इकोलॉजी यानी पारिस्थितिकी अध्ययन की संकल्पना
इकोलॉजी यानी पारिस्थितिकी का अर्थ है जीवित प्राणियों के आपसी तथा पर्यावरण के साथ उनके संबंधों का वैज्ञानिक अध्ययन। पेड़-पौधे, जंतु और सूक्ष्म जीवाणु अपने चारों ओर के पर्यावरण के साथ अन्योन्यक्रिया करते हैं। पर्यावरण के साथ मिलकर वे एक स्वतंत्रा इकाई की सृष्टि करते हैं जिसे पारिस्थितिकी तंत्र या पारितंत्र (इकोसिस्टम) का नाम दिया जाता है। वन, पहाड़, मरुस्थल, सागर आदि पारितंत्रों के ही उदाहरण हैं।
इकोलॉजी यानी पारिस्थितिकी अध्ययन की संकल्पना,PC-dreamstime
हिंडन की कायाकल्प के लिए 407.39 करोड़ खर्च करेगी सरकार
शामली जिले में यमुना नदी की सहायक नदी हिंडन की स्वछता के लिए 407.39 करोड़ की चार परियोजनाएं की स्वीकृती दी गई है। ये परियोजनाएं व्यापक रूप से  हिंडन कायाकल्प योजना का हिस्सा हैं।
हिंडन नदी
पर्यावरण संरक्षण का उद्देश्य, सरोकार और उम्मीदें
समुद्री जहाजों से होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के मार्ग अवरुद्ध हुए हैं। वायु, जल, ध्वनि एवं मृदा प्रदूषणों के कारण आम लोगों का जीवन कई प्रकार की स्वास्थ्य समस्याओं से ग्रस्त हो रहा है। देश का एक बड़ा हिस्सा गर्मी के समय में पेयजल की समस्या को झेलता है। यह स्थिति केवल मैदानी भागों में ही नहीं अपितु पानी के स्रोत माने जाने वाले पहाड़ों में भी देखने को मिल रही है।
पर्यावरण संरक्षण का उद्देश्य, सरोकार और उम्मीदें, pc-indian wire
मसाही गांव ( हरिद्वार) के भूमिगत जल एवं तालाब की गुणवत्ता का मूल्यांकन 
यह शोध पत्र मसाही गाँव, तहसील रुड़की, जिला हरिद्वार, उत्तराखण्ड के भूजल और तालाब की गुणवत्ता के मूल्यांकन को प्रस्तुत करता है। तालाब और भूमिगत जल से पानी के नमूने, पानी पीने के उद्देश्य के लिए उपयुक्तता की जाँच करने के लिए अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए थे
मसाही गांव ( हरिद्वार) के भूमिगत जल एवं तालाब की गुणवत्ता का मूल्यांकन,PC-amuj
Recording the climate co-benefits of MGNREGS
CSTEP develops a framework for quantifying the climate co-benefits of MGNREGS works
Women working on an NREGA site building a pond to assist in farming and water storage (Image: UN Women/Gaganjit Singh)
पर्यावरण संवारती भारत की नदियां
अपनी कई सहायक नदियों के साथ भारत की नदी प्रणाली का निर्माण करती हैं। अधिकांश नदियां अपना जल बंगाल की खाड़ी में गिराती हैं। कुछ नदियों के प्रवाह उन्हें देश के पश्चिमी भाग से होते हुए और हिमाचल प्रदेश राज्य के पूर्व की ओर अरब सागर में ले जाते हैं। भारत की सभी प्रमुख नदियां तीन मुख्य जलसंभरों में से एक से निकलती है। भारत की नदियों को उत्पत्ति के आधार पर और उनके द्वारा बनाए गए बेसिन के प्रकार के आधार पर वर्गीकृत किया जा सकता है।
भारत की नदियां,PC-indianetzone
आइये, हम खुद लिखें एक निर्मल कथा  
नदी प्रदूषण मुक्ति असरकारी कार्ययोजना का सबसे पहला काम है अक्सर जाकर अपनी नदी का हालचाल पूछने का यह काम अनायास करते रहें। अखबार में फोटो छपवाने या प्रोजेक्ट रिपोर्ट में यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट लगाने के लिए नहीं, नदी से आत्मीय रिश्ते बनाने के लिए यह काम नदी और उसके समाज में उतरे बगैर नहीं हो सकता। नदी और उसके किनारे के समाज के स्वभाव व आपसी रिश्ते को भी ठीक-ठीक समझकर ही आगे बढ़ना चाहिए। नदी जब तक सेहतमंद रही,उसकी सेहत का राज क्या था?
गंगा में प्रदूषण,Pc-Flicker IWP
पशुधन में फ्लोराइड विष का प्रभाव
पशु के शरीर में फ्लोराइड कई तरह से पहुँचता है, जैसे पीने का पानी, फ्लोराइड युक्त मिट्टी में उगाया हुआ चारा, खनिज मिश्रण तथा कारखाने से निकलने वाली प्रदूषित हवाएं ! हवा में मौजूद धूलि कण आदि। जहाँ फसलों को रॉक फॉस्फेट, मोनो अमोनियम तथा डाय अमोनियम फॉस्फेट पूरक खाद डाली जाती है। वहां की भारी फ्लोराइड विषाक्तता पायी जाती है, पृथ्वी के परत में मौजूद पानी में फ्लोराइड रिसता है
पशुधन में फ्लोराइड विष का प्रभाव,Pc-(Farmers Weekly)
पिघलते ग्लेशियर भी क्लाइमेट इमरजेंसी की वजह 
हाल ही के वर्षों में वहां बर्फ इतनी तेजी से पिचलने लगी है कि जिसे देखकर डर लगता है डर की वजह यह है कि इन इलाकों की एक सेंटीमीटर बर्फ पिघलने का असर 60 लाख लोगों पर पड़ता है। इसका अभिप्राय यह है कि इस तरह 60 लाख नए लोग डूब क्षेत्र की जद में आ जाते हैं।
पिघलते ग्लेशियर भी क्लाइमेट इमरजेंसी की वजह,Pc-Flicker Hindi Water Portal
क्लाइमेट इमरजेंसी हंगामा है क्यों बरपा
पूरी दुनिया में मौसमों की चाल ने ऐसी कयामत बरपाई है कि हर कोई हैरान-परेशान है। धरती पर रहने वाले तमाम जीव-जंतुओं से लेकर इंसान भी इस गफलत में पड़ गये हैं कि वह आखिर तेज गर्मी सर्दी से कैसे बचें। विज्ञान के तमाम आविष्कारों के बल पर हर परिस्थिति से लड़ने में सक्षम इंसान अब खुद को बचाए रखने की जद्दोजहद से जूझने लगा है। ऐसा लग रहा है मानो पृथ्वी पर कोई प्राकृतिक या मौसमी आपातकाल लग गया है और उससे बचने का कोई रास्ता दिखाई नहीं दे रहा है।
2020 was one of the warmest years in India despite La Nina which typically has a cooling effect on global temperatures.(Image: Tumisu, Pixabay)
The fast drying Cauvery delta, at a tipping point
Groundwater depletion from shallow and deep aquifers due to overextraction and seawater intrusion are rapidly drying up freshwater resources in the Cauvery delta. Large-scale groundwater recharge campaigns to raise awareness and aid the recovery of water levels are urgently needed.
Cauvery river at Karnataka (Image Source: Ashwin Kumar via Wikimedia Commons)
Desilting tanks and uplifting collective spirits
A community mobilises resources, including MGNREGS funds, to take care of its commons
Devarakere tank (Image: FES)
संदूषण जलराशियों के बुढ़ापे का संकेत
आधुनिक युग में पढ़ते औद्योगीकरण व विकास की अन्य मानवीय गतिविधियों के चलते विभिन्न जल स्रोतों के जल की गुणवत्ता पर काफी मात्रा में विपरीत प्रभाव पड़ा है। अतः जल प्रदूषण पर्यावरण के लिए एक बड़ी समस्या बन चुकी है। परन्तु जलराशियों के लिए प्रदूषण के अलावा संदूषण भी एक और समस्या है
संदूषण जलराशियों के बुढ़ापे का संकेत,Pc-Encyclopedia Britannica
विश्व धरती दिवस विशेष
आज के संदर्भ में यह कहा जा सकता है कि किसी को मी भूमि (मिट्टी या मृदा) की फिक्र नहीं है। वास्तव में मिट्टी या मृदा की स्थिति कुरुक्षेत्र की युद्धभूमि में शरशय्या पर लेटे घायल भीष्म पितामह जैसी है। भीष्म पितामह को अर्जुन के बाणों से बिंधने के कारण उतनी पीड़ा नहीं थी जितनी कि महाभारत के युद्ध में हुए भीषण नरसंहार के बाद भारत के भविष्य को लेकर थी।
विश्व धरती दिवस विशेष,PC-jagarn
Enhancing Sundarbans' early warning for disaster preparedness
Cultural adaptations to tropical cyclone warnings and impacts are crucial steps in limiting losses
A woman searching for her utensils in debris of her house which collapsed after Cyclone Aila (Image: Anil Gulati, Wikimedia Commons)
बिहार में भूगर्भीय जल संदूषण से पशुओं में फ्लोरोसिस से कुप्रभाव एवं बचाव के उपाय
भूजल में फ्लोराइड का प्रदूषण चट्टानों और अवसादों का अपक्षय और उनमें फ्लोराइड युक्त खनिजों के लीचिंग के कारण होता है। इनके अतिरिक्त उर्वरक और एल्यूमीनियम फैक्टरी के अवशिष्ट जल के भूजल में मिलने से भी पानी फ्लोराइड युक्त हो सकता है। फ्लोराइड की मात्रा कुछ खाद्य पदार्थों में भी अधिक होता है जैसे की समुद्री मछली, पनीर, तुलसी एवं चाय, खाद्य-सामग्री में फ्लोराइड की मात्रा मुख्यतः मिट्टी के प्रकार, भू-पटल में उपस्थित लवणों एवं उपलब्ध पानी पर निर्भर करती हैं। पशु एवम् मनुष्य के शरीर में फ्लोराइड अथवा हाइड्रोफ्लोरिक अम्ल के अधिक प्रवेश होने से फ्लोरोसिस रोग होता है। इसके कारण पशुओं में बाँझपन, उत्पादन घाटा, दांत, हड्डियां, खुर, सींग में विकृति, और अन्य शारीरिक अंग प्रभावित हो सकते हैं।
बिहार में भूगर्भीय जल संदूषण से पशुओं में फ्लोरोसिस से कुप्रभाव एवं बचाव के उपाय,pc-Fluoride Action Network
पर्यावरण प्रवाह: विकास एवं नदी जीवन के मध्य समझौता
भारत में औसत वार्षिक वर्षों की 90 प्रतिशत से अधिक वर्षा वर्षा के चार महीनों (जून से सितम्बर) की अवधि के दौरान होती है तथा वर्षा का वितरण बेहद असमान है और स्थानिक रूप में इसमें बहुत अधिक भिन्नता है। जिसके कारण वर्ष भर विभिन्न क्षेत्रों की पानी की मांग को पूरा करना अत्यधिक कठिन है।
पर्यावरण प्रवाह: विकास एवं नदी जीवन के मध्य समझौता,Pc-HT
जल गुणवत्ता जीवन के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण पहलू
जल प्रदूषण के लिए प्राथमिक कारण जल का अत्यधिक दोहन है जिसने जल प्रदूषण को काफी हद तक बढ़ाया है। पानी की गुणवत्ता संदूषण के विभिन्न कारणों से प्रभावित होती है, जिसमें शहरी और औद्योगिक अपशिष्टों की निकासी और खेतों से जल का बहना शामिल है नये अपशिष्ट पदार्थ इसी तरह जलमार्गों और झीलों में घुल जाते हैं। इस तरह के प्रदूषण मानव जीवन में प्राकृतिक तरीके से प्रवेश कर प्रभावित करते हैं और तब तक एकत्रित होते हैं जब तक कि वे खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंच जाते जल प्रदूषण जलीय जीवों और कशेरुकियों की मृत्यु का भी कारण बनते हैं।
जल गुणवत्ता जीवन के अस्तित्व का एक महत्वपूर्ण पहलू,Pc-krishi alert
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