भरतपुर, राजस्थान की मिट्टी में क्लोरपाइरीफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशकों का विद्युत रासायनिक निर्धारण
क्लोरपाइरोफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशकों का विद्युत रासायनिक अध्ययन मरकरी ड्रॉप इलेक्ट्रोड की सहायता से डिफरेंशियल पल्स पोलरोग्राफी विधि द्वारा भरतपुर (राजस्थान) को मिट्टी में किया गया। इस शोध से पता चला है कि मिट्टी में कीटनाशकों का मरकरी ड्रॉप इलेक्ट्रोड द्वारा विद्युत विश्लेषण एक सटीक और सस्ती विधि है। इस विधि में नमूनों की आसानी से तैयारी की जाती है और कम लागत वाले अभिकर्मकों का उपयोग अतिरिक्त लाभ है।
 भरतपुर, राजस्थान की मिट्टी में क्लोरपाइरीफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशक
हिण्डन संरक्षण के लिए संगोष्ठी का आयोजन
रविवार को गाजियाबाद हित संरक्षण, संवर्धन तथा समन्वयक समिति के तत्वावधान में जीवनदायिनी हिण्डनः वर्तमान और भविष्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में एनजीटी के पूर्व चेयरमैन और उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश आदर्श गोयल एवं गाजियाबाद के पूर्व जिलाधिकारी डॉ अजय शंकर पाण्डेय की उपस्थिति विशेषरूप से महत्वपूर्ण रही।
हिण्डन नदी वर्तमान और भविष्य विषय पर संगोष्ठी का आयोजन
शोध : गंगा नदी की ही भाँति सरयू नदी में भी पाई गई जीवाणु भोजी बैक्टीरियोफेज की उपस्थिति
अब वह दिन दूर नहीं कि गंगाजल की तरह सरयू जल को भी बोतल में सुरक्षित किया जा सकेगा और वह खराब नहीं होगा।सरयू नदी में पाए जाने वाले जीवाणु एवं विषाणुओं पर अध्ययन हेतु विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के विज्ञान एवं अभियांत्रिकी विभाग की आर्थिक सहायता प्राप्त की है। इनके निर्देशन में शोध छात्रों द्वारा अस्पताल में संक्रमण करने वाले जीवाणुओं की पहचान और उनकी एंटीबायोटिक प्रतिरोधी बनने पर अध्ययन किया जा रहा है।
गंगा नदी,गंगोत्री
एक नज़र : जलवायु परिवर्तन पर(climate change)
आधुनिक समय में मौसम विज्ञान बहुत अधिक विकसित हो चुका है फिर भी प्रायः मौसमविदों की भविष्यवाणियां निरर्थक हो जाती हैं। ऐसे में यह विचार कौंधता है कि क्या इसमें भारतीय ऋतु विज्ञान की सहायता नहीं ली जा सकती मने ही पराधीन काल में भारतीय ऋतु विज्ञान उपेक्षित रहा हो किन्तु अब  स्वतंत्र देश में उसका परीक्षण तो किया ही जा सकता है।
ऋतुचक्र का बदलाव
भारत में जल प्रबंधन की संभावनाएं और चुनौतियां : एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Prospects and challenges of water management in India: A scientific approach)
सामाजिक-आर्थिक प्रक्रियाओं में बदलाव और जनसंख्या में वृद्धि के कारण पिछले कुछ दशकों में भारत में पानी की मांग बढ़ रही है।भारत के जल संसाधनों के सतत, न्याय संगत और कुशल प्रबंधन को विकसित करने में कई चुनौतियाँ हैं। पहला, विभिन्न क्षेत्रों में पानी की मांग, प्रकृति और गुणवत्ता दूसरा प्रौद्योगिकी चुनौतियां।
भू-जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन
हरियाणा में भूमिगत जल की उपलब्धता एवं उपयोग | Availability and Use of Underground Water
हरियाणा में भूमिगत जल की उपलब्धता और उपयोग के भौगोलिक अध्ययन के बारे में जानकारी प्राप्त करें | Get information about geographical study of availability & use of underground water in hindi.
हरियाणा में भूमिगत जल की उपलब्धता एवं उपयोग
हरियाणा राज्य में जल संसाधनों के प्रबंधन की समस्याएं एवं जियोइंफॉर्मेटिक्स तकनीक द्वारा उनका निदान
भूजल की गुणवत्ता अच्छी थी, अधिक दोहन के कारण भू-जल स्तर लगातार नीचे गिरता चला गया तथा कृषि क्षेत्र जहाँ भू-जल की गुणवत्ता खराब थी, अधिक सतही पानी के प्रयोग के कारण तथा भूजल की अनुपयोगिता के कारण भूजल स्तर लगातार ऊपर आता चला गया। इसका एक प्रमुख कारण गेहूं-चावल फसल चक्र को भी माना जाता है।
हरियाणा राज्य में जल संसाधनों के प्रबंधन की समस्याएं एवं जियोइंफॉर्मेटिक्स तकनीक
अतुल्य भारत की बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा आर्द्रभूमियाँ
इस सम्मेलन में यह निश्चित किया गया कि प्रतिवर्ष संपूर्ण विश्व में 2 फरवरी का यह दिन "विश्व आर्द्रभूमि दिवस" के रूप में मनाया जायेगा। इसका मुख्य उद्देश्य ग्लोबल  वॉर्मिंग का सामना करने में आर्द्रभूमि, जैसे दलदल अथवा मैनग्रोव के महत्व के बारे में जागरुकता फैलाना है। वर्ष 2020 में विश्व आर्द्रभूमि  दिवस के दिन इस विषय को सर्वोपरि रखा गया और आर्द्रभूमि की वर्तमान स्थिति, जैव-विविधता और उससे जुड़े अनेकानेक विषयों पर प्रकाश डाला गया। उसमें हुई क्षति की भरपाई करने के उपायों पर बातचीत की गई और इस महत्वपूर्ण विषय को बढ़ावा दिया गया।
अतुल्य भारत की बहुमूल्य प्राकृतिक सम्पदा आर्द्रभूमियाँ
नेपाल भूकंप (Nepal Earthquake In Hindi )
हिमालय पर रहते थे और फैलाश पर्वत पर स्थाई निवास बनाये थे। ऐसा लगता है हमने उनको है तपस्या भंग कर दी है। उनकी तपस्या में खलल डाला है इंसान ने जब उनको खुली तो प्रकृति के साथ हो अन्याय को देखकर के क्रोधित हुए और ने अपनी तीसरी आंख खोल दी। जिससे चारों ओर सिर्फ मौत से सीत दिखाई दे रही है। इंसान से ऐसी फोन सी गलती हुई कि शिव ने रुष्ट होकर ऐसा तांडव नृत्य किया। इस पर हमें आज विचार करने की जरूरत है।
नेपाल भूंकप
ज्वार भाटा का क्या महत्व है
समुद्री जलस्तर के उतार एवं चढ़ाव को ज्वार-भाटा कहा जाता है। समुद्री जलस्तर के चढ़ाव के समय समुद्र का पानी तट की ओर बढ़ता है जिसे ज्वार कहते हैं और इसके विपरीत उतरते के समय समुद्र का जल तट से समुद्र की ओर घटता है और इस घटना को भाटा या निम्न ज्वार कहा जाता है। जो समुद्री तरंग ज्वार के द्वारा उत्पन्न होती है उसे ज्वारीय तरंग (Tidal (wave) कहते हैं। उच्च ज्वार एवं निम्न ज्वार के अंतर को ज्वारीय सीमा (Tidal Range) कहा जाता है। 
ज्वार-भाटा की स्थिति
कीटनाशक पर्यावरण पर दबाव तथा जनमानस पर दुष्प्रभाव  
कीटनाशकों के उपयोग से प्रतिवर्ष 55 प्रतिशत से 42 प्रतिशत फसले कोटों से बचाई जा सकती हैं, परन्तु कीटनाशकों और उनके अवक्रमित उत्पाद पर्यावरण में उपस्थित होने के कारण विषैले रसायनों का संचय खाद्य श्रृंखला में करते हैं
कीटनाशक पर्यावरण पर दबाब तथा जनमानस पर दुष्प्रभाव  
घटती जल गुणवत्ता से कैंसर जनित संभावनाएं
यूरिया से प्रदूषित भूजल श्मेरिन डेड जोन बनाने का कार्य करता है। जल में घुलनशील नाइट्रेट पौधों की वृद्धि के साथ-साथ काई की अनियंत्रित वृद्धि जिसे एल्गल ब्लूम भी कहते हैं को बढ़ावा देते हैं। शैवालों या काई की मात्रा बेहद अधिक होने से इनका अपघटन होता है
घटती जल गुणवत्ता से कैंसर,PC-Wikipedia
राजस्थान में जल संसाधन संरक्षण एवं विकास
राज्य के पश्चिम में अन्तराष्ट्रीय सीमा रेडक्लिफ रेखा जो पाकिस्तान से लगती है। इस सीमा की राज्य में कुल लम्बाई 1070 कि.मी. है। राज्य के बीचों-बीच दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर अरावली पर्वतमाला विद्यमान है जो विश्व की प्राचीनतम पर्वतमाला है
राजस्थान में जल संसाधन संरक्षण एवं विकास
जयपुर स्मार्ट सिटी में स्मार्ट आधारभूत संरचनाओं का भौगोलिक अध्ययन
आर्थिक आधारभूत संरचना में जयपुर स्मार्ट सिटी के आर्थिक परिवेश व संगठन को प्रकट किया जाता है। इसमें आर्थिक अवसर विभिन्न क्षेत्रों में निवेश, बँकिंग, उद्योग, रोजगार, उत्पादन क्षमता. लाभ, एवं अन्य आर्थिक गतिविधियों को सम्मिलित किया जाता है।
जयपुर स्मार्ट सिटी में स्मार्ट आधारभूत संरचनाओं का भौगोलिक अध्ययन
Shaping the future of clean energy manufacturing
India’s clean energy manufacturing sector performing well in terms of supplier ecosystem, collaborations and partnerships: KPMG study
Woman barefoot solar technician (Image: Abbie Trayler-Smith/Panos Pictures/Department for International Development; CC BY-NC-ND 2.0 DEED)
सीकर जिले में जल संरक्षण की परम्परागत एवं आधुनिक विधियों का एक विशेष अध्ययन
किसी स्थान विशेष की अवस्थिति से वहाँ की जलवायु मृदा, वनस्पति, कृषि, जीव-जन्तु मानव आदि प्रभावित होते हैं। भौगोलिक अवस्थिति के अनुसार ही उस स्थान पर विभिन्न वनस्पतियाँ एवं जीव, पर्यावरण के साथ सम्बन्ध स्थापित कर अपना विकास करते हैं
सीकर जिले में जल संरक्षण की परम्परागत एवं आधुनिक विधियों का एक विशेष अध्ययन
जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन : करौली पंचायत में समिति के संदर्भ में अध्ययन
प्रस्तुत शोध पत्र में राजस्थान राज्य के करौली जिले की करौली पंचायत समिति में संचालित जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम एवं उसके परिणामों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया है। इसके अलावा जलग्रहण क्षेत्र में पहले से उपलब्ध जल संसाधनों, उनके प्रदूषित होने एवं जलाभाव के कारणों प्रभावों एवं जल प्रबन्धन के प्रभावी उपायों का भी उल्लेख किया गया हैं।
जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मूल्यांकन
Interlinking rivers can influence the dynamics of the Indian summer monsoon
Recent study highlights the need for careful consideration of ecological sustainability and water demands in large-scale hydrological projects
River in India (Image: Rishav Saha, Wikimedia Commons, CC BY-SA 4.0 DEED)
जल संसाधन प्रबन्धन में जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम का मुल्यांकनः बामनवास पंचायत समिति का एक अध्य्यन
वर्षा की मात्रा में कमी की वजह से भूमिगत जल स्तर गिर गया जिससे कुओं के जल स्तर में गिरावट आई और अधिकांश कुएं सूख गये सन 2015-16 में कुओं की संख्या 4343 थी लेकिन पिछले 5 वर्षों में कुऐं की मात्रा में गिरावट दर्ज की गयी।
 इंटरनेशनल जर्नल ऑफ जियोग्राफी एंड एनवायरनमेंट
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