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संघर्ष और विवाद
जोशीमठ व हिमालय में हो रही भीषण आपदाओं के मुद्दे पर मातृ सदन में तीन दिवसीय (12 से 14 फरवरी, 2023) अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन
Posted on 07 Feb, 2023 10:24 AMदिनांक : 12 - 14 फरवरी 2023
स्थान - मातृ सदन, जगजीतपुर, कनखल, हरिद्वार, उत्तराखण्ड (भारत) 249408
जोशीमठ व हिमालय में हो रही भीषण आपदाओं को लेकर मातृ सदन में तीन दिवसीय (12 से 14 फरवरी, 2023) अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है, जिसके लिए देश-विदेश से कई गणमान्य हिस्सा लेने पहुँच रहे हैं। सम्मेलन में तीन सत्र हैं और तीनों में अलग अलग पहलुओं पर विचार किया जाएगा।
सिंधु के मोर्चे पर
Posted on 14 Dec, 2016 12:48 PMभारत- पाक आपसी सौहार्द्र से सुलझाएं मतभेदः विश्वबैंक
सिंधु में खून और पानी दोनों एक साथ कैसे बह सकता है? पाकिस्तान को हमसे पानी भी चाहिए और आए दिन लोगों का खून भी बहाता रहेगा। अगर इस मामले में कोई टांग अड़ाने की कोशिश करेगा तो भारत उसको दरकिनार कर देगा। भारत के इस स्पष्ट संदेश के बाद विश्वबेंक को समझ में आ गया है कि अगर कोई बाहरी ताकत से सिंधु मामले को सुलझाने की कोशिश की गई तो मामला और बिगड़ सकता है। भारत अब आर-पार के मूड में है।
विश्वबैंक ने कहा है कि सिंधु जलसंधि-1960 को सबसे सफल अतरराष्ट्रीय संधियों में से एक संधि के रूप में देखा जाता है। यह संधि भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बावजूद भी बनी रही है। अब विश्वबैंक ने अपने आप को पीछे किया है और भारत-पाकिस्तान से उम्मीद की है कि वे आपस में कोई नया समझौता कर लें। विश्वबैंक द्वारा उठाए गए इस कदम का भारत ने स्वागत किया है।
नदी जल विवादों का स्थायित्व और निरापद भविष्य
Posted on 15 Oct, 2016 11:40 AM
नदी जल विवाद चाहे वे अन्तरराष्ट्रीय हों या अन्तरराज्यीय, उनके समाधानों की तो खूब चर्चा होती है पर समाधानों के स्थायित्व और उनकी निरापदता की चर्चा नहीं होती। वह (स्थायित्व एवं निरापदता) समाधान सम्बन्धी विचार गोष्ठियों में चर्चा का मुख्य बिन्दु भी नहीं होता। इस कमी या अनदेखी के कारण, सामान्य व्यक्ति के लिये नदी जल विवादों के समाधानों के टिकाऊपन और वास्तविक असर को समझ पाना बेहद कठिन होता है।
यह अनदेखी, मुख्य रूप से जल्दी-से-जल्दी फैसले पर पहुँचने की उत्कट इच्छा और पानी की लगातार बढ़ती माँग का परिणाम होती है। अब समय आ गया है जब हमें आवंटित पानी के उपयोग की टिकाऊ और निरापद रणनीति विकसित करने और उस पर अमल करने की आवश्यकता है।
सिंधु जल-संधि पर सोचे भारत
Posted on 24 Sep, 2016 03:47 PMआजादी के बाद से ही पाकिस्तान लगातार भारत के खिलाफ लड़ाईयाँ लड़ता रहा है। शुरू में उसने सीधा हमला करके भारत को परास्त करने की कोशिश की। पर होता रहा उल्टा; जब भी उसने हमला किया, मुँह की खाता रहा।
धीरे-धीरे पाकिस्तान समझ गया कि सीधी लड़ाई में भारत से वह जीत नहीं सकता। इसलिये करीब 30-40 सालों से पाकिस्तान ‘प्रॉक्सीवार’ यानी छद्मयुद्ध लड़ रहा है। हथियार, पैसा, ट्रेनिंग देकर भारत के खिलाफ आतंकवादियों का इस्तेमाल कर रहा है। हमेशा दुनिया की नजर में पाकिस्तान सरकार अपने को पाक-साफ दिखाना चाहती है और आतंकवादियों को ‘नॉन स्टेट प्लेयर’ के रूप में घोषित करती रहती है।
अन्तरराज्यीय जल विवाद
Posted on 14 Oct, 2015 01:17 PMकन्फ्लिक्ट रिजोल्यूशन दिवस, 15 अक्टूबर 2015 पर विशेष
भारत नदियों का देश है। गंगा, यमुना, सिन्धु, झेलम, ब्यास, ब्रह्मपुत्र, चम्बल, केन, बेतवा, नर्मदा, महानदी, सोन, ताप्ती, गोदावरी, कावेरी, कृष्णा जैसी अनेक नदियाँ इसकी पहचान हैं। उक्त सूची में दर्ज कुछ नदियाँ अन्तरराज्यीय हैं तो कुछ अपने ही प्रदेश के आँगन में अपनी यात्रा पूरी कर लेती हैं।
कुछ नदियों में पानी की विपुल मात्रा प्रवाहित होती है तो कुछ कम पानी पर सन्तोष करती हैं। सिन्धु और ब्रह्मपुत्र का अस्तित्व भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी है। उनके पानी के बँटवारे को लेकर अन्तरराष्ट्रीय समझौते तथा कतिपय समस्याएँ हैं।
भारत की जलवायु मानसूनी है इसलिये यहाँ बमुश्किल चार महीने ही पानी बरसता है। ऐसे देश में जहाँ लगभग आठ माह सूखे हों उस देश के राज्यों के बीच अन्तरराज्यीय नदियों के पानी के बँटवारे का मामला, अपने आप ही प्रभावित आबादी की पानी की मूलभूत ज़रूरतों, खेती और आजीविका से जुड़ा मामला बन जाता है।