पारिस्थितिकी और पर्यावरण

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An ecosystem based approach to water management (Image Source: India Water Portal)
नदियों में पर्यावरणीय प्रवाह प्रबंधन द्वारा नदी जल का इष्टतम उपयोग
नदियों का पारिस्थितिक तंत्र पर पड़ने वाला कुप्रभाव क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास को प्रभावित करता है। जैसा कि सर्वविदित है कि किसी क्षेत्र के आर्थिक एवं सामाजिक विकास के लिए यह आवश्यक है कि क्षेत्र में प्रवाहित होने वाली नदियों में न्यूनतम जल उपलब्धता पूरे वर्ष बनी रहे। जिसका प्रभाव क्षेत्र में निवास करने वाले जलजीवों, वनों, वनस्पतियों पर पड़ता है। इसके अतिरिक्त नदियों से अनियंत्रित जल निकासी में वृद्धि नदियों के पारिस्थितिक तंत्र के लिए हानिकारक है। Posted on 11 Aug, 2023 04:37 PM

स्वच्छ जल हमारी दैनिक मूलभूत आवश्यकता है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र, उदाहरणतः घरेलू उपयोगों, खाद्यान्न उत्पादन, औद्योगिक एवं आर्थिक विकास एवं अन्य सामान्य अनुप्रयोग हेतु जल एक अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में दृष्टिगोचर होता है, जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भारतवर्ष में उपलब्ध जल हमें मुख्यतः वर्षा एवं हिमपात से वर्षा ऋतु के चार महीनों, जून से सितंबर के मध्य प्राप्त ह

न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह तथा विकास के बीच संतुलन आवश्यक है। Pc-जल चेतना
लोकरंग पानी के
हमारे वर्तमान तथा भविष्य के लिए भूगर्भ जल का घटना तथा संचय का अपेक्षित रूप से न भरपाना चिंता का विषय है। पानी अगर जरूरत 'भर बचाया जा सका तो उसका संचयन ही जीवन और धरा के लिए अमृत बनेगा। Posted on 10 Aug, 2023 03:32 PM

यह तथ्य समय सिद्ध सत्य है। कि जीवन का मूल आधार जल है। जल जीवन का प्राणदायी रूप लेकर जीवन निर्माण के पाँच तत्वों में से एक हैं। जल प्रकृति की देन है तथा जीवनभाव के लिए अमृत समान है। जल, पानी, नीर आदि अनेकों नामों से असामान्य गुणों के साथ सहज सर्वत्र उपलब्ध है। सामान्य रूप से जल का महत्व उसकी सहज, आसान तथा प्रचुर उपलब्धियाँ हैं। उसकी महत्ता के परिप्रेक्ष्य में हम उसका उपयोग नहीं रोक पाते है। समस्

लोकरंग पानी के,फोटो क्रेडिट-IWP-Flicker
पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता
पर्यावरण के प्रति जागरूकता होगी. दुनिया भर समेत भारत में भी पर्यावरण और जैव विविधता की रक्षा के लिए कई कार्य किए जा रहे हैं. इसे संविधान के मौलिक कर्तव्य (भाग lVA अनुच्छेद 51A) में भी दर्ज किया गया है, जिसके तहत वनों, झीलों और नदियों और वन्यजीवों सहित प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और सुधार करना और जीवित प्राणियों के लिए दया करना शामिल है Posted on 10 Aug, 2023 10:07 AM

पिछले महीने जुलाई को धरती का अब तक का सबसे गर्म महीने के रूप में रिकॉर्ड किया गया है. एक तरफ जहां भारत और चीन सहित दुनिया के कई देश भीषण बाढ़ और प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे हैं, वहीं यूरोप के अधिकांश देश जंगलों में लगी भीषण आग से झुलस रहे हैं. दरअसल प्रकृति के इस रौद्र रूप के ज़िम्मेदार खुद इंसान है. विकास के नाम पर जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने धरती को खोखला कर दिया है.

पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता,फोटो क्रेडिट - चरखा फीचर
पृथ्वी हमारा परिवार बदलें नकारात्मक एवं आत्मघाती व्यवहार
पृथ्वी हमारा पर है, हमारी माँ है, हमारे जीवन का स्रोत है। यह हमें वह सब कुछ प्रदान करती है जिसकी हमें जरूरत है हवा, पानी, भोजन, आश्रय, सुंदरता, विविधता और बहुत कुछ लेकिन हम इन उपहारों के लिए आभारी नहीं हैं, बल्कि हम लालची, स्वार्थी और फिजूलखर्च हैं Posted on 07 Aug, 2023 05:08 PM

पृथ्वी के प्रति हमारा नकारात्मक व्यवहार हम सभी को किस प्रकार कष्ट पहुँचाता है, इसे हम सभी जानते हैं। पेड़ों को काटना और जलाना, प्रदूषण फैलाना और पृथ्वी के प्राणियों की उपेक्षा करना हमारे ग्रह के लिए अच्छा नहीं है। लेकिन फिर भी, हम पृथ्वी को बचाने के लिए कदम उठाने का अभ्यास नहीं कर रहे हैं। ऐसा क्यों हम पर्यावरण और स्वयं पर अपने कार्यों के परिणामों की उपेक्षा क्यों करते हैं?

पृथ्वी हमारा परिवार बदलें नकारात्मक एवं आत्मघाती व्यवहार,Pc-Iwp Flicker
अथर्ववेदः पृथ्वीमाता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवन
अथर्ववेद में जीवाणु विज्ञान का उल्लेख है। इसमें मानव काया रचना और चिकित्सा उपचार व औषधियों से सम्बन्धित सूचनाएँ प्राप्त होती है। आयुर्वेद के मूल उल्लेख, दूसरे शब्दों में आयुर्वेद की उत्पत्ति के कारण, अथर्ववेद भैषज्यवेद अथवा भिषग्वेद कहलाता है। ब्रह्मज्ञान अथर्ववेद का, जैसा कि उल्लेख किया है. एक श्रेष्ठ पक्ष है इसी के साथ 'आनन्द', जिसकी अन्तिम अवस्था परमानन्द है, जो स्वयं परमात्मा स्वरूप है. अथर्ववेद में अध्ययन व ज्ञान का एक मुख्य विषय है। Posted on 07 Aug, 2023 12:49 PM

बीस काण्डों के सात सौ इकतीस सूक्तों में पाँच हजार नौ सी सतहत्तर मंत्रों से सम्पन्न चतुर्थ वेद, अर्थात् अथर्ववेदी की शोभा और महत्ता कई रूपों में है। अथर्ववेद को छन्दवेद कहा जाता है। छन्द अर्थात् आनन्द: इस प्रकार, अथर्ववेद आनन्द ज्ञान व अध्ययन का मार्ग प्रशस्तकर्ता है। अथर्ववेद के मंत्रों में प्रकट ब्रा संवाद के कारण इसे ब्रह्मवेद भी कहते हैं। अथर्ववेद चूंकि प्रमुखतः अंगिरा अथवा अंगिरस ऋषिबद्ध है

अथर्ववेदः पृथ्वीमाता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवन,Pc-wikipedia
मंगल पर मीथेन, पानी तथा अन्य खनिज पदार्थों की उपस्थिति
वैज्ञानिकों का कहना है कि मीथेन की प्राप्ति जैविक प्रक्रियाओं से अधिक तथा अजैविक प्रक्रियाओं से कम होती है। मीथेन का बहुत छोटा साभाग जमीन में दबे हुए या अपघटित पौधों के ऐसे अविलय हिस्सों से भी निकलता है जो केरोजन नामक पदार्थ में तब्दील हो जाते हैं, यही केरोजन जब उष्णता के कारण टूट जाते हैं तो मीथेन गैस पैदा करते हैं, Posted on 05 Aug, 2023 04:04 PM

मीथेन की प्राप्ति जैविक प्रक्रियाओं से अधिक तथा अजैविक प्रक्रियाओं से कम होती है। मीथेन का बहुत छोटा सा भाग जमीन में दबे हुए या अपघटित पौधों के ऐसे अविलय हिस्सों से भी निकलता है जो केरोजन नामक पदार्थ में तब्दील हो जाते हैं, यही केरोजन जब उष्णता के कारण टूट जाते हैं तो मीथेन गैस पैदा करते हैं, इसके साथ अन्य हाइड्रोकार्बन जैसे-इथेन (C₂H₆), प्रोपेन (C₃H₈,) तथा ब्यूटेन (C₄H₁₀)  भी पैदा होते हैं। का

मंगल ग्रह पर पानी की उपस्थिति,PC-जल चेतना
समुद्री खारे पानी की मीठे पानी में बदलने की जरूरत
दुनिया समुद्र के पानी को मीठे जल में परिवर्तित करने की तकनीक की खोज में लगी है, लेकिन इजराइल के अलावा अन्य किसी देश को इस तकनीक के आविष्कार में अब तक सफलता नहीं मिली है। भारत भी इस प्रौद्योगिकी की खोज में लगा है, लेकिन असफल ही रहा। इजराइल से सामरिक और जल संरक्षण के क्षेत्र में भारत ने जो सात समझौते किए हैं Posted on 02 Aug, 2023 04:58 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजराइल यात्रा के दौरान आपने उन्हें वहां के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ समुद्र में एक विशिष्ट जीप में बैठे देखा होगा। यह जीप समुद्र के पानी में चलते हुए समुद्री खारे जल को मीठे पेयजल में बदलने का अचरज भरा काम कर रही थी। गंगाजल से भी उज्ज्वल एवं शुद्ध इस जल को दोनों प्रधानमंत्रियों ने पिया भी पूरी दुनिया समुद्र के पानी को मीठे जल में परिवर्तित करने की तकनीक

समुद्री खारे पानी की मीठे पानी में बदलने की जरूरत,PC:-Wikipedia
जुलाई में दुनिया की 81 फीसद आबादी ने जलवायु परिवर्तन के कारण झेली भीषण गर्मी
भारत में जरूर मानसून सत्र की सक्रियता रही। इससे भारत में जलवायु परिवर्तन का अजल रूप अति वर्षा के रूप में देखा है। Posted on 02 Aug, 2023 01:45 PM

एक के बाद एक वैज्ञानिक सबूत हमारे सामने आते जा रहे हैं जो साफ कर रहे हैं कि बीती जुलाई मानव इतिहास, या उससे पहले के कालखंड की भी सबसे अधिक गरम जुलाई थी।  हम यहां वैश्विक स्तर की बात कर रहे है। भारत में जरूर मानसून सत्र की सक्रियता रही। इससे भारत में जलवायु परिवर्तन का अजल रूप अति वर्षा के रूप में देखा है। हालांकि भारत के कई भाग जो सूखे से गुजर रहे है, वहां पर जुलाई का माह गर्मी के दिनों की तरह

जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण,PC-CHAT GPT
निरंतर बढ़ रहा प्रकृति का प्रकोप आत्मघाती होगी खतरे की अनदेखी
आगामी महीनों में विशेषज्ञ जहां अत्यधिक गर्मी पड़ने की आशंका जता रहे हैं, वहीं कुछ पूर्वानुमानों के अनुसार इस बार सामान्य से कम बारिश होने की भी आशंका है। भूकंप और भूस्खलन भी अब नियमित घटना बनते जा रहे हैं। ऐसे में जिन कारणों से प्रकृति का कोप बढ़ रहा है, उनका निवारण करने की नितांत आवश्यकता है। Posted on 25 Jul, 2023 05:09 PM

बेमौसम हुई भारी बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने कई राज्यों में किसानों की उम्मीद पर पानी फेर दिया है। विशेषकर मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लाखों हेक्टेयर से अधिक गेहूं की फसल को प्रभावित किया है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पहले फरवरी में असामान्य गर्मी और फिर मार्च के महीने में बारिश और ओलावृष्टि ने पुनः जलवायु परिवर्तन और उसके विनाशकारी दुष्परिणाम के प्रति आगाह क

भारत में प्राकृतिक आपदाएं,वीडियो क्रेडिट- विकिपीडिया
कोयला-आधारित स्‍टील निर्माण क्षमता बढ़ी, इसकी कीमत पर्यावरण को चुकाना होंगी 
इतिहास में ऐसा पहली बार है जब भारत कोयला आधारित स्‍टील उत्‍पादन क्षमता के विस्‍तार के मामले में चीन को पछाड़कर शीर्ष पर पहुंच गया है। भारत में कोयला आधारित ‘ब्‍लास्‍ट फर्नेस-बेसिक ऑक्‍सीजन फर्नेस’ क्षमता का 40 प्रतिशत हिस्‍सा विकास के दौर से गुजर रहा है, जबकि चीन में यही 39 फीसद है।हालांकि हाल के वर्षों में कोयला आधारित इस्पात निर्माण का कुछ भाग उत्पादन के स्वच्छ स्‍वरूपों को दे दिया गया है मगर यह बदलाव बहुत धीमी गति से हो रहा है। Posted on 20 Jul, 2023 02:44 PM

ग्‍लोबल एनर्जी मॉनिटर (Global Energy Monitor) की ताजा रिपोर्ट यह कहती है कि दुनिया में स्‍टील उत्‍पादन के लिए ‘ब्‍लास्‍ट फर्नेस- बेसिक ऑक्‍सीजन फर्नेस’ पद्धति का इस्‍तेमाल करने वाली कोयला आधारित उत्‍पादन क्षमता वर्ष 2021 के 350 एमटीपीए के मुकाबले 2022 में बढ़कर 380 एमटीपीए हो गयी है। यह ऐसे वक्‍त हुआ है जब लंबी अवधि के डीकार्बनाइजेशन लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए दुनिया की कुल उत्‍पादन क्षमता

कोयला-आधारित स्‍टील निर्माण क्षमता बढ़ी,क्रेडिट फोटो:- Wikepdia
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