प्रकृति अथवा 'Nature' जिसमें ब्रह्मांड समाया हुआ है। हमारी पृथ्वी इस अनादि अनन्त ब्रह्माण्ड का एक ऐसा पिण्ड है जो खगोलीय अन्य पिण्डों की भाँति ही अपने पर लगाने वाले मूलभूत बलों के प्रभव से प्रभावित होती रहती है।
Civis and Rainmatter Foundation have launched Climate Voices, a first-of-its-kind guide aimed at enabling and accelerating public consultation in co-creating India’s environmental laws
वर्ष 2000 से लेकर अब तक की शहरी बाढ़ की प्रमुख घटनाओं में अगस्त 2000 में हैदराबाद, जुलाई 2003 में दिल्ली, जुलाई 2005 में मुंबई, अगस्त 2006 में सूरत सितम्बर 2014 में श्रीनगर, दिसम्बर 2015 में चेन्नई तथा अक्टूबर 2020 में हैदराबाद की घटनाएँ उल्लेखनीय हैं। शहरी बाढ़ का ताजा शिकार हैदराबाद है। बंगाल की खाड़ी में विकसित एक गहरे दबाव के कारण 13-14 अक्टूबर, 2020 को शहर के साथ-साथ तेलंगाना में भी असामान्य रूप से अत्यधिक वर्षा हुई।
प्राकृतिक प्रकोपों के विषय में सामान्य विचारों के भौतिक परिवर्तन की आवश्यकता है। यद्यपि बाढ़ और भूकम्प जैसी प्राकृतिक घटनाओं से इनका आरम्भ होता है फिर अधिकतर प्रकोप मानवकृत हैं । कुछ प्रकोप जैसे भूस्खलन, सूखा, वनों में आग आदि अपेक्षाकृत पर्यावरण और साधनों के कुप्रबन्ध के कारण अधिक होते हैं। अन्य प्रकोपों, भूकम्प, ज्वालामुखी, बादल फटना मूर्खता पूर्ण आचरण से और भी भीषण हो जाते हैं। इन सबमें बाढ़ और सूखा आपदायें मुख्य हैं । बाढ़ या सूखा आने से हर क्षेत्र में प्रभाव पड़ता है। इससे मानव जीवन, पशुधन, कृषि, जल संसाधन तथा अर्थ-व्यवस्था पर सीधे प्रभाव पड़ता है।
हमारे देश में वर्तमान मत्स्य उत्पादन लगभग 8.0 मिलियन टन (एमटी) आंकलित किया गया है, जबकि इसकी तुलना में वर्ष 2015 तक इसकी अनुमानित मांग 12 मिलियन टन (एमटी) से भी अधिक होने की संभावना है।
भारत एवं पाकिस्तान के मध्य जल विवाद बंटवारे के समय से ही चला आ रहा है। वास्तव में जब बंटवारा हुआ तो भारत से निकलने वाली रावी एवं सतलुज नदियों के जल पर विवाद खड़ा हो गया था। ये नदियां भारत एवं पाकिस्तान दोनों देशों से होकर बहती है किस देश को कितनी मात्रा में पानी मिले इस बात को लेकर दोनों देशों में मतभेद थे। भारतीय उप महाद्वीप का उत्तर पश्चिमी क्षेत्र सिन्धु प्रदेश है।
नदी के प्रवाह में अवरोध से तथा जलाशय में जल के भराव से नदी के गाद प्रवाह में व्यवधान पड़ता है। बांध निर्माण द्वारा अवरूद्ध हुए प्रवाह से नदी में बह रही गाद जलाशय में जमा होने लगती है। गाद जमा होने से बांध की भण्डारण क्षमता घट जाती है, जिसके कारण बांध की आयु कम हो जाती है।
गांवों में किसान इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए प्रार्थनाएं कर रहे हैं. वर्षा ऋतु के आगमन के साथ बच्चों की वह उक्ति फीकी पड़ गई है- ‘घोघो रानी कितना पानी?’ चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ है. एक तरफ दिल्ली, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब भारी बारिश में बाढ़ के हालात झेल रहा है वहीं दूसरी ओर बिहार जैसे राज्य प्रचंड गर्मी की वजह से तप रहे हैं. जहां की धरती तापमान बढ़ता जा रहा है
यदि 5 जून को ही पर्यावरण दिवस मनाने का बहुत मन अथवा बाध्यता ही हो तो इस दिन पौधरोपण की बजाय अन्य कार्य जैसे इस विषय पर जागरूकता कार्यक्रम, हरियाली माह में वृक्षारोपण के स्थान चयन एवं अन्य तैयारी आदि करें।
इस वर्ष बिपरजोय तूफान के कारण देश में मानसून के आगमन में विलंब भले ही हुआ, लेकिन अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे मानसूनी बारिश ने देश के सभी हिस्सों को सराबोर करना आरंभ कर दिया है। हालांकि बारिश के कारण असम, गुजरात एवं राजस्थान समेत देश के कई क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति दिखने लगी है, लेकिन इसका दोष हम प्रकृति पर नहीं मढ़ सकते। बल्कि इस दशा के लिए हमें अपनी उन गलतियों को सुधारना होगा जिसके कारण आसमान से बरसने वाले अमृत को हम सहेज नहीं पाते।
पुरातन काल में फसल के सूखे पत्ते भूमि पर गिरकर आच्छादन तैयार करते थे और फसल कटाई के बाद गांव का सभी देशी गोधन खेत में दिन भर चरता था। तब उनका गोबर - गोमूत्र भूमि पर अपने आप गिरता रहता था। इससे भूमि निरंतर जीवाणु समृद्ध होती थी।
A collective impact effort, the first of its type in India that provides informal waste pickers a chance to live safe and dignified lives, with particular emphasis on gender and equity.