राज्य में ग्रामीण उपभोक्ता अपने पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर एसएमएस के माध्यम से अपने जलापूर्ति बिल प्राप्त करने और एक सुरक्षित लिंक के माध्यम से भुगतान करने के विकल्प की सुविधा का लाभ उठा रहे हैं। इस पहल के पीछे प्रेरक शक्ति बिल भुगतान प्रक्रिया को उपभोक्ता के दरवाजे पर सुलभ बनाना था- ताकि वे परंपरागत विधियों में लगने वाले समय और प्रयास से बच सकें। इस प्रणाली के तहत, ईडीसी मशीनों का उपयोग बिल बनाने, नकद में या यूपीआई, डेबिट या क्रेडिट कार्ड के डिजिटल मोड के माध्यम से भुगतान एकत्र करने और भुगतान रसीदें तैयार करने के लिए भी किया जाता है।
ज़्यादातर लोगों ने एकता में शक्ति के उदाहरण के रूप में लकड़ियों के गट्ठर का किस्सा तो सुना ही होगा। उसका सार यह है कि आप अकेली लकड़ी की डंडी को तो आसानी से तोड़ सकते हैं, लेकिन जब उन्हीं डंडियों को इकट्ठा कर उनका गट्ठर बना दिया जाता है तो उसे तोड़ पाना नामुमकिन हो जाता है। यही होती है एकता में शक्ति।
भूजल का भूगर्भीय संदूषण एक गंभीर चुनौती है क्योंकि असम के कुछ जिलों में आर्सेनिक और फ्लोराइड को अनुमेय सीमा से अधिक पाया गया था, जिससे पानी की गुणवत्ता का परीक्षण एक विकल्प ही नहीं बल्कि एक प्राथमिकता बन गया। इसका निराकरण करने के लिए, मिशन निदेशालय - जेजेएम ने यूनिसेफ के सहयोग से पानी की गुणवत्ता के संबंध में समुदाय को संवेदनशील बनाने के लिए महिलाओं को शामिल करने की रणनीति तैयार की।
भारत की वर्षा पोषित कृषि के लगभग 60% 1 के लिए महत्वपूर्ण है और मानसून की हवाओं का समय पर आगमन और पर्याप्तता हमारे कृषि प्रथाओं में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हवाओं की आवृत्ति प्रत्येक मौसम, वर्षा और दशक में भिन्न होती है. और इस बदलाव को मानसून परिवर्तनशीलता कहा जाता है। जलवायु परिवर्तन, औद्योगिकीकरण तथा बढ़ते वाहनों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। परिणामस्वरूप बढ़ती ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन से वैश्विक तापमान में वृद्धि और जलवायु परिवर्तन से समस्त विश्व चिंतित है चिंता का विषय इसलिए भी है, क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है, और भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशीला खेती ही है।
आप सब से आग्रह रहा है कि आप दूर-दूरसे, नदियों से जुड़े, नदियों की सुरक्षा के प्रति कटिबंध और संघर्षशील अध्ययनकर्ता रहे साथी, जहां तक संभव हो, 15 और 16 सितंबर 2 दिन के लिए पधारे नर्मदा घाटी में, 38 साल तक चले संघर्ष और निर्माण के क्षेत्र में।
ग्लोबल विंड एनर्जी काउंसिल (जीडब्ल्यूईसी) और एमईसी+ द्वारा जारी की गयी एक ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत अगले पांच वर्षों के भीतर 21.7 गीगावाट तक नई पवन ऊर्जा क्षमता स्थापित कर सकता है. इससे साल 2027 तक भारत की कुल पवन ऊर्जा क्षमता 63.6 गीगावॉट तक बढ़ जाएगी.
दुनिया में डीकार्बनेशन के लिए जितने धन की जरूरत है उतना उपलब्ध हो पाएगा? इसीलिए ब्लेंडेड फाइनेंस का सवाल खड़ा होता है। दुनिया को डीकार्बनाइजेशन के लिए पूंजी की जरूरत है। इसके लिये ब्लेंडेड कैपिटल, फिलांट्रॉफीज और डीएफआई को साथ लाकर काम करना होगा
वैश्विक नीति निर्माण की दशा और दिशा बदलने वाली इस बैठक पर रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग, अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती प्रतिद्वंद्विता और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के इस बैठक से परहेज करने के हाल के निर्णय असर डालेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भरसक प्रयासों के बावजूद चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन की गैर-मौजूदगी से इस समिट की कामयाबी पर शंका के बादल छा गये हैं।
भारत सरकार ने देश की वृद्धि के साथ पर्यावरणीय प्रबंधन को जोड़ने और उसके बीच संतुलन बनाए रखने की योजना तैयार की है, जिससे वर्ष 2024- 25 तक 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करने के साथ-साथ वर्ष 2030 तक देश को विश्व की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा दिलाया जा सके।
ये बदलाव जलवायु परिवर्तन के कारण हुए हैं, यह जानने के लिए शोधकर्ताओं ने अपने अवलोकनों की तुलना एक ऐसे जलवायु मॉडल से की जो बताता है कि ग्रीनहाउस गैस बढ़ने पर समुद्र पारिस्थितिकी तंत्र में किस तरह के बदलाव आएंगे। तुलना में उन्होंने पाया कि मॉडल के नतीजे और उनके अवलोकन मेल खाते हैं।वास्तविक कारण पता लगाना बाकी है। शोधकर्ताओं का कहना है कि संभवतः यह समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि का सीधा प्रभाव नहीं है
देश के सबसे बड़े राज्य राजस्थान में गोचर को बचाने का बड़ा मुद्दा है। पिछले साल गायों के प्रति आदर भाव रखने वाले लोगों ने लंबे अरसे तक आंदोलन करके सरकार को उस फैसले को ठंडे बस्ते में डालने पर मजबूर किया था
केंद्र की सरकार एक मजबूत केंद्रीय हिमालय नीति बनाने के लिए हिमालय का मंत्रालय तो बनाएगा ही साथ ही हिमालय के पृथक विकास के मॉडल को निर्धारित करने के लिए आमजन द्वारा प्रस्तुत की गई हिमालय लोक नीति के सुझाव के अनुरूप हिमालय नीति का निर्धारण करेगी।
उत्तराखंड के चमोली में सीवेज राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन (एनएमसीजी) शोधन संयंत्र (एसटीपी) हादसे के बाद अब देश के 10 राज्यों में नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत बनाए गए सभी एसटीपी का आडिट कराने जा रहा है। इसमें एसटीपी में विद्युत सुरक्षा मानकों के साथ ममें तमाम बिंदुओं पर स्थिति की जानकारी जाएगी।
Prominent social impact networks and individuals join forces to launch a coalition with the aim of fostering climate resilience and inclusivity in Bengaluru
देश काल क्षेत्र एवं परिस्थितियों के अनुसार संसाधनों की उपलब्धता वहाँ की जनसंख्या, उसकी मांग एवं जीवन स्तर, विदोहन, उपयोग की दिशा तथा परिमाण पर निर्भर है तथा इसका अविवेकपूर्ण दोहन तथा अनियंत्रित उपयोग अनेक प्रकार की समस्याओं को जन्म दे सकता है। या तो वे सम्पूर्ण रूप से समाप्त हो जायेंगे अथवा रूप परिवर्तन अथवा प्रदूषण के फलस्वरूप निष्प्रभावी हो जायेंगे और नहीं तो पर्यावरणीय समस्या पैदा कर देंगे।
वर्तमान युग संगणक युग माना जाता है। जलविज्ञान ने इसकी सहायता से पिछले कुछ दशकों में अच्छी प्रगति की है। पुरा - बाढ़ तकनीक के माध्यम से ऐसी बाढ़ जो सौ दौ सौ अथवा हजारों साल पहले कभी किसी नदी में आई थी उनके परिणाम काफी हद तक शुद्ध रूप से मापे जा सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस 29 जुलाई को जारी इन आंकड़ों से प्रसन्न मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि बाघ का पुनर्स्थापन कठिन काम है । यह समाज के सहयोग के बिना संभव ही नहीं है। अतएव हम सब भावी पीढ़ियों के लिए प्रकृति संरक्षण का एक बार फिर संकल्प लें। बाघों की यह गिनती 'कैमरा ट्रैपिंग पद्धति से की गई है।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देखते हुए यह कहना गलत न होगा कि भविष्य में हमारा विकास और समृद्धि समंदरों पर निर्भर रहेगी। इनके महत्व को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 2012 में टिकाऊ विकास सम्बंधी सम्मेलन में हरित अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाकर नीली अर्थव्यवस्था तक ले जाने पर ज़ोर दिया था। संयुक्त राष्ट्र ने महासागरों, सागरों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण को निर्वहनीय विकास लक्ष्यों (एसडीजी) में शामिल किया है।