आर्थिक विकास का पर्यावरण पर क्या प्रभाव पड़ता है (What effect does economic development on the environment?)
विकसित देशों द्वारा विलासिता संबंधी आवश्यकताओं हेतु प्रकृति के संसाधनों का कितना उपयोग किया जाए एवं विकासशील देशों द्वारा मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्राकृतिक संसाधनों का कितना इस्तेमाल किया जाए। अनेक देशों ने प्रकृति से अधिकतम लिया है, पर अब जब वापस करने की जिम्मेदारी आई है. तो ये पीछे हट रहे हैं।
 आर्थिक विकास एवं पर्यावरण
अलकनंदा बेसिन (उत्तराखंड) मे कृषि विकास द्वारा सतत् जीविकोपार्जन एवं भूमि प्रबंधन
उत्तराखंड राज्य में स्थित अलकनंदा बेसिन न केवल उच्च ऊंचाई और ठंडी जलवायु के कारण, बल्कि क्षैतिज और उर्ध्वाधर विभिन्नताओ के कारण उत्कृष्ट है। घाटी क्षेत्रों से उत्तरी सीमा तक उपोष्णकटिबंधीय आर्द्र और जैव जलवायु परिस्थितियों में कदम दर कदम जोन (समशीतोष्ण, उपसमशीतोष्ण और अल्पाइन) परिवर्तन होता है ( एटकिंसन, 1882)। वर्तमान मे बेसिन पारिस्थितिक रूप से नाजुक और आर्थिक रूप से अविकसित है।
अलकनंदा बेसिन
Indian wetlands - under threat from invasive species
Wetlands in India are increasingly facing the threat of invasive alien species that multiply rapidly and fast replace native species thus affecting biodiversity and their survival. Urgent action to deal with the threat is needed.
Wetlands, treasure troves of biodiversity (Image Source: Aarti Kelkar Khambete)
ऊर्जा संरक्षण द्वारा डिमांड साइड मैनेजमेंट(Demand Side Management by Energy Conservation in Hindi)
विद्युत डिमांड मैनेजमैंट के दृष्टिगत ग्रामीण, अर्ध शहरी एवं शहरी क्षेत्रों में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। ऊर्जा बचत का मतलब कटौती करना नहीं बल्कि कम ऊर्जा खपत वाले आधुनिक ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग करके ऊर्जा की खपत में कमी करना है
ऊर्जा संरक्षण
स्वच्छ भारत के निर्माण का आधार आदर्श मोहल्ला अभियान ले रहा आकार
जब प्रत्येक घर का रसोई कचरा, हमारे कचरा निस्तारण पात्र के माध्यम से न केवल घर में ही निस्तारित हो जाएगा, बल्कि उससे हमें तरल खाद भी प्राप्त होगी तो इससे नगर स्वच्छता के परिदृश्य में सुधार होगा। साथ ही तरल खाद के उपयोग से विकसित घरेलू वाटिका से प्रत्येक घर को ताजी और हरी-भरी सब्जियां प्राप्त होंगी जिनमें रसायनों का इस्तेमाल नहीं हुआ होगा। इनके उपयोग से परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। हमें विश्वास है कि धीरे-धीरे अधिकांश परिवारों तक घरेलू कचरा निस्तारण करने और इससे तरल खाद प्राप्त करने की यह विधि पहुंच जाएगी। फिर हम गर्व से कह सकेंगे
स्वच्छ भारत के निर्माण का आधार आदर्श मोहल्ला अभियान,Pc- लोक सम्मान
समुद्री पर्यावरण को बचाने की आवश्यकता
20 वर्षों की लंबी बातचीत के उपरांत एक  सैकड़ा से अधिक देश समुद्री जीवन को बचाने की अहम संधि पर मुहर लगाने को तैयार हो गए हैं। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संपन्न इस हाई सीज ट्रीट्री के तहत 2030  तक दुनिया के 30  प्रतिशत महासागरों को संरक्षित किया जाना है। संधि को लागू करने के लिए अब सभी देशों को अपनी-अपनी संसद से मंजूरी दिलानी होगी। संधि में प्रावधान है कि समुद्री जलीय जीवन को संरक्षित करने के लिए निकाय बनेगा और जलीय जीवों को हो रहे नुकसान के आंकलन के लिए नियम बनेंगे।
समुद्री पर्यावरण को बचाने की आवश्यकता
अपने प्रदेश हों या पड़ोसी देश चहुंओर पहुंच रहा जहरमुक्त प्राकृतिक खेती का संदेश
देश के कई राज्य प्राकृतिक खेती के विस्तार में निरंतर संलग्न हैं, वहीं पड़ोसी देशों में भी प्राकृतिक खेती को अपनाने की इच्छा प्रबल हो रही है। पिछले कुछ सप्ताह में हरियाणा के कुरुक्षेत्र स्थित प्राकृतिक कृषि फार्म पर देश के पूर्व राष्ट्रपति , कई प्रदेशों के राज्यपालों सहित विदेशी प्रतिनिधिमंडल का आगमन हुआ। इन सभी ने प्राकृतिक कृषि की प्रभावोत्पादकता का स्वयं अनुभव करते हुए इसे अपनाने और प्रसारित करने का संकल्प लिया है 
अपने प्रदेश हों या पड़ोसी देश चहुंओर पहुंच रहा जहरमुक्त प्राकृतिक खेती का संदेश
भूजल दोहन और भूकंप का गहरा संबंध:विनाशकारी होगी प्रकृति का धैर्य टूटने की प्रतीक्षा 
भूजल भंडार का बेलगाम दोहन हो रहा है। यदि नदियों की स्थिति बेहतर होती तो भूजल भंडार लगातार रिचार्ज होते रहते। लेकिन हमारी नदियां तो स्वयं अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं पिछले दिनों भूकंप के कारण धरती हिलने से देश की राजधानी दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत देश के कई शहरों में अनिष्ट की आशंका से हड़कंप मच गया। भूकंप के अनेक कारण हैं
भूजल दोहन और भूकंप का गहरा संबंध
India's rivers: From conservation movements to legal personhood
While the current push for legal personhood for rivers is facing obstacles and is stalled, it holds potential as a viable long-term strategy for the preservation of India's rivers
River quality deteriorates as demand for hydropower to support economic growth continues to expand. (Image: Yogendra Singh Negi, Wikimedia Commons; CC BY-SA 4.0 DEED)
Assessment of segregated greywater in rural Indian homes
Household habits, activities, and wastewater source all have a significant impact on the characteristics of greywater.
Greywater filtration (Image: Karen Blakeman; Flickr Commons - CC0 1.0 Universal)
पिघलते ग्लेशियरों की निगरानी ज़रूरी
साल 2021 में एक अध्ययन से पता चला था कि दक्षिण लोनाक झील का आकार गंभीर रूप से बढ़ चुका है। इस अध्ययन में यह भी कहा गया था कि अब झील भारी बारिश जैसे चरम मौसम के प्रति संवेदनशील हो गयी है। अब क्योंकि हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि ग्लेशियर में बाढ़ कब आएगी, इसलिए ऐसी किसी बाढ़ के लिए तैयार रहना ही हमारे पास एकमात्र विकल्प है। जरूरत है उचित आपदा जोखिम न्यूनीकरण योजना और क्षति नियंत्रण की।
पिघलते ग्लेशियर
राजस्थान में थार मरुस्थल की जैव विविधता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की रिपोर्ट-2007 में पश्चिमी भारत में वैश्विक घटकों और जलवायु परिवर्तनों के प्रभाव का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अर्द्ध-शुष्क एवं उप-आर्द्र क्षेत्रों की तुलना में शुष्क क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन प्रारूप अधिक देखने को मिला है। पिछले डेढ़ दशक से थार मरुस्थल में तापमान में वृद्धि, वर्षा की मात्रा में अत्यधिक परिवर्तनशीलता, नमी की मात्रा में वृद्धि और वायु पैटर्न में तेजी से बदलाव हुए है। ये बदलाव ग्लोबल वार्मिंग, खनन गतिविधियों में वृद्धि, नहरी सिंचाई में विस्तार औद्योगिकीकरण, भूमि उपयोग प्रारूप में परिवर्तन, परमाणु विस्फोट आदि कारणों से यहाँ देखने को मिल रहे है, जिसका प्रभाव घास आधारित मरूद्भिद पारिस्थितिकी तंत्र पर हुआ है।
थार मरुस्थल की जैव विविधता
राजस्थान के परम्परागत जल स्त्रोत एवं उनकी उपयोगिता(Traditional water sources of Rajasthan and their usefulness)
जल है तो जीवन है।" इत्यादि उपमाओं का श्रृंगार किया गया है। ऐसे अमृत पेय का, जो प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है परन्तु सीमित मात्रा में हैं, हम निर्ममता से जल दोहन कर रहे हैं। बिना विचारे अपव्यय कर रहे हैं। जड़ व्यक्ति की भांति उसमें तरह-तरह के रसायन तथा गन्दगी मिला रहे हैं। यद्यपि जल में एक सीमित मात्रा तक अपना परिशोधन करने की शक्ति है। इसके पश्चात् जल पूर्णतः मानव एवं समस्त जगत के लिए विष के समान हो जाता है। परन्तु जल में हमारे असीमित दुर्व्यवहार को झेलने की शक्ति नहीं है। फलस्वरूप ये नदियाँ जिनकी कल-कल धारायें सृष्टि की अनंतता की परिचायक थी।
Tanka Water Technique
भारत में पर्यावरण प्रदूषण के कारण | Causes of Environmental Pollution in Hindi
भारत में पर्यावरण प्रदूषण के कारणों के बारे में जानकारी प्राप्त करें और अपने ज्ञान को बढ़ाएं । Get information about the causes of environmental pollution in hindi.
पर्यावरण प्रदूषण
नवीकरणीय एवं स्वच्छ ऊर्जा (Renewable and clean energy)
वर्ष 2014 में अस्तित्व में आई इस पहल का उद्देश्य भारत में सर्वोत्तम श्रेणी के विनिर्माण ढांचे को स्थापित और सुदृढ़ करने के साथ-साथ देश के विनिर्माण क्षेत्र में आर्थिक निवेश, अनुसंधान एवं विकास, नवाचार, कौशल विकास तथा बौद्धिक सम्पदा को समृद्ध करना भी था यह योजना 'जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट लक्ष्य के साथ शुरू की गई
नवीकरणीय एवं स्वच्छ ऊर्जा
खाद्य प्रसंस्करण : विकास और संभावनाएं (Food Processing: Development and Prospects in Hindi)
खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत वे सभी विधियां और तकनीक शामिल हैं, जो कच्चे खाद्य पदार्थ की भंडारण अवधि (शेल्फ लाइफ बढ़ाने, इसके अनेक उपयोगी व मूल्यवर्धित उत्पाद बनाने और इनकी सुरक्षित पैकेजिंग तथा परिवहन के उपयोग में आती हैं। इसके दायरे में विभिन्न प्रकार के अनाजों, सब्जियों, मसालों, मेवों आदि के साथ दूध, मांस, मछली और अंडे भी आते हैं
खाद्य प्रसंस्करण : विकास और संभावनाएं
ओखलकांडा के 'वाटर हीरो' पर्यावरण से ऐसा प्रेम कि जंगलों को लौटा दी हरियाली 
नयाल जी कहते हैं पेड़ पौधों की बात करूं तो वर्तमान समय में हमने लगभग 58 हजार पेड़ पौधे हमने स्वयं से लगा दिए हैं, वैसे हम फल के पौधे भी गाँव वालों को वितरित करते हैं। लगभग 60 हजार से अधिक पौधे हम लोगों को वितरित कर चुके हैं और हम खुद की नर्सरी भी तैयार करते हैं। उसके बाद अपनी आजीविका के रूप में उनका कुछ न कुछ बच जाता है।
ओखलकांडा के वाटर हीरो,PC- द पहाड़ी एग्रीकल्चर
पुराने पड़ते बांधों के खतरे
मामला केवल बड़े बांध का नहीं, बल्कि बहुत सारी छोटी परियोजनाओं का भी है, क्योंकि वे अगर तीव्र ढाल वाली नदी और नालों में बनने लगेंगी तो स्थानीय पर्यावरण का हश्र सामने होगा। वर्ष 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ और 2021 में धौली गंगा की त्रासदियों समेत पर्यावरणीय क्षति की अन्य बड़ी घटनाओं को सिर्फ बर्बादी के विचलित कर देने वाले आंकड़ों और दृश्यों के रूप में नहीं, बल्कि एक स्थायी सबक की तरह भी याद रखा जाना चाहिए।

पुराने पड़ते बांधों के खतरे
वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय फंडिंग में भारत, नेपाल की उपेक्षा: रिपोर्ट
स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर क्वालिटी फंडिंग 2023 - यूके स्थित क्लियर एयर फंड द्वारा क्लाइमेट पॉलिसी इनिशिएटिव के साथ साझेदारी में प्रकाशित की गई है। इससे पता चलता है कि भारत और नेपाल को साल 2015 और 2021 के बीच वायु प्रदूषण से निपटने के लिए इंटरनेशनल डेवलपमेंट फंडर्स द्वारा दिये गए 17.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर में से 1 प्रतिशत से भी कम मिला है। वहीं कुल फंडिंग राशि का 86 प्रतिशत पाँच देशों को मिला. यह पांच देश हैं चीन, फिलीपींस, बांग्लादेश, मंगोलिया, और पाकिस्तान।

वायु प्रदूषण
कृषि प्रधान देश में बेरोज़गार किसान
गांव के एक 45 वर्षीय किसान प्रेमनाथ कहते हैं कि उनके पास रोज़गार और आय के स्रोत के नाम पर ज़मीन के केवल कुछ टुकड़ा है. जिससे साल भर की आमदनी भी नहीं हो पाती है, लेकिन इसके बावजूद वह केवल इसलिए खेती करते हैं क्योंकि उनके पास स्थाई रूप से रोज़गार का कोई अन्य साधन नहीं है
कृषि प्रधान देश में बेरोज़गार किसान
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