अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन वार्ताओं में विकासशील विश्व का नेतृत्व करता भारत
भारत ने जलवायु परिवर्तन कन्वेंशन में समान और साझा किंतु भिन्न-भिन्न उत्तरदायित्व, जो इसकाआधारभूत सिद्धांत है, को अंतः स्थापित करने में महत्वपूर्ण नेतृत्व क्षमता का प्रदर्शन किया।
सीओपी 21 के दौरान भारत के मंडप में भारत के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी
जलवायु परिवर्तन का अरुणाचल प्रदेश की जैव-विविधता पर प्रभाव : एक आकलन
वर्तमान समय में जलवायु परिवर्तन विश्व की सबसे ज्वलंत पर्यावरणीय समस्याओं में से एक है। अंतर सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की पांचवी आकलन रिपोर्ट (एआर 5) के अनुसार इस शताब्दी के अंत तक वैश्विक तापमान में 0.3 से 4.8 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। तापमान में उपरोक्त वृद्धि स्वास्थ्य, कृषि, वन, जल-संसाधन, तटीय क्षेत्रों, जैव विविधता और पारिस्थितिकी तंत्रों पर विपरीत प्रभाव डालेगी।
जलवायु परिवर्तन का अरुणाचल प्रदेश की जैव-विविधता पर प्रभाव : एक आकलन
वैश्विक प्राकृतिक घटनाएं एवं उनका प्रभाव - ग्लोबल वार्मिंग के सन्दर्भ में
आज तक सम्पूर्ण विश्व इस ओर कुछ करने में असमर्थ है क्योंकि इसका सीधा प्रभाव विकसित देशों की औद्योगिक दर एवं विकास दर पर पड़ रहा है जिससे ये देश अपनी इस समस्या का उल्लेख कर इस वैश्विक समस्या ग्लोबल वार्मिंग के प्रति उदासीन दिखाई देते हैं। वैसे अगर देखा जाये तो देश से ज़्यादा देश के लोगों का इस समस्या के प्रति उदासीन रवैया इस समस्या को बढ़ा रहा है क्योंकि देखा जाए तो ग्लोबल वार्मिंग में उपस्थित ग्रीन हाउस गैसों के कारक सामान्य व्यक्ति से जुड़े हैं जिनमें कार्बन उत्सर्जन रेट मुख्य कारक है।
वैश्विक प्राकृतिक घटनाएं एवं उनका प्रभाव - ग्लोबल वार्मिंग के सन्दर्भ में
विकास से उपजती है बाढ़
हिमालय से दिल्ली तक के हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और उत्तरप्रदेश राज्यों की नदियों के किनारे 13,900 हेक्टेयर जमीन पर कब्जा कर दो करोड़ लोग निवास कर रहे हैं।
विकास से उपजती है बाढ़
Navigating the intricate challenge of floods and droughts
The occurrence of floods and droughts is increasing in India. However, they don't have to evolve into disasters. The outcome hinges on society's approach to their management.
Addressing floods and droughts are different ends of the same spectrum. Collaboration between various water agencies and presenting a joint government response to the challenge is necessary. (Image: India Water Portal Flickr)
How can Himachal Pradesh be protected from natural disasters?
Unraveling Himachal Pradesh's calamity conundrum: Balancing development and environmental conservation
Landslide menace grips Himachal, triggered by unplanned development, climate shifts, and environmental degradation (Image: Sridhar Rao, Wikimedia Commons)
Restoring village commons, securing prosperity
Sustaining livelihoods and ecosystems: The commons revival of Sagdi ka Guda village
The core of every common-property management system is the set of rules governing the control and administration of common property, as well as the local institutions responsible for creating, implementing, and enforcing these laws. (Image: FES)
पर्यावरण संरक्षण के वैश्विक प्रयास (Global efforts to protect the environment in Hindi)
ग्लोबल वार्मिंग यानी गर्माती धरती की समस्या से निपटने के लिए पहला अन्तर्राष्ट्रीय करार क्योटो प्रोटोकॉल है जो 1997 में किए गए यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कंवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) का संशोधित रूप है। जापान के क्योटो शहर में "क्योटो प्रोटोकाल" नामक मसौदा पर्यावरण विध्वंस को रोकने की विश्व इच्छा का प्रतीक बनकर सामने आया था। विश्व के अधिकतर देशों ने जलवायु परिवर्तन की समस्या पर चिंता व्यक्त की ।
पर्यावरण संरक्षण के वैश्विक प्रयास
पर्यावरण से सम्बंधित गंभीर समस्याएं एवं चुनौतियाँ (Serious problems and challenges related to environment in Hindi)
प्रकृति के सजृनात्मक एवं ममतामयी रूप के चलते ही जीवन अपने सब रंग रूपों में इस धरती पर बिखरा पड़ा है। लेकिन इसी जीवनदायनी प्रकृति का एक डरावना चेहरा भी है जिसे हम आमतौर पर प्राकृतिक आपदाओं के नाम से जानते है। प्राकृतिक आपदाएं वह शक्तियां है जिनके सामने मानव पूरी तरह बेबस है। भूकंप, ज्वालामुखीय विस्फोट, बाढ़, चक्रवात, सुनामी आदि प्रकृति की ऐसी ही विध्वंसकारी ताकतें हैं जो जीवन के नामोंनिशान को पूरी तरह मिटाने में सक्षम हैं।
झीनी होती ओजोन परत
स्वच्छ ऊर्जा का मुख्य स्रोत क्या हैं (What are the main sources of Clean Energy in Hindi)
भावी पीढ़ियों के लिए इस ग्रह को बेहतर बनाए रखने के लिए हमें प्रकृति के साथ कदम से कदम मिलाकर जलवायु परिवर्तन की समस्या का सामना करना होगा। इसके लिए कार्बन की कम मात्रा उत्सर्जन करने वाले ईंधनों के राष्ट्रीय मानक तय करने के साथ नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग करके जीवाश्म ईंधन की खपत में कमी करनी होगी।
नवीकरणीय ऊर्जा
Rethinking India’s water and climate narrative in agriculture
What are the reasons behind the sluggish pace of technology adoption for solutions related to water and climate change?
Agtech introduces fresh advancements and creativity to established farming methods through the utilization of digitalization and contemporary approaches. (Image: Ankit Chandra)
प्रदूषण से प्रभावित होती जैव विविधता
जैव विविधता के कारण पृथ्वी जीवन के विविध रंगों को संजोए हुए है। यहां पाए जाने वाली लाखों तरह की वनस्पतियां पृथ्वी के प्राकृतिक सौंदर्य का एक अंग हैं। जहां पृथ्वी की वनस्पतियों में गुलाब जैसे सुंदर फूलदार पौधे, नागफनी जैसे रेगिस्तानी पौधे, सुगंधित चन्दन और वट जैसे विशालकाय वृक्ष शामिल हैं वहीं यहां जीव-जंतुओं की दुनिया भी अद्भुत विविधता लिए हुए है।
पृथ्वी के प्राकृतिक सौंदर्य
प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होता स्वास्थ्य
प्रदूषण का मानव के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। प्रदूषण जनित जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ एवं सूखे की स्थिति में विस्थापन के कारण कुपोषण, भुखमरी एवं संक्रामक रोगों का भी खतरा बढ़ जाता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 1970 के बाद हुए जलवायु परिवर्तन के परिणामस्वरूप विकासशील देशों में प्रतिवर्ष 1,50,000 लोगों की मृत्यु हो जाती है।
प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन से प्रभावित होता स्वास्थ्य
वैश्विक तापन के संभावित परिणाम
बढ़ते प्रदूषण के कारण तापमान में बदलाव का विश्व भर में व्यापक प्रभाव दिखाई दे रहा है । आज बदलती जलवायु के प्रभाव कुछ क्षेत्रों विशेष रूप से आर्कटिक क्षेत्र, अफ्रीका और छोटे द्वीपों को अधिक प्रभावित कर रहा है। उत्तरी ध्रुव (आर्कटिक) दुनिया की तुलना में दोगुनी दर से गर्म हो रहा है। वैज्ञानिकों के अनुसार आगामी कुछ वर्षों में ग्रीष्म ऋतु के दौरान उत्तरी ध्रुव की बर्फ पिघल जाएगी । एक अन्य अध्ययन के अनुसार ऐसा छह वर्ष के दौरान भी हो सकता है। पिछले 100 वर्षों में अंटार्कटिका के तापमान में दोगुनी वृद्धि हुई है।
वैश्विक तापन के संभावित परिणाम
Changing crop types and water scarcity: The case of Marathwada
What are the reasons for enhancement of drought like conditions in Marathwada in recent years? A study provides answers.
Sugarcane, the water thirsty crop of Marathwada (Image Source: Azhar Feder, Wikimedia Commons-CC-BY-SA-3.0)
Intermittent water distribution networks: A tale of two cities
Improving intermittent water supply systems can be challenging due to complexities of the systems and lack of adequate data. This study proposes new methods to measure efficiency and outreach of intermittent supply schedules by discussing examples of Delhi and Bengaluru.
Improving water supply systems is crucial to improve access and prevent contamination (Image Source: Wikimedia Commons)
बदलती जलवायु
किसी स्थान का मौसम ही उस स्थान की जलवायु को निर्धारित करने वाला सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक होता है। लंबे समय तक चलने वाला मौसम ही जलवायु का रूप धारण कर लेता है। इस प्रकार किसी क्षेत्र के दीर्घकालीन लगभग 30 वर्षों तक के मौसम को जलवायु कहा जाता है।
बदलती जलवायु
गर्माती धरती
बढ़ते प्रदूषण के कारण आज सबसे अधिक चिंता का विषय धरती के औसत तापमान का बढ़ना है। इस परिघटना को ग्लोबल वार्मिंग यानी वैश्विक तापन भी कहा जाता है । ग्लोबल वार्मिंग से आशय पृथ्वी की सतह के निकट वायुमंडल तथा क्षोभ मंडल में तापमान के बढ़ने से है
गर्माती धरती
हरित गृह प्रभाव(Green House Effect)
ठंडी जलवायु वाले स्थानों में पौधों को गर्माहट देने के लिए बनाए जाने वाले पारदर्शी कांच के पौधा घर यानी ग्रीन हाउस में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प आदि ठीक इसी तरह ऊष्मा को रोक कर ग्रीन हाउस के अंदर गर्माहट बनाए रखते हैं। इसीलिए ऊष्मा को रोकने की इस प्रक्रिया को 'ग्रीन हाउस प्रभाव' नाम दिया गया है और इस प्रभाव को उत्पन्न करने वाली गैसों को ग्रीन हाउस गैसें कहते हैं।
 हरित ग्रह प्रभाव
×