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पारिस्थितिकी और पर्यावरण
नदियों में पर्यावरणीय प्रवाह प्रबंधन द्वारा नदी जल का इष्टतम उपयोग
Posted on 11 Aug, 2023 04:37 PMस्वच्छ जल हमारी दैनिक मूलभूत आवश्यकता है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र, उदाहरणतः घरेलू उपयोगों, खाद्यान्न उत्पादन, औद्योगिक एवं आर्थिक विकास एवं अन्य सामान्य अनुप्रयोग हेतु जल एक अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में दृष्टिगोचर होता है, जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भारतवर्ष में उपलब्ध जल हमें मुख्यतः वर्षा एवं हिमपात से वर्षा ऋतु के चार महीनों, जून से सितंबर के मध्य प्राप्त ह
![न्यूनतम पर्यावरणीय प्रवाह तथा विकास के बीच संतुलन आवश्यक है। Pc-जल चेतना](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%A8%E0%A4%A4%E0%A4%AE%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A3%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%B9%20.png?itok=wi1D8O_i)
लोकरंग पानी के
Posted on 10 Aug, 2023 03:32 PMयह तथ्य समय सिद्ध सत्य है। कि जीवन का मूल आधार जल है। जल जीवन का प्राणदायी रूप लेकर जीवन निर्माण के पाँच तत्वों में से एक हैं। जल प्रकृति की देन है तथा जीवनभाव के लिए अमृत समान है। जल, पानी, नीर आदि अनेकों नामों से असामान्य गुणों के साथ सहज सर्वत्र उपलब्ध है। सामान्य रूप से जल का महत्व उसकी सहज, आसान तथा प्रचुर उपलब्धियाँ हैं। उसकी महत्ता के परिप्रेक्ष्य में हम उसका उपयोग नहीं रोक पाते है। समस्
![लोकरंग पानी के,फोटो क्रेडिट-IWP-Flicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/tap%20%20water%20.png?itok=EaCp13zA)
पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता
Posted on 10 Aug, 2023 10:07 AMपिछले महीने जुलाई को धरती का अब तक का सबसे गर्म महीने के रूप में रिकॉर्ड किया गया है. एक तरफ जहां भारत और चीन सहित दुनिया के कई देश भीषण बाढ़ और प्राकृतिक आपदा की मार झेल रहे हैं, वहीं यूरोप के अधिकांश देश जंगलों में लगी भीषण आग से झुलस रहे हैं. दरअसल प्रकृति के इस रौद्र रूप के ज़िम्मेदार खुद इंसान है. विकास के नाम पर जंगलों और प्राकृतिक संसाधनों के अंधाधुंध दोहन ने धरती को खोखला कर दिया है.
![पर्यावरण के प्रति जागरूक होने की आवश्यकता,फोटो क्रेडिट - चरखा फीचर](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20%E0%A4%9C%E0%A4%BE%E0%A4%97%E0%A4%B0%E0%A5%82%E0%A4%95%20_0.jpg?itok=sxTy8D6G)
पृथ्वी हमारा परिवार बदलें नकारात्मक एवं आत्मघाती व्यवहार
Posted on 07 Aug, 2023 05:08 PMपृथ्वी के प्रति हमारा नकारात्मक व्यवहार हम सभी को किस प्रकार कष्ट पहुँचाता है, इसे हम सभी जानते हैं। पेड़ों को काटना और जलाना, प्रदूषण फैलाना और पृथ्वी के प्राणियों की उपेक्षा करना हमारे ग्रह के लिए अच्छा नहीं है। लेकिन फिर भी, हम पृथ्वी को बचाने के लिए कदम उठाने का अभ्यास नहीं कर रहे हैं। ऐसा क्यों हम पर्यावरण और स्वयं पर अपने कार्यों के परिणामों की उपेक्षा क्यों करते हैं?
![पृथ्वी हमारा परिवार बदलें नकारात्मक एवं आत्मघाती व्यवहार,Pc-Iwp Flicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/earth.png?itok=hUT1Xrgp)
अथर्ववेदः पृथ्वीमाता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवन
Posted on 07 Aug, 2023 12:49 PMबीस काण्डों के सात सौ इकतीस सूक्तों में पाँच हजार नौ सी सतहत्तर मंत्रों से सम्पन्न चतुर्थ वेद, अर्थात् अथर्ववेदी की शोभा और महत्ता कई रूपों में है। अथर्ववेद को छन्दवेद कहा जाता है। छन्द अर्थात् आनन्द: इस प्रकार, अथर्ववेद आनन्द ज्ञान व अध्ययन का मार्ग प्रशस्तकर्ता है। अथर्ववेद के मंत्रों में प्रकट ब्रा संवाद के कारण इसे ब्रह्मवेद भी कहते हैं। अथर्ववेद चूंकि प्रमुखतः अंगिरा अथवा अंगिरस ऋषिबद्ध है
![अथर्ववेदः पृथ्वीमाता, प्रकृति, पर्यावरण और जीवन,Pc-wikipedia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%94%E0%A4%B0%20%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8.jpg?itok=FAreTyGy)
मंगल पर मीथेन, पानी तथा अन्य खनिज पदार्थों की उपस्थिति
Posted on 05 Aug, 2023 04:04 PMमीथेन की प्राप्ति जैविक प्रक्रियाओं से अधिक तथा अजैविक प्रक्रियाओं से कम होती है। मीथेन का बहुत छोटा सा भाग जमीन में दबे हुए या अपघटित पौधों के ऐसे अविलय हिस्सों से भी निकलता है जो केरोजन नामक पदार्थ में तब्दील हो जाते हैं, यही केरोजन जब उष्णता के कारण टूट जाते हैं तो मीथेन गैस पैदा करते हैं, इसके साथ अन्य हाइड्रोकार्बन जैसे-इथेन (C₂H₆), प्रोपेन (C₃H₈,) तथा ब्यूटेन (C₄H₁₀) भी पैदा होते हैं। का
![मंगल ग्रह पर पानी की उपस्थिति,PC-जल चेतना](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%B2%20%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%89%E0%A4%AA%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20.png?itok=I7CPc8Tr)
समुद्री खारे पानी की मीठे पानी में बदलने की जरूरत
Posted on 02 Aug, 2023 04:58 PMप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इजराइल यात्रा के दौरान आपने उन्हें वहां के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ समुद्र में एक विशिष्ट जीप में बैठे देखा होगा। यह जीप समुद्र के पानी में चलते हुए समुद्री खारे जल को मीठे पेयजल में बदलने का अचरज भरा काम कर रही थी। गंगाजल से भी उज्ज्वल एवं शुद्ध इस जल को दोनों प्रधानमंत्रियों ने पिया भी पूरी दुनिया समुद्र के पानी को मीठे जल में परिवर्तित करने की तकनीक
![समुद्री खारे पानी की मीठे पानी में बदलने की जरूरत,PC:-Wikipedia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/Sea_Waves_of_western_Coast.jpg?itok=BMk2W_xl)
जुलाई में दुनिया की 81 फीसद आबादी ने जलवायु परिवर्तन के कारण झेली भीषण गर्मी
Posted on 02 Aug, 2023 01:45 PMएक के बाद एक वैज्ञानिक सबूत हमारे सामने आते जा रहे हैं जो साफ कर रहे हैं कि बीती जुलाई मानव इतिहास, या उससे पहले के कालखंड की भी सबसे अधिक गरम जुलाई थी। हम यहां वैश्विक स्तर की बात कर रहे है। भारत में जरूर मानसून सत्र की सक्रियता रही। इससे भारत में जलवायु परिवर्तन का अजल रूप अति वर्षा के रूप में देखा है। हालांकि भारत के कई भाग जो सूखे से गुजर रहे है, वहां पर जुलाई का माह गर्मी के दिनों की तरह
![जलवायु परिवर्तन व पर्यावरण,PC-CHAT GPT](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-08/IMG-20230802-WA0007.jpg?itok=j8jNlE2w)
निरंतर बढ़ रहा प्रकृति का प्रकोप आत्मघाती होगी खतरे की अनदेखी
Posted on 25 Jul, 2023 05:09 PMबेमौसम हुई भारी बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने कई राज्यों में किसानों की उम्मीद पर पानी फेर दिया है। विशेषकर मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में लाखों हेक्टेयर से अधिक गेहूं की फसल को प्रभावित किया है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। पहले फरवरी में असामान्य गर्मी और फिर मार्च के महीने में बारिश और ओलावृष्टि ने पुनः जलवायु परिवर्तन और उसके विनाशकारी दुष्परिणाम के प्रति आगाह क
![भारत में प्राकृतिक आपदाएं,वीडियो क्रेडिट- विकिपीडिया](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/Bhart%20mein%20Prakartik%20apadayein.png?itok=Sc1_wvbN)
कोयला-आधारित स्टील निर्माण क्षमता बढ़ी, इसकी कीमत पर्यावरण को चुकाना होंगी
Posted on 20 Jul, 2023 02:44 PMग्लोबल एनर्जी मॉनिटर (Global Energy Monitor) की ताजा रिपोर्ट यह कहती है कि दुनिया में स्टील उत्पादन के लिए ‘ब्लास्ट फर्नेस- बेसिक ऑक्सीजन फर्नेस’ पद्धति का इस्तेमाल करने वाली कोयला आधारित उत्पादन क्षमता वर्ष 2021 के 350 एमटीपीए के मुकाबले 2022 में बढ़कर 380 एमटीपीए हो गयी है। यह ऐसे वक्त हुआ है जब लंबी अवधि के डीकार्बनाइजेशन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए दुनिया की कुल उत्पादन क्षमता
![कोयला-आधारित स्टील निर्माण क्षमता बढ़ी,क्रेडिट फोटो:- Wikepdia](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%AF%E0%A4%B2%E0%A4%BE.png?itok=tJUFufDF)