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संघर्ष और विवाद
पानी का केन्द्रीय बजट
Posted on 16 Jan, 2009 10:11 AMवित्तमंत्री ने सन 2007-08 का आम बजट पेश करते समय बजट भाषण में सर्वहितकारी वृद्धि, कृषि क्षेत्र के लिए उच्च प्राथमिकता एवं द्वितीय हरित क्रांति का नारा देकर सबको लुभाने की कोशिश की थी। यदि हम बजट को ग्रामीण एवं कृषि क्षेत्र के नजरिये से देखते हुए इस पर गहराई से नजर डालें तो पता चलता है कि वित्त मंत्री ने जो नारा दिया था उसे करनी में नहीं बदला।बांधों से विकास?
Posted on 16 Dec, 2008 07:12 AM
-विमल भाई
एनएचपीसी कहती है कि बांध से विकास होगा तो फिर प्रश्न ये है कि पूरी जानकारी लोगों को क्यों नहीं दी जा रही है? जानकारी हिन्दी में क्यों नहीं दी जा रही है? सरकार को कहीं इस बात का डर तो नहीं है कि यदि लोग सच्चाई जान जाएंगे तो बांध का विरोध करेगें।
यमुना तो फिर भी मैली
Posted on 19 Sep, 2008 07:44 PMपांच दिन के सफाई अभियान में नदी से करीब 600 टन कचरा निकाला गया मगर यमुना जल को वाकई स्वच्छ बनाने के लिए बहुत कुछ करना जरूरी है
नेग में मिली हरियाली
Posted on 19 Sep, 2008 06:37 PMआप मानें या न मानें, उत्तराखंड की लड़कियों ने शादी के लिए आए दूल्हों के जूते चुरा कर उनसे नेग लेने के रिवाज को तिलांजलि दे दी हैं। वे अब दूल्हों के जूतें चुराकर रूढ़ि को आगे नहीं बढ़ातीं। बलकि उनसे अपने मैत (मायके) में पौधे लगवाती हैं। इस नई रस्म ने वन संरक्षण के साथ-साथ सामाजिक समरसता और एकता की एक ऐसी परंपरा को गति दी है जिसकी चर्चा अब उत्तराखंड तक सीमित नहीं रह गई है।नई सोच से दूर होगा जलसंकट
Posted on 19 Sep, 2008 04:36 PMतीन सदी पहले एडम स्मिथ ने गैर-हस्तक्षेपकारी राह के जरिए दुनिया में सबके लिए असीम समृद्धि की सोच जाहिर की थी। इसके तुरंत बाद कुछ अर्थशास्त्री इसके रंग में भंग डालते नजर आए। उनका कहना था कि प्रकृति ने कंजूसी और सजगता से नेमत बख्शी है, संसाधन सीमित हैं। सीमित संसाधानों का मतलब है, लगातार घटता हुआ प्रतिफल। दूसरी ओर आबादी की जरूरतें दिनदूनी-रात चौगुनी बढ़ती रहीं। इसका अवश्यंभावी परिणाम अभाव, अकाल, ब
पानी के मसले एक ही मंत्रालय के पास हो
Posted on 07 Sep, 2008 09:46 PMहर आम और खास की सबसे बड़ी जरूरत है पानी। बढ़ती आबादी व सीमित पानी को देखते हुए झगड़े भी बढ़ रहे हैं। देश में पानी राज्यों का विषय है और केंद्रीय स्तर पर भी पानी कई मंत्रालयों में बंटा है। इन हालात में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री सैफुद्दीन सोज का आए दिन किसी न किसी नए विवाद से सामना होता रहता है। उनका स्पष्ट मानना है कि पानी के लिए तो एक ही मंत्रालय होना चाहिए। 'दैनिक जागरण' के विशेष संवाददात
पैसा नहीं पानी कमाएंगे लोग- शेखर कपूर
Posted on 01 Sep, 2008 07:48 PMयथार्थ को पर्दे पर उतारनेवाले शेखर कपूर 'पानी' बना रहे हैं. इस फिल्म में 2035 के उस भविष्य की कल्पना की गई है जब पानी का नामों-निशां नहीं होगा. फिल्म 'पानी' के बारे में निर्माता-निर्देशक शेखर कपूर से बातचीत.
क्या पानी ऐसा मुद्दा है जिस पर एक पूरी फिल्म बनाई जाए?
जलांगी नदी को पश्चिम बंगाल चुनाव में 58 वोट मिले
Posted on 18 Jul, 2023 01:01 PMपश्चिमबंगाल पंचायत चुनाव-2023 में पर्यावरण एक बड़ा अहम मुद्दा बना। नदी और पर्यावरण राजनीतिक दलों के एजेंडे से कहीं अधिक आम लोगों के आकर्षण का केन्द्र बने। दो उम्मीदवार लड़े, एक जीता, एक हारा। ‘जलांगी नदी सोसायटी’ द्वारा नामित निर्दलीय उम्मीदवार तारक घोष राजनीतिक क्षेत्र में 'मुझे नदी के लिए वोट चाहिए' कहकर जलांगी नदी को बचाने के लिए लड़े। दूसरी ओर, ‘तापती मैती’ एक स्वतंत्र पार्टी के रूप में पर्
हजारीबाग बरवाडीह इलाके की दुमुहानी नदी को नष्ट कर किया अवैध खनन, एनटीपीसी पर 1200 करोड़ का जुर्माना
Posted on 20 Jun, 2023 12:18 PMआरोप क्या है
पर्यावरण के मामले में देश के इतिहास में किसी भी पब्लिक सेक्टर कंपनी पर शायद अब तक का यह सबसे बड़ा जुर्माना है। बड़कागांव के मोंटू सोनी की शिकायत पर एनटीपीसी के पंकरी बरवाडीह कोल परियोजना में शर्तों के खिलाफ क्षेत्र की जीवनरेखा दुमुहानी नदी को नष्ट कर अवैध खनन के मामले में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की केंद्रीय एडवाइजरी कमेटी ने एनटीपीसी पर शर्तों का उल्लंघन क