पारिस्थितिकी और पर्यावरण

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जलवायु परिवर्तनः कृषि समस्याएं और समाधान,मौसम, जलवायु एवं परिवर्तन
मौसम को तय करने वाले मानकों में स्थानिक और सामयिक भिन्नता होने की वजह से मौसम एक गतिशील संकल्पना है। मौसम का बदलाव बड़ी ही आसानी से अनुभव किया जाता है क्योंकि यह बदलाव काफी जल्दी होता है और सामान्य जीवन को प्रभावित करता है। उदाहरण के तौर पर तापमान में अचानक हुई वृद्धि | जिस प्रकार मौसम में नित्य परिवर्तन होता है उसी प्रकार जलवायु में भी सतत बदलाव की प्रक्रिया जारी होती है परंतु इसका अनुभव जीवन में नहीं होता क्योंकि यह बदलाव बहुत ही धीमा और कम परिमाणों में होता है Posted on 02 Sep, 2023 02:48 PM

एक निश्चित समय और स्थान पर वातावरण की औसत स्थिति को मौसम के नाम से संबोधित किया जाता है, जबकि एक विशिष्ट क्षेत्र में प्रचलित दीर्घकालीन औसत मौसम को उसी क्षेत्र की जलवायु कहा जाता है। मौसम को तय करने वाले मानकों में वर्षा, तापमान, हवा की गति और दिशा, नमी और सूर्यप्रकाश का प्रमुखता से समावेश होता है। मौसम को तय करने वाले मानकों में स्थानिक और सामयिक भिन्नता होने की वजह से मौसम एक गतिशील संकल्पना

जलवायु परिवर्तन का अरुणाचल प्रदेश की जैव-विविधता पर प्रभाव
वनों पर प्राकृतिक आपदा एवं जलवायु परिवर्तन का प्रकोप
क्लोरोफ्लोरोकार्बन के विमोचन से ओजोन परत की अल्पता होने के कारण सूर्य की पैराबैंगनी किरणें धरातल तक पहुंच कर उसका तापमान बढ़ा देती हैं जिसके फलस्वरूप पादप एवं जंतु जीवन को भारी क्षति होती रही है तथा मनुष्य में चर्म कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो रही है। मनुष्य के द्वारा पर्यावरण का ह्रास इस कदर हो जाना कि वह होमियोस्टैटिक क्रिया से भी पर्यावरण को सही नहीं किया जा सकता है। Posted on 02 Sep, 2023 12:06 PM

वन किसी भी राष्ट्र की मूल्यवान संपत्ति हैं क्योंकि वनों से कच्चे पदार्थ लकड़ियाँ सूक्ष्म जीवों के लिए आवास, मिट्टी के अपरदन से बचाव, भूमिगत जल में वृद्धि होती है। वन, कार्बन डाईऑक्साइड का अधिक से अधिक मात्रा में अवशोषण करते हैं एवं कारखानों से निकलने वाली मानव जनित कार्बन डाईऑक्साइड को सोख कर वायुमंडल के हरित ग्रह प्रभाव को कम करते हैं। कारखानों से निकलने वाली गैसों के पर्यावरण पर कई प्रकार के

वनों पर प्राकृतिक आपदा एवं जलवायु परिवर्तन का प्रकोप
पर्यावरण संरक्षण के वैश्विक प्रयास (Global efforts to protect the environment in Hindi)
ग्लोबल वार्मिंग यानी गर्माती धरती की समस्या से निपटने के लिए पहला अन्तर्राष्ट्रीय करार क्योटो प्रोटोकॉल है जो 1997 में किए गए यूनाइटेड नेशंस फ्रेमवर्क कंवेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (यूएनएफसीसीसी) का संशोधित रूप है। जापान के क्योटो शहर में "क्योटो प्रोटोकाल" नामक मसौदा पर्यावरण विध्वंस को रोकने की विश्व इच्छा का प्रतीक बनकर सामने आया था। विश्व के अधिकतर देशों ने जलवायु परिवर्तन की समस्या पर चिंता व्यक्त की । Posted on 29 Aug, 2023 05:05 PM

पृथ्वी के पर्यावरण का संकट आज सभी के लिए गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है। वर्तमान में पर्यावरण संबंधी विसंगतियों को दर्शाते अध्ययनों और रिपोर्टों की कमीं नही हैं। हर दिन प्रदूषण से जुड़े तमाम भयावह आंकड़े हमारे सामने आते हैं, जो पृथ्वी की बदलती आबोहवा के प्रति हमारा ध्यान आकर्षित करते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के वैश्विक प्रयास
पर्यावरण से सम्बंधित गंभीर समस्याएं एवं चुनौतियाँ (Serious problems and challenges related to environment in Hindi)
प्रकृति के सजृनात्मक एवं ममतामयी रूप के चलते ही जीवन अपने सब रंग रूपों में इस धरती पर बिखरा पड़ा है। लेकिन इसी जीवनदायनी प्रकृति का एक डरावना चेहरा भी है जिसे हम आमतौर पर प्राकृतिक आपदाओं के नाम से जानते है। प्राकृतिक आपदाएं वह शक्तियां है जिनके सामने मानव पूरी तरह बेबस है। भूकंप, ज्वालामुखीय विस्फोट, बाढ़, चक्रवात, सुनामी आदि प्रकृति की ऐसी ही विध्वंसकारी ताकतें हैं जो जीवन के नामोंनिशान को पूरी तरह मिटाने में सक्षम हैं। Posted on 29 Aug, 2023 05:04 PM

वर्तमान में मानव को प्रदूषण संबंधी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन समस्याओं में जलवायु परिवर्तन की भी अहम भूमिका है। मनुष्य को तरह-तरह के संकेतों से प्रकृति समझा रही है कि धरती का तापमान बढ़ रहा है। प्राकृतिक आपदाएं भी प्रकृति के ऐसे ही संकेतों का रूप है जिनके द्वारा हम समझ सकते हैं कि पृथ्वी की जलवायु में परिवर्तन हो रहा है।

झीनी होती ओजोन परत
हरित गृह प्रभाव(Green House Effect)
ठंडी जलवायु वाले स्थानों में पौधों को गर्माहट देने के लिए बनाए जाने वाले पारदर्शी कांच के पौधा घर यानी ग्रीन हाउस में उपस्थित कार्बन डाइऑक्साइड, जलवाष्प आदि ठीक इसी तरह ऊष्मा को रोक कर ग्रीन हाउस के अंदर गर्माहट बनाए रखते हैं। इसीलिए ऊष्मा को रोकने की इस प्रक्रिया को 'ग्रीन हाउस प्रभाव' नाम दिया गया है और इस प्रभाव को उत्पन्न करने वाली गैसों को ग्रीन हाउस गैसें कहते हैं। Posted on 25 Aug, 2023 02:47 PM

अभी तक पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ज्ञात ग्रह है जहां जीवन का अस्तित्व है । इस अनोखे ग्रह पर विद्यमान विभिन्न कारकों के आपसी संतुलनों के परिणामस्वरूप ही यहां जीवन का उद्भव संभव हुआ है। वायुमंडल भी ऐसा ही एक विशिष्ट कारक है जो पृथ्वी को जीवनदायी ग्रह बनाए हुए है। यदि पृथ्वी पर वायुमंडल नहीं होता तो यहां का औसत तापमान शुन्य डिग्री सेल्सियस से भी काफी नीचे (लगभग -15 डिग्री सेल्सियस) होता । वायुमंडल की

 हरित ग्रह प्रभाव
प्रदूषित होता पर्यावरण
वायुमंडल पृथ्वी ग्रह पर जीवन के लिए आवश्यक कारकों में सर्वाधिक महत्वपूर्ण कारक है । वायुमंडल ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन, हाइड्रोजन, हीलियम, ओजोन आदि अनेक गैसों का आवरण है जो पृथ्वी के चारों और फैला हुआ है। लेकिन अब हवा में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। Posted on 25 Aug, 2023 02:03 PM

इस अनोखे पृथ्वी ग्रह को अनेक कारक जीवनदायी बनाते हैं। पृथ्वी का पर्यावरण ऐसा ही एक महत्वपूर्ण घटक है जो इस ग्रह को जीवनदायी बनाए हुए है। पर्यावरण के अंतर्गत वह सभी कुछ शामिल है जो हमारे चारों और उपस्थित है। हमारे आस-पास उपस्थित परिवेश जिसमें वायुमंडल, जलमंडल और भूमि आदि शामिल है, पर्यावरण कहलाता है। वैसे तो अंतरिक्ष से हमारा पृथ्वी ग्रह सुंदर और चमकीला नजर आता है। लेकिन अब पृथ्वी पर घुटन महसूस

प्रदूषित होता पर्यावरण
प्रकृति का उपहार
विभिन्न प्राकृतिक कारकों के आपसी समन्वय के परिणामस्वरूप पृथ्वी पर जीवन कायम है। हवा, जल, मिट्टी, वन एवं ऊर्जा पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने वाले अहम कारक हैं। इन कारकों ने पृथ्वी को जीवनदायी ग्रह बनाने में अहम भूमिका निभाई। इस अध्याय में हम प्रकृति के इन अमूल्य उपहारों की चर्चा करेंगे।

Posted on 24 Aug, 2023 05:00 PM

पृथ्वी का अमृतः जल

पृथ्वी पर जीवन का आरंभ महासागरों के जल में माना जाता है। जल में ही पहली बार जीवन का अंकुर फूटा था। तब से ही जल पृथ्वी पर जीवन का प्रतीक है। महासागरों, नदियों, झरनों, तालाबों, झीलों, पोखरों, भू-जल आदि जल स्रोतों में उपलब्ध जल जीवन के विविध रूपों को पनाह देता है। ये जल स्रोत विभिन्न गतिविधियों के लिए जल उपलब्ध कराने के साथ पर्यावरण पर भी महत्वप

प्राकृति का उपहार
जीवनदायी पृथ्वी ग्रह
सूरज से पृथ्वी की दूरी लगभग 14 करोड़ 96 लाख किलोमीटर है। यह दूरी ही पृथ्वी ग्रह को पूरे सौर मंडल में विशिष्ट स्थान देती है। इसी दूरी के कारण यहां पानी से भरे महासागर बने, रेगिस्तान, पठार और सूरज की लगातार मिलती ऊर्जा और पृथ्वी के गर्भ में मौजूद ताप से पृथ्वी पर जीवन के विभिन्न रूप मिलने संभव हुए। पेड़-पौधे सभी वनस्पति, पशु-पक्षी सभी जीव-जंतु, यहां तक कि सूक्ष्मजीव (जो पृथ्वी पर जीवन के लिए अति आवश्यक हैं) में भी ऊर्जा का स्रोत सूर्य की ऊष्मा ही है। Posted on 24 Aug, 2023 03:37 PM

अंतरिक्ष से बेहद सुंदर दिखाई देने वाला पृथ्वी ग्रह सौर मंडल का तीसरा ग्रह है जो आज से लगभग साढ़े चार अरब वर्ष पहले अस्तित्व में आया। पृथ्वी के जन्म के लाखों-करोड़ों वर्षों के बाद से विभिन्न जटिल प्रक्रियाओं व नाजुक संयोगों के परिणामस्वरूप इस ग्रह पर विभिन्न रूपों में जीवन का विकास हुआ। विकास की इस लंबी प्रक्रिया में विभिन्न कालखण्डों के दौरान लाखों नए-नए जीव प्रकट हुए और अनगिनत जीव विलुप्त भी ह

जीवनदायी पृथ्वी ग्रह
जलविज्ञानीय कहावतों का वैज्ञानिक विश्लेषण
जब बादल नीचे होता है तो उसका रंग काला दिखाई देता है, लेकिन जो बादल ऊँचा होता है वह भूरे रंग का दिखायी देता है। जब तक बादल की डायनेमिक कूलिंग नहीं होती बादल पानी में नहीं बदलता, जब बादल नीचे से ऊपर उठता है Posted on 22 Aug, 2023 05:33 PM

हमारा देश एक कृषि प्रधान देश है। क्योकि हमारी आबादी का लगभग 80% गाँवों में निवास करता है । तथा उनकी  जीविका  उर्पाजन का मुख्य स्रोत कृषि है । इसी तथ्य को ध्यान में रखकर हमारे पूर्वजों ने कुछ इस प्रकार की कहावतें बनाई जो जल विज्ञान से गहन सम्बन्ध रखती हैं तथा इनका प्रयोग बड़ी आसानी से हमारा अनपढ़ किसान अनादि काल से करता चला आ रहा है।

जलविज्ञानीय कहावतों का वैज्ञानिक विश्लेषण,Pc-Wikipedia
पराधीनता की बेड़ियों में कोई नहीं जकड़ा रहना चाहता चाहे वो मनुष्य हो या फिर जीव-जंतु और प्रकृति
नदियाँ निर्बाध रूप से बहना चाहती हैं, जंगल स्वतंत्र और गतिशील रहना चाहते हैं तथा पंछी खुले आसमान में जीवनपर्यंत स्वच्छंद उड़ान भरने की चेष्टा करते हैं। आजाद रहना वन, नदी, पर्वत, पंछी और वन्यजीवों का प्राकृतिक अधिकार है।  Posted on 17 Aug, 2023 03:58 PM

स्वतंत्रता किस मनुष्य अथवा जीव को प्रिय नहीं? जग में भला कौन ऐसा मानव होगा जो चाहेगा कि वो आजीवन परतंत्रता की बेड़ियों में जकड़ा रहे?

आजाद रहना वन, नदी, पर्वत, पंछी और वन्यजीवों का प्राकृतिक अधिकार है,Pc-Wikipedia
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