किसी स्थान विशेष की अवस्थिति से वहाँ की जलवायु मृदा, वनस्पति, कृषि, जीव-जन्तु मानव आदि प्रभावित होते हैं। भौगोलिक अवस्थिति के अनुसार ही उस स्थान पर विभिन्न वनस्पतियाँ एवं जीव, पर्यावरण के साथ सम्बन्ध स्थापित कर अपना विकास करते हैं
प्रस्तुत शोध पत्र में राजस्थान राज्य के करौली जिले की करौली पंचायत समिति में संचालित जलग्रहण क्षेत्र विकास कार्यक्रम एवं उसके परिणामों का सांख्यिकीय विश्लेषण किया गया है। इसके अलावा जलग्रहण क्षेत्र में पहले से उपलब्ध जल संसाधनों, उनके प्रदूषित होने एवं जलाभाव के कारणों प्रभावों एवं जल प्रबन्धन के प्रभावी उपायों का भी उल्लेख किया गया हैं।
वर्षा की मात्रा में कमी की वजह से भूमिगत जल स्तर गिर गया जिससे कुओं के जल स्तर में गिरावट आई और अधिकांश कुएं सूख गये सन 2015-16 में कुओं की संख्या 4343 थी लेकिन पिछले 5 वर्षों में कुऐं की मात्रा में गिरावट दर्ज की गयी।
विकसित देशों द्वारा विलासिता संबंधी आवश्यकताओं हेतु प्रकृति के संसाधनों का कितना उपयोग किया जाए एवं विकासशील देशों द्वारा मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु प्राकृतिक संसाधनों का कितना इस्तेमाल किया जाए। अनेक देशों ने प्रकृति से अधिकतम लिया है, पर अब जब वापस करने की जिम्मेदारी आई है. तो ये पीछे हट रहे हैं।
उत्तराखंड राज्य में स्थित अलकनंदा बेसिन न केवल उच्च ऊंचाई और ठंडी जलवायु के कारण, बल्कि क्षैतिज और उर्ध्वाधर विभिन्नताओ के कारण उत्कृष्ट है। घाटी क्षेत्रों से उत्तरी सीमा तक उपोष्णकटिबंधीय आर्द्र और जैव जलवायु परिस्थितियों में कदम दर कदम जोन (समशीतोष्ण, उपसमशीतोष्ण और अल्पाइन) परिवर्तन होता है ( एटकिंसन, 1882)। वर्तमान मे बेसिन पारिस्थितिक रूप से नाजुक और आर्थिक रूप से अविकसित है।
Wetlands in India are increasingly facing the threat of invasive alien species that multiply rapidly and fast replace native species thus affecting biodiversity and their survival. Urgent action to deal with the threat is needed.
विद्युत डिमांड मैनेजमैंट के दृष्टिगत ग्रामीण, अर्ध शहरी एवं शहरी क्षेत्रों में ऊर्जा संरक्षण को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। ऊर्जा बचत का मतलब कटौती करना नहीं बल्कि कम ऊर्जा खपत वाले आधुनिक ऊर्जा दक्ष उपकरणों का उपयोग करके ऊर्जा की खपत में कमी करना है
जब प्रत्येक घर का रसोई कचरा, हमारे कचरा निस्तारण पात्र के माध्यम से न केवल घर में ही निस्तारित हो जाएगा, बल्कि उससे हमें तरल खाद भी प्राप्त होगी तो इससे नगर स्वच्छता के परिदृश्य में सुधार होगा। साथ ही तरल खाद के उपयोग से विकसित घरेलू वाटिका से प्रत्येक घर को ताजी और हरी-भरी सब्जियां प्राप्त होंगी जिनमें रसायनों का इस्तेमाल नहीं हुआ होगा। इनके उपयोग से परिवार के सदस्यों के स्वास्थ्य में सुधार होगा। हमें विश्वास है कि धीरे-धीरे अधिकांश परिवारों तक घरेलू कचरा निस्तारण करने और इससे तरल खाद प्राप्त करने की यह विधि पहुंच जाएगी। फिर हम गर्व से कह सकेंगे
20 वर्षों की लंबी बातचीत के उपरांत एक सैकड़ा से अधिक देश समुद्री जीवन को बचाने की अहम संधि पर मुहर लगाने को तैयार हो गए हैं। न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में संपन्न इस हाई सीज ट्रीट्री के तहत 2030 तक दुनिया के 30 प्रतिशत महासागरों को संरक्षित किया जाना है। संधि को लागू करने के लिए अब सभी देशों को अपनी-अपनी संसद से मंजूरी दिलानी होगी। संधि में प्रावधान है कि समुद्री जलीय जीवन को संरक्षित करने के लिए निकाय बनेगा और जलीय जीवों को हो रहे नुकसान के आंकलन के लिए नियम बनेंगे।
देश के कई राज्य प्राकृतिक खेती के विस्तार में निरंतर संलग्न हैं, वहीं पड़ोसी देशों में भी प्राकृतिक खेती को अपनाने की इच्छा प्रबल हो रही है। पिछले कुछ सप्ताह में हरियाणा के कुरुक्षेत्र स्थित प्राकृतिक कृषि फार्म पर देश के पूर्व राष्ट्रपति , कई प्रदेशों के राज्यपालों सहित विदेशी प्रतिनिधिमंडल का आगमन हुआ। इन सभी ने प्राकृतिक कृषि की प्रभावोत्पादकता का स्वयं अनुभव करते हुए इसे अपनाने और प्रसारित करने का संकल्प लिया है
भूजल भंडार का बेलगाम दोहन हो रहा है। यदि नदियों की स्थिति बेहतर होती तो भूजल भंडार लगातार रिचार्ज होते रहते। लेकिन हमारी नदियां तो स्वयं अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं पिछले दिनों भूकंप के कारण धरती हिलने से देश की राजधानी दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ समेत देश के कई शहरों में अनिष्ट की आशंका से हड़कंप मच गया। भूकंप के अनेक कारण हैं
While the current push for legal personhood for rivers is facing obstacles and is stalled, it holds potential as a viable long-term strategy for the preservation of India's rivers
साल 2021 में एक अध्ययन से पता चला था कि दक्षिण लोनाक झील का आकार गंभीर रूप से बढ़ चुका है। इस अध्ययन में यह भी कहा गया था कि अब झील भारी बारिश जैसे चरम मौसम के प्रति संवेदनशील हो गयी है। अब क्योंकि हम यह अनुमान नहीं लगा सकते कि ग्लेशियर में बाढ़ कब आएगी, इसलिए ऐसी किसी बाढ़ के लिए तैयार रहना ही हमारे पास एकमात्र विकल्प है। जरूरत है उचित आपदा जोखिम न्यूनीकरण योजना और क्षति नियंत्रण की।
जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की रिपोर्ट-2007 में पश्चिमी भारत में वैश्विक घटकों और जलवायु परिवर्तनों के प्रभाव का दावा किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अर्द्ध-शुष्क एवं उप-आर्द्र क्षेत्रों की तुलना में शुष्क क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन प्रारूप अधिक देखने को मिला है। पिछले डेढ़ दशक से थार मरुस्थल में तापमान में वृद्धि, वर्षा की मात्रा में अत्यधिक परिवर्तनशीलता, नमी की मात्रा में वृद्धि और वायु पैटर्न में तेजी से बदलाव हुए है। ये बदलाव ग्लोबल वार्मिंग, खनन गतिविधियों में वृद्धि, नहरी सिंचाई में विस्तार औद्योगिकीकरण, भूमि उपयोग प्रारूप में परिवर्तन, परमाणु विस्फोट आदि कारणों से यहाँ देखने को मिल रहे है, जिसका प्रभाव घास आधारित मरूद्भिद पारिस्थितिकी तंत्र पर हुआ है।
जल है तो जीवन है।" इत्यादि उपमाओं का श्रृंगार किया गया है। ऐसे अमृत पेय का, जो प्रकृति का सर्वोत्तम उपहार है परन्तु सीमित मात्रा में हैं, हम निर्ममता से जल दोहन कर रहे हैं। बिना विचारे अपव्यय कर रहे हैं। जड़ व्यक्ति की भांति उसमें तरह-तरह के रसायन तथा गन्दगी मिला रहे हैं। यद्यपि जल में एक सीमित मात्रा तक अपना परिशोधन करने की शक्ति है। इसके पश्चात् जल पूर्णतः मानव एवं समस्त जगत के लिए विष के समान हो जाता है। परन्तु जल में हमारे असीमित दुर्व्यवहार को झेलने की शक्ति नहीं है। फलस्वरूप ये नदियाँ जिनकी कल-कल धारायें सृष्टि की अनंतता की परिचायक थी।
भारत में पर्यावरण प्रदूषण के कारणों के बारे में जानकारी प्राप्त करें और अपने ज्ञान को बढ़ाएं । Get information about the causes of environmental pollution in hindi.
वर्ष 2014 में अस्तित्व में आई इस पहल का उद्देश्य भारत में सर्वोत्तम श्रेणी के विनिर्माण ढांचे को स्थापित और सुदृढ़ करने के साथ-साथ देश के विनिर्माण क्षेत्र में आर्थिक निवेश, अनुसंधान एवं विकास, नवाचार, कौशल विकास तथा बौद्धिक सम्पदा को समृद्ध करना भी था यह योजना 'जीरो डिफेक्ट जीरो इफेक्ट लक्ष्य के साथ शुरू की गई