सामाजिक अंकेक्षण की पूर्व तैयारी जरूरी

हमने पिछले अंक में यह चर्चा की कि पंचायतों के कार्यों सामाजिक अंकेक्षण क्या है? इसका उद्देश्य क्या है और यह क्यों जरूरी है? हमने यह भी चर्चा की कि सामाजिक अंकेक्षण फोरम क्या है और इसका संचालन किस प्रकार होता है? इस अंक में हम बात कर रहे हैं कि सामाजिक अंकेक्षण फोरम को अंकेक्षण के पूर्व किस-किस तरह की तैयारी करनी चाहिए, ताकि ठोस नतीजे तक आप पहुंच सकें।

सामाजिक अंकेक्षण फोरम के पूर्व तैयारी जरूरी होती है। यह इसलिए जरूरी है कि इसमें पंचायत के कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें मौखिक बातों से ज्यादा आंकड़ों का उपयोग होता है। दूसरा कि इसमें वैसे लोग भी शामिल होते हैं, जो सरकारी भाषा और लंबे-चौड़े आकड़े को सुगमता से ग्रहण नहीं कर सकते। इसलिए फोरम के पूर्व इन तैयारियों को पूरा कर लेना चाहिए :

सामाजिक अंकेक्षण फोरम में पंचायत के कार्यों का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया जाता है। इसमें मौखिक बातों से ज्यादा आंकड़ों का उपयोग होता है। 1. सभी आवश्यक दस्तावेज और रिकार्ड की तैयारी संबंधित कर्मियों द्वारा कर लें।
2. संभव हो, तो सभी जानकारियों का एक सारांश तैयार कर लेनी चाहिए, ताकि उपस्थित लोगों को कम समय में बताया जा सके।
3. फोरम के 15 दिन पूर्व सभी अभिलेखों एवं दस्तावेजों की प्रतियां ग्राम पंचायत कार्यालय में उपलब्ध करा देना चाहिए, ताकि ग्रामसभा के सदस्यों को आसानी से प्राप्त हो सके।
4. यदि संभव हो, तो योजना या कार्यों से संबंधित सारांश को फोरम के तिथि से 15 दिन पूर्व ग्राम पंचायत कार्यालय में प्रदर्शित कर देना चाहिए।
5. जिन योजनाओं या कार्यों की अंकेक्षण किया जाना है, उनकी सूची तैयार कर पंचायत कार्यालय में प्रदर्शित किया जाना चाहिए।
6. फोरम के लिए एक अनिवार्य एजेंडा तैयार किया जाना चाहिए, जिससे यह अंदाजा लगाया जा सके कि नियमानुसार दिशा-निर्देशों का समुचित पालन किया जा रहा है या नहीं?

सामाजिक अंकेक्षण के चरण


किसी भी योजनाओं या कार्यों के क्रियान्वयन के तहत कम से कम तीन चरणों में सामाजिक अंकेक्षण होना चाहिए। पहला कार्य की शुरुआत में, दूसरा कार्य के मध्यम में तथा तीसरा कार्य के अंतिम रूप में। उल्लेखनीय है कि मनरेगा योजना अंतर्गत क्रियान्वयन के 11 चरणों के दौरान सार्वजनिक निगरानी और पुष्टि का समावेश किया गया है, जो है - परिवारों का पंजीकरण, जॉब कार्ड का वितरण, कार्य का आवेदन प्राप्ति, कार्य एवं स्थलों का चयन, तकनीकी आकलन व उनका अनुमोदन तथा कार्य आदेश जारी करना, व्यक्तियों को कार्य बांटवारा, कार्यों का कार्यान्वयन तथा पर्यवेक्षण, बेरोजगारी भत्ता का भुगतान, मजदूरी का भुगतान, कार्य का मूल्यांकन एवं ग्रामसभा में सामाजिक अंकेक्षण।

फोरम की मुख्य बातें


1. फोरम में सभी सूचनाएं जोर-जोर से पढ़ कर सुनाया जाना चाहिए।
2. उपस्थित व्यक्तियों द्वारा कार्य के बारे में सवाल किया जा सकता है।
3. योजनाओं से संबंधित जानकारियां हासिल की जा सकती है।
4. योजनाओं या कार्यों को आलोचनात्मक ढंग से मूल्यांकन करने का मौका दिया जाना चाहिए।
5. कार्यों से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज एवं रिकॉर्ड को मांग कर देखा जा सकता है।
6. कार्यों का मूल अभिलेख फोरम में उपलब्ध होना चाहिए।
7. सूचना प्रस्तुत करने वाला योजना या कार्य से संबंधित नहीं होना चाहिए।
8. सर्वसम्मत निर्णय नहीं होने की स्थिति में सदस्यों के बहुमत निर्णय का आधार बनाना चाहिए।
9. फोरम के शुरुआत में पिछली सामाजिक अंकेक्षण में की गई आपत्तियों का अनुपालन पढ़कर सुनाया जाना चाहिए।

सार्वजनिक जीवन में लाभ


सामाजिक अंकेक्षण का सार्वजनिक जीवन में अहम भूमिका है। इसके कई लाभ हैं। जैसे प्रशासनिक प्रक्रिया और निर्णय लेने में पूरी पारदर्शिता होती है। योजना से प्रभावित लोगों को स्वयं का निर्णय लेने का अधिकार होता है। परियोजनाओं से संबंधित दुर्लभ मामलों में परामर्श और सहमति देने का अधिकार प्रभावित लोगों को मिलता है। प्रतिनिधियों एवं सरकारी संस्थाओं से योजनाओं से संबंधित प्रश्न पूछने का हक मिलता है। एक जवाबदेह संस्कृति विकसित होता है। समाज के पिछड़े लोगों को भी विकास की मुख्यघारा में शामिल होने का मौका मिलता है। अमीरी-गरीबी का मिथक टूटता है, लेकिन सामाजिक अंकेक्षण के लिए लोगों में जागरूकता होना आवश्यक है।

यह कार्य एक व्यक्ति द्वारा संभव नहीं हो सकता, क्योंकि सार्वजनिक धन की उगाही, टिकाऊ एवं उपयोगी कार्य आदि की जांच का हक जनता को है। जब चाहे खर्च का हिसाब एवं कार्यों की गुणवत्ता की जांच जनता कर सकती है। इस प्रकार सामाजिक अंकेक्षण जनता के पैसे का हिसाब जनता द्वारा लेने की प्रक्रिया है। इसलिए सामाजिक अंकेक्षण पंचायती राज संस्थाओं द्वारा क्रियान्वित योजनाओं या कार्यों के लिए एक अनिवार्य पहलू है। इसके माध्यम से क्रियान्वयन तंत्र को पारदर्शी, जवाबदेह एवं संवेदनशील बनाया जा सकता है। इसकी स्वीकार्यता बढ़ाकर ग्रामीण जनता में जागरूकता बढ़ाया जा सकता है। सामाजिक अंकेक्षण से समाज में पारदर्शिता एवं एक जवाबदेह संस्कृति विकसित होगी, जिससे समाज के पिछड़े, दबे-कुचले लोग एक सक्षम व्यक्ति बनकर विकास की मुख्यधारा में शामिल होंगे।

(लेखक डीआरडीए सीतामढ़ी के लेखा पदाधिकारी हैं। फोन-947326059)

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Post By: pankajbagwan
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