Climate change is expected to have significant impacts on the Indian monsoon
As per the India Meteorological Department (IMD), instances of heavy rainfall have increased by almost 85% in the country since 2012 (Image: Marina, 2009,Wikimedia Commons)
राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की शुष्क तहसीलों में भू-जल की वर्तमान स्थिति
प्रतिकूल भू-वायविक कारणों से यहां प्रायः सूखे की पुनरावृत्ति होती है। अतः मरुस्थलीय क्षेत्रों में मृदा व जल संसाधनों के उचित संरक्षण के द्वारा ही फसल उत्पादन में दीर्घकालिक स्थायित्व लाया जा सकता है। जल संसाधनों के उचित संरक्षण, प्रयोग व नियोजन के लिये जल संसाधनों की उपलब्धता व गुणवत्ता का समय-समय पर आंकलन इस दिशा में पहला कदम है। जल संसाधनों के दीर्घकालिक नियोजन की दृष्टि से केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान, जोधपुर ने राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की तीन शुष्क तहसीलों के भू-जल व इसकी गुणवत्ता का विस्तृत सर्वेक्षण किया है। प्रस्तुत प्रपत्र में सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारियों का विस्तृत ब्यौरा दिया गया है।
राजस्थान राज्य के सिरोही जिले की शुष्क तहसीलों में भू-जल की वर्तमान स्थिति,Pc-SC
रानीगंज कोयलांचल के खदान जल की गुणवत्ता का अध्ययन एक समीक्षा
इन नमूनों से विभिन्न प्रावल पैरामीटर जैसे पी एवं चालकता, कुल घुलनशील ठोस, टर्बोडिटी, घुलनशील ऑक्सीजन, कठोरता, क्लोराइड, सल्फेट, बाइकार्बोनेट, क्षारियता, सोडियम, पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम इत्यादि का विश्लेषण किया गया। खदान जल के नमूनों की पी एच 6.5 से 8.2 के बीच पायी गयी जो कि भारतीय पेयजल मानक 10500 के अनुसार अपनी उचित सीमा 65 से 8.5 के मध्य में पायी गयी
रानीगंज कोयलांचल के खदान जल की गुणवत्ता का अध्ययन एक समीक्षा,Pc- patrika
India's first census of all water bodies
Policy matters this fortnight
In 2016, a Standing Committee of Parliament pointed to the need to carry out a separate census of water bodies. (Image: Needpix)
जल गुणवत्ता मानक : जीवन के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण पहलू
जल, पृथ्वी पर जीवन के अस्तित्व के लिए प्रमुख घटक है और इसी कारण यह अनुसंधान का सबसे अधिक अध्ययन किया गया अंतः विषय रहा है। 17 सतत विकास लक्ष्यों (Sustainable Development Goals) में से एक, सुरक्षित और स्वच्छ पानी तक पहुंच, एक बेहतर विश्व के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। उ
Flipchart as a teaching aid (Image Source: INREM Foundation)
वाटरकीपर डायने विल्सन गोल्डमैन एनवायरमेंट पुरस्कार 2023 से सम्मानित
पर्यावरण के क्षेत्र में गोल्डमैन एनवायरमेंट पुरस्कार नोबेल के समकक्ष का पुरस्कार है। भारत की कई महत्वपूर्ण शख्सियतों को यह सम्मान प्राप्त हुआ है। भारत से मेधा पाटेकर, पर्यावरण प्रख्यात अधिवक्ता वकील एमसी मेहता, चंपा देवी शुक्ला आदि कई लोग गोल्डमैन एनवायरमेंट पुरस्कार से सम्मानित हो चुके हैं। इस पुरस्कार को ग्रीन नोबेल पुरस्कार के रूप में भी जाना जाता है।
वाटरकीपर डायने विल्सन
झील-तालाबों बिन कैसे रहेंगे हम
देश की आईटी राजधानी कहे जाने वाले बेंगलुरु में पिछले दिनों एक दृश्य ने शहरवासियों समेत पूरे देश को चिंता में डाला है। यहाँ की बेल्लनदर (बेलंदूर) झील में आग लगने की घटनाएं हुईं। ऐसा नजारा इस झील में कई बार हो चुका है।
झील-तालाबों बिन कैसे रहेंगे हम,Pc-elephango
प्रकृति तटस्थ होती है
विज्ञान ने इतने सालों की खोज और शोध से यह तो संभव बना दिया है कि हम ऐसी प्राकृतिक आपदाओं की आहट पहले से जान जाते हैं और किस्म किस्म की छतरियां तानकर अपनी जान बचा लेते है।
प्रकृति तटस्थ होती है,PC-Fzilla
Turning waste to wealth sustainably
While profusely growing water hyacinth contines to be a menace to water bodies worldwide and in India, attempts to put this weed to sustainable use and improve rural livelihoods is showing promising results.
Water hyacinth, invaders in disguise (Image Source: India Water Portal)
पानी के लिए अब जरधोबा में नहीं होती लड़ाइयां : पहले था पानी के लिए हाहाकार, अब हर घर में साफ पानी
मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से सटे जरधोबा गांव एक साल पहले तक जल संकट से जुझ रहा था। गर्मी के दिनों में पानी को लेकर यहां मारपीट हो जाती थी। कुछ मामलों में ग्रामीणों ने एक-दूसरे के खिलाफ एफ.आई.आर. तक करा दी थी। ऐसे में पानी को लेकर गांव में तनाव बना रहता था। लेकिन पिछले साल जब हर घर नल कनेक्शन के लिए जल जीवन मिशन के तहत नल जल योजना पर काम शुरू किया गया, तब यह उम्मीद जगी कि भविष्य में पानी को लेकर गांव में लड़ाइयां नहीं होगी। आखिरकार यह योजना क्रियान्वित हो गई और अब हर घर में साफ पानी मिलने लगा है।
जरधोबा
गोमती नदी के प्रदूषित जल में शैवाल विविधता पर एक अध्ययन
लखनऊ के आस-पास गोमती नदी के कई महत्वपूर्ण स्थलों से शैवाल विविधता का अध्ययन करने के लिए एकत्रित नमूनों का विश्लेषण करने पर कुल तेईस शवालों की प्रजातियां पाई गई। इन तेईस प्रजातियों में सोलह सुनहरे भूरे (diatoms) शैवाल के अतिरिक्ति चार हरे शैवाल (green algae) तथा तीन नीलहरित शैवाल (blue-green algae) उपस्थित थे। हरित शैवाल प्रदूषण संवेदनशील होने के कारण केवल स्थल 'क' में जहाँ पानी प्रदूषण रहित था।
गोमती नदी के प्रदूषित जल में शैवाल विविधता पर एक अध्ययन, PC-TWP
Utilising agroforestry as a nature-based solution to achieve sustainable development goals
Carbon market can play a role in rewarding environmental stewardship
The motivated young farmer proudly showed his 80 guava trees that he planted for the first time in the village and made a profit of INR 6,000. He is the second generation. His-father made the first attempt at agroforestry in 2010. He is motivated to adopt innovative practices and does not want to migrate to a larger city. (Image: Yasmeen Telwala)
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