/topics/conflicts
संघर्ष और विवाद
सामाजिक अंकेक्षण की पूर्व तैयारी जरूरी
Posted on 09 Aug, 2014 09:18 PMहमने पिछले अंक में यह चर्चा की कि पंचायतों के कार्यों सामाजिक अंकेक्षण क्या है? इसका उद्देश्य क्या है और यह क्यों जरूरी है? हमने यह भी चर्चा की कि सामाजिक अंकेक्षण फोरम क्या है और इसका संचालन किस प्रकार होता है? इस अंक में हम बात कर रहे हैं कि सामाजिक अंकेक्षण फोरम को अंकेक्षण के पूर्व किस-किस तरह की तैयारी करनी चाहिए, ताकि ठोस नतीजे तक आप पहुंच सकें।पानी पर युद्ध के खतरे का आकलन
Posted on 25 Jul, 2014 01:02 PM संयुक्त राष्ट्र के महासचिव रहे बुतरस घाली ने तो लगभग तीन दशक पहलेप्यासे ड्रैगन को पानी चाहिये
Posted on 15 Feb, 2014 10:13 AMजबकि नयी दिल्ली और बीजिंग के राजनयिक सीमा रेखा मुद्दे पर बातचीत करते है, चीनी इंजीनियरों का ब्रम्हपुत्र नदी के जल को मोड़ने की योजना पर काम जारी है। परियोजना को बंद कर देने के आश्वासनों के बावजूद ऐसा हो रहा है।आस्था या नदियों को मारने की साजिश
Posted on 07 Mar, 2013 01:24 PM‘मेरे बीते हुए कल का तमाशा न बना, मेरे आने वाले हालात को बेहतर कर दो।मैं बहती रहूं अविरल इतना सा निवेदन है, नदी से मुझको सागर कर दो।।’बुंदेलखंड
नर्मदा में जमीन हक का हल्ला बोल
Posted on 23 Feb, 2012 05:35 PMसरदार सरोवर की डूब से प्रभावित सबसे बड़ी आबादी मध्य प्रदेश की है। मध्य प्रदेश के 193 गांवों में अभी भी डेढ़ लाख से बड़ी आबादी निवास कर रही है, फिर एनवीडीए ने विस्थापितों की स्थिति को ‘‘जीरो बैलेन्स’’ क्यों बताया? सत्याग्रह स्थल पर नर्मदा बचाओ आंदोलन के एक पोस्टर में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण को नर्मदा घाटी ‘‘विस्थापन’’ प्राधिकरण लिखा गया है। पहाड़ के 41 और निमाड़ के 17 सहित डूब में कुल 58 आदिवासी गांव प्रभावित हैं। मध्य प्रदेश के ज्यादातर पहाड़ी गांवों के सड़क संपर्क पथ वर्षों पूर्व डूब में समा गए हैं। कई गांवों की खेती-बाड़ी, घर-बार डूब चुके हैं।
कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की कथा “पूस की रात” के असली नायक 80 साल बाद भी पूस की रात में फसल बचाने के लिये नहीं, फसल उगाने की जमीन के हक के लिये पिछले दो महीनों से “जमीन हक सत्याग्रह” चला रहे हैं। अगर आप 'पूस की रात' का संग्राम जानना चाहते हैं तो मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिला के जोबट में शासकीय कृषि फार्म की 87 एकड़ जमीन को अपने कब्जे में लेकर हल जोत रहे आदिवासियों से मिलिये। सरदार सरोवर की डूब से प्रभावित विस्थापित आदिवासियों ने 24 नवम्बर 2011 को इंदौर से 225 कि.मी. दूर स्थित जोबट में मजबूत कंटीले लौह बेड़ों के घेरे को तोड़कर शासकीय कृषि फार्म हाउस पर अपना कब्जा जमाया और खुले आकाश में “जमीन हक सत्याग्रह” शुरू कर दिया। 25 वर्षों से शांतिपूर्वक अहिंसक आंदोलन कर रहे नर्मदा बचाओ आंदोलन के सैकड़ों आदिवासियों ने फार्म हाउस पर कब्जा कर सरकारी कर्मचारियों को सरकारी खेती करने से रोक दियाविनाश की ओर बढ़ता विकास
Posted on 21 Nov, 2011 02:17 PMसबसे बड़ी चिंता ये है कि हमने इतना प्रदूषण पैदा कर दिया है कि हमारी समुद्र की सतह पर जो गर्मी रहा करती थी, वो बढ़ रही है और गर्मी बढ़ने के कारण जो हवाएं ठीक से चलनी चाहिए, उसमें विघ्न पड़ गया है। उस विघ्न का भी नाम उन्होंने अलनीनो इफेक्ट कह रखा है। उसके कारण से जो बिचारे बादल आ रहे थे, वे बीच में रुक गए और बाकी के लौट गए बेचारे। अगर बादलों को हवा नहीं ले के आएगी, तो बादलों के पांव तो कोई होते नहीं हैं। अपने आप तो वो चल कर आ नहीं सकते हैं। उनको हवाएं ही लाएंगी। और वो हवाएं अगर गड़बड़ हो गई हैं, तो क्या होगा?
कल मैं पटना से चला। वो हफ्ते में दो दिन चलने वाली गाड़ी है, इसलिए उसमें ज्यादा भीड़ नहीं थी। मैं जाकर अपनी जगह पर बैठा। सामने एक विदेशी लेटे हुए थे। थोड़ी दूर गाड़ी आगे निकली। उन्होंने देखा कि उस डिब्बे में बैठे हुए लोग आकर मेरे दस्तखत लेने की कोशिश कर रहे हैं, मुझसे बात कर रहे हैं। उनको लगा कि ऐसे लेटे रहना शायद ठीक नहीं है। उन्होंने उठकर किसी से जाकर बात की होगी कि ये कौन हैं। फिर उन्होंने मुझसे माफी मांगी और कहा कि मैं इतनी देर पैर पसारे आपके सामने इस तरह से लेटा हुआ हूं तो ये मैं असभ्यता कर रहा था। मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं आज आपके साथ यात्रा कर रहा हूं।वे जर्मनी के पत्रकार थे। एक साल की छुट्टी लेकर दुनिया घूमने के लिए निकले हुए हैं। अभी वो बिलकुल चले आ रहे थे चीन से। वे चीन से नेपाल आए और नेपाल से दार्जिलिंग आए और दार्जिलिंग से बस पकड़कर पटना। पटना स्टेशन के बाहर भोजन वगरैह करके बहुत थके हुए थे, इसलिए लेट गए होंगे। जवान आदमी, ठीक बात कर रहे थे। पूछा कि आप क्यों जा रहे हैं वहां। मैंने बताया कि वहां सर्व सेवा संघ में आधुनिक सभ्यता के संकट पर ‘हिन्द स्वराज’ की चर्चा है। जर्मनी के किसी प्रसिद्ध विश्वविद्यालय में पढ़े अच्छे पत्रकार थे वे। उन्होंने कहा कि हां संकट तो सही है लेकिन
नया रणक्षेत्र: भारत-पाक जल विवाद
Posted on 22 Apr, 2011 12:41 PM
प्रतिबंधित पाकिस्तानी आतंकी गुट लश्कर-ए-ताइबा से जुड़ा संगठन जमात उद दावा (जेयूडी) जल बंटवारे के मसले पर लगातार भारत विरोधी एजेंडे को हवा दे रहा है। जमात के कार्यक्रमों में सत्तारूढ़ पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी और नवाज शरीफ की पीएमएल-एन, जमात ए इसलामी समेत सभी बड़ी पार्टियों के लोग शिरकत कर रहे हैं।
जेयूडी ने पाकिस्तान सरकार को चेताया है कि वह भारत को पाकिस्तान की ओर आने वाली नदियों पर बांध बनाने से रोके या फिर इस मसले को निपटाने की जिम्मेदारी ‘कश्मीरी मुजाहिदीनों’ को दे दी जाए।
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के सलाहकार एवं योजना आयोग के उपाध्यक्ष सरदार आसिफ अहमद अली का मानना है कि भारत नदियों से पाकिस्तान के पानी का हिस्सा चुरा रहा है।