मधुसूदन आनंद

मधुसूदन आनंद
पानी उजाड़ो भक्तों का भविष्य बनाओ
Posted on 13 Dec, 2016 12:13 PM

‘हमारे यहाँ पानी का बिगाड़ नहीं होता और हम किसी सरकार या सरकार के बाप का पानी नहीं लेते। मेरी ऊपर वाले से दोस्ती है और मैं जब चाहूँ, जहाँ चाहूँ बरसात करा सकता हूँ।’ -आसाराम बापू
हिमालय : पृथ्वी पर लिखी एक रहस्यमय लिपि
Posted on 02 Nov, 2010 10:28 AM
पिछले दिनों जब प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह ने हिमालय के ईको-सिस्टम यानी उसकी तमाम जैव विविधता, वनस्पति, नदियों, जल प्रपातों और विशाल ग्लेशियरों को बचाने का आह्वान किया तो याद आया कि हमारे देश में हिमालय नामक एक पर्वत भी है। नहीं तो हम शहरातियों के लिए हिमालय का मतलब है-कुल्लू, मनाली, शिमला, मसूरी, नैनीताल, दार्जीलिंग और शिलांग आदि। कोई तीर्थयात्री हुआ तो उसके लि
गंगा ने संभाला है हमारे पुरखों को...
Posted on 02 Nov, 2010 09:08 AM

दुनियाभर में नदियों के साथ मनुष्य का एक भावनात्मक रिश्ता रहा है, लेकिन भारत में आदमी का जो रिश्ता नदियों- खासकर गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी आदि प्रमुख नदियों के साथ रहा है, उसकी शायद ही किसी दूसरी सभ्यता में मिसाल देखने को मिले। इनमें भी गंगा के साथ भारत के लोगों का रिश्ता जितना भावनात्मक है, उससे कहीं ज्यादा आध्यात्मिक है।

भारतीय मनुष्य ने गंगा को देवी के पद पर प्रतिष्ठित किया है। हिन्दू धर्मशास्त्रों और मिथकों में इस जीवनदायिनी नदी का आदरपूर्वक उल्लेख मिलता है।
एक भोपाल है, एक है मेक्सिको की खाड़ी
Posted on 02 Nov, 2010 12:16 PM
अमेरिका में किसी भारतीय कंपनी की फैक्टरी में भोपाल गैस कांड सरीखी तबाही हुई होती, तो क्या अमेरिकी सरकार उस कंपनी और उसके लोगों को ऐसे ही छोड़ देती? क्या तब कानूनी प्रक्रिया के छेद से कोई भारतीय कंपनी निरापद बाहर निकल सकती थी क्योंकि वहाँ तो किसी अमेरिकी कंपनी को भी नहीं छोड़ा जाता। इसका प्रमाण है मेक्सिको की खाड़ी में बी.पी. तेल रिसाव को लेकर अमेरिकी सरकार की पहल।
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