गन्ने की यंत्रीकृत खेती हेतु उप-सतही ड्रिप फर्टिगेशन प्रणाली
गन्ने की खेती की पारंपरिक विधि में इस समस्या को दूर करने के लिए और गन्ने की खेती को एक लाभदायक फसल बनाने के लिए गन्ने की यंत्रीकृत खेती हेतु उप-सतही ड्रिप फर्टिगेशन प्रणाली पर एक उन्नत तकनीक तमिलनाडू कृषि विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2008 के दौरान विकसित की गई।
उप-सतही ड्रिप फर्टिगेशन प्रणाली Pc-कृषि जागरण
 नहरी कमांड क्षेत्र के तहत जल उत्पादकता में वृद्धि के विकल्प
किसानों के पास जल का अत्यधिक विशेषाधिकार होना और मानसून के महीनों के दौरान ही नहर में जल का उपलब्ध होना आदि है। नतीजतन वर्तमान के दौरान भारत में मध्यम और प्रमुख नहरी कमांड्स में जल की उपयोग दक्षता केवल 38% ही है। इस जल उपयोग दक्षता को बाढ़ सिंचाई विधि की जगह ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई विधियों को स्थानातरित करने के माध्यम से काफी हद तक सुधारा जा सकता है।
नहरी कमांड क्षेत्र के तहत जल उत्पादकता में वृद्धि के विकल्प,Pc-Teri
मोबाइल एप आधारित रिमोट संचालित पंप प्रणाली
सिंचाई जल की उपयोग दक्षता बहुत गंभीर हो गयी है। कई स्थानों पर तो किसानों को कृषि के लिये बिजली की आपूर्ति केवल रात के समय में ही उपलब्ध रहती है। अतः किसानों को अपनी रात की नींद की कीमत पर खेत में पंप चलाने के लिए जाना पड़ता है। हालांकि कुछ किसानों द्वारा रात की सिंचाई को खेत से वाष्पीकरण के नुकसान को कम करने के लिए प्राथमिकता दी जाती है। इस तरह इससे असुविधाजनक स्थिति बन जाती है।
मोबाइल एप आधारित रिमोट संचालित पंप प्रणाली,Pc-भाकृअनूप
Using water games for economic gains
A field account of how playing a water game helped a remote community utilize its water resources better
Participatory gaming in the community dispels many myths and develops forums for group decision-making on the management of shared natural resources. (Image: FES)
नहर के अंतिम छोर पर सिंचाई जल की कम उपलब्धता की स्थिति में अरहर के साथ उड़द / धान की उन्नत खेती
पूर्वी उत्तरप्रदेश में किसान प्रायः धान-गेहूँ फसल चक्र को अपनाते है लेकिन नहर के अंतिम छोर पर सिंचाई जल की कम उपलब्धता के कारण कृषकों को पारंपरिक फसलोत्पादन से समुचित लाभ नहीं मिल पाता है। इस क्षेत्र की शारदा सहायक नहरी कमांड की चाँदपुर रजबहा एवं उसकी छ अल्पिकाओं के अधीन कुल 4551 कृषि क्षेत्र फल/ हेक्टेयर आता है जिसका मात्र 27.7 प्रतिशत क्षेत्रफल ही इस उपलब्ध जल से सिंचित हो पाता है जिसका अधिकांश भाग अल्पिकाओं के शीर्ष एवं मध्यम छोर तक ही सीमित होता है
नहर के अंतिम छोर पर सिंचाई,Pc-MID
जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल द्वारा शिवनाथ उप - बेसिन के समस्याग्रस्त जल ग्रहण क्षेत्रों के प्रबंधन हेतु सुझाव
इस अध्ययन क्षेत्र में आमतौर पर वार्षिक वर्षा 700 से 1500 मिमी के बीच होती है तथा औसत वार्षिक वर्षा 1080 मिमी है। इस अध्ययन क्षेत्र के समग्र वातावरण को सब ट्रॉपिकल रूप में वर्गीकृत किया गया है। शिवनाथ उप बेसिन के मोर्फोमेटिक गुणों की स्थिति की जानकारी एकत्रित की गई तथा इनका विश्लेषण भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) के माध्यम से किया गया। इस अध्ययन में कन्टीन्युअस डिस्ट्रिब्यूटेड पैरामीटर मॉडल जिसे सोइल एण्ड वाटर असेसमेंट टूल (एसडब्लूएटी) यानि स्वाट के नाम से जाना जाता है।
जल विज्ञान और जल की गुणवत्ता के मॉडल,PC-Shutterstock
मछली पालन आधारित एकीकृत खेती पद्धति और खेत पर जल प्रबंधन: आदिवासी किसानों हेतु वरदान
जातीय अल्पसंख्यक (उप जनजाति) समुदाय, जिन्हें आमतौर पर आदिवासी के रूप में जाना जाता है जो भारतीय आबादी के सबसे अधिक गरीबी वाले क्षेत्रों में रहते हैं. और ये भारत की सांस्कृतिक विरासत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे देश के भौगोलिक क्षेत्र के लगभग पंद्रह प्रतिशत भाग में रहते हैं और पीढ़ी दर पीढ़ी आदिवासी लोगों ने कृषि और पशुधन, मछली पालन और शिकार के द्वारा एक विविध आजीविका रणनीति का अभ्यास करते हैं। मुख्यधारा की आबादी के विपरीत, वे मूल रूप से प्राकृतिक संसाधनों की आसानी से पहुँच के लिये कम आबादी वाले क्षेत्रों में निवास करते हैं।
मछली पालन,Pc-jagarn
विश्व महासागर दिवस (World Ocean Day)2023
पहला विश्व सागर दिवस 8 जून 2009 को मनाया गया था। यह दिवस 1992 में रिओ डी जनेरिओ  में हुए  'पृथ्वी गृह ' फोरम में प्रतिववर्ष विश्व महासागर दिवस को  मनाने के फैसले के बाद और साल 2008 में संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा इस सम्बन्ध में आधिकारिक फैसला लिए जाने के बाद मनाया जाने लगा।


विश्व महासागर दिवस, Pc-wallpaper cave
Pune’s River Rejuvenation Project: a question of social justice
The river rejuvenation project (RRP) planned on the Mula Mutha by the PMC provides an example of how social injustice prevails in cities and how public infrastructure can be skewed towards some sections of society, argues Dr Gurudas Nulkar.
Construction activities along the banks of the Mula Mutha (Image Source: Jeevitnadi)
किसानों तक नहीं पहुंच रहा कृषि योजना का पूरा लाभ
कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था का मेरुदंड है. कृषि से जुड़ी सरकार की रिपोर्ट के अनुसार साल 2020-21 में भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूती प्रदान करने में कृषि व वानिकी का सकल घरेलू उत्पाद में 20.2 प्रतिशत हिस्सा रहा है. देश-दुनिया में अनेक प्रकार के रोजगार के साधन हैं, लेकिन उन सभी संसाधनों को ठोस बुनियाद पर खड़ा करने वाला शक्ति का केंद्र किसान है.
किसानों तक नहीं पहुंच रहा कृषि योजना का पूरा लाभ,Pc-चरखा फीचर
जलवायु परिवर्तन और अनुकूल कृषि(वार्षिक रिपोर्ट्स-2019-20) 
पशुधन के लिए आहार एवं चारा आवश्यकताओं तथा फसलों की पोषक तत्व आवश्यकता की पूर्ति हेतु 100% जैविक खेती करने के प्रयास किए जा रहे हैं। सभी परीक्षणात्मक भूखंडों की मेड़ पर आम नींबू ड्रॅगन फ्रूट और पपीते का रोपण किया गया है।
जलवायु परिवर्तन और अनुकूल कृषि,Pc-Krishi-jagat
मृदा एवं जल उत्पादकता(वार्षिक रिपोर्ट्स-2019-20)
वैकल्पिक फसल एवं फसलचक्र पैटर्न को अपनाने का सुझाव दिया गया। इसके साथ ही गोआ राज्य त्रिपुरा के सिपाहीजला जिले के चैरीलम ब्लॉक: पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले के मयनागुडी ब्लॉक, बीरभूम जिले के राजनगर ब्लॉक: उत्तर प्रदेश में वाराणसी जिले के बड़ागांव ब्लॉक हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में नगरोटा भगवान ब्लॉक: कर्नाटक में मैसूर जिले के एच.डी. कोटे ब्लॉक: हरियाणा में सिरसा जिले के ओधन ब्लॉक पश्चिम बंगाल में 24 परगना दक्षिण के तटवर्ती क्षेत्र एवं कुलटली ब्लॉक तथा राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों के लिए भूमि संसाधन इनवेन्ट्री (LRI) का उपयोग करके वैकल्पिक भूमि उपयोग नियोजन और सर्वश्रेष्ठ प्रबंधन रीतियों को अपनाने का सुझाव दिया गया।
मृदा एवं जल उत्पादकता,PC-DB
विश्व जल दिवस 2023
सन् 1992 मे पर्यावरण और उसके डेवलपमेंट के संकरक्शन के लिए यूनाइटेड नेशंस मे हुए एक कांफ्रेंस जिसे रिओ समिट नाम से भी जाना जाता है,यह निर्णय लिया गया था कि 22 मार्च को विश्व जल दिवस के रूप मे मनाया जायेगा। पहला विश्व जल दिवस 1993 में मनाया गया था जिसके बाद यह प्रतिवर्ष मनाया जाता है ।

वर्ल्ड वाटर डे 2023 ,Pc-सेल्फ स्टडी मंत्र
जल एवं नदी घाटी प्रबंधन एक चक्रीय प्रक्रिया
नदी घाटी प्रबंधन के लिए सर्वप्रथम घाटी में उन सभी अवयवों जो नदी एवं संबंधित जल, जमीन और जंगलों जैसे संसाधनों पर अनुकूल या प्रतिकूल प्रभाव डालते हों की पहचान की जानी चाहिए उपलब्ध आँकड़ों एवं जानकारी के आधार पर क्षेत्र में सभी जल, जमीन और जंगलों से जुड़े संसाधनों की पहचान करके सभी हितधारकों के सहयोग से संबंधित मुद्दों का व्यापक विश्लेषण एवं उस पर समग्र चिंतन होना चाहिये। सभी समस्याओं एवं विघटन की ओर बढ़ रहे संसाधनों को चिन्हित कर इनके स्थानीय स्तर पर संभावित समाधान ढूँढने चाहिए। विषय विशेषज्ञ एवं तकनीकी जानकारों के सहयोग से प्रकृति संरक्षण समन्चित वैज्ञानिक समाधानों का अध्ययन होना चाहिए।
जल एवं नदी घाटी प्रबंधन एक चक्रीय प्रक्रिया,PC-exammaharathi
धीरे-धीरे निर्मल होगी धारा
नदियाँ प्रकृति द्वारा मनुष्य को दिया हुआ ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिससे मनुष्य अनगिनत फायदे लेता है और इन फायदों को लेने के बाद नदी से ली गई सौगातों को जिम्मेदारीपूर्वक लौटाने की बजाय डिफॉल्टर की श्रेणी में आकर खड़ा हो जाता है।
धीरे-धीरे निर्मल होगी धारा,PC-Sivana East
क्यों रुक गई बहती धारा 
नदी की सबसे छोटी और साधारण परिभाषा है वो जलधारा जो अपने  उदगम से गतव्य तक खुद ब खुद पहुंच जाएं, कभी हिमखंडों से पिघलकर कभी पहाड़ों से उत्तरकर चट्टानों को काटकर नदियां अपनीयात्रा पूरी कर मंजिल तक पहुंच जाती है। नदी की धारा को प्रकृति ने अविरलता दी है।
क्यों रुक गई बहती धारा,PC-MYD
Decoding ‘just transition’ in India: The conceptual underpinnings
Just transition, as a development planning and implementation strategy, has certain non-negotiable attributes.
In the climate sphere, the approach of just transition aims at addressing injustices (Image: Kenueone, Pixabay)
नदी संरक्षण एवं विकास सीमाओं का महत्व
भारत में गंगा जैसी विशाल नदी के घाटी प्रबंधन की योजना निर्माण का प्रथम सफल प्रयास आईआईटी संघ के द्वारा किया गया, आईआईटी संघ ने नदी के कई महत्वपूर्ण पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कर अनेक विशेष रिपोर्ट के माध्यम से सरकार एवं अन्य हितधारकों को इसके बारे में जानकारियाँ संकलित कर प्रस्तुत की।
नदी संरक्षण एवं विकास सीमाओं का महत्व,Pc-conservationgateway
परंपरा, विज्ञान, तर्क और हमारी नदियाँ
नदियों पर प्रतिमा विसर्जन से प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है लेकिन यह नदियों के प्रदूषण के वृहद कारणों के समक्ष बहुत सूक्ष्म हैं नदियों के किनारे इन रिवाजों से संबंधित क्रियाकलाप प्रत्यक्ष नजर आने की वजह से इन्हें प्रदूषण का प्रमुख कारण मान लिया जाता है। जिसके चलते कई बार प्रदूषण के वृहद कारकों की ओर से ध्यान हट जाता है। इस तथ्य पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है कि त्योहार और उनसे संबंधित परंपराएं जैसे प्रतिमा विसर्जन वर्ष में एक बार निभाई जाती है।
परंपरा, विज्ञान, तर्क और हमारी नदियाँ, Pc-DH
कद्दू की उन्नत खेती
यदि बीज उगने के लिए खेत है। में पर्याप्त नमी न हो तो पहली सिंचाई बोआई के बाद शीघ्र कर दें। दूसरी और तीसरी सिंचाई भी जल्दी यानि 4-6 दिन के अन्तर से करें। ऐसा करने से बीज शीघ्र तथा आसानी से उग आयेंगें। ग्रीष्म  ऋतु की फसल में 8-10 सिंचाइयों की आवश्यकता पड़ती है।
कद्दू की उन्नत खेती,Pc-अपनी खेती
×