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पारिस्थितिकी और पर्यावरण
स्वच्छ ईंधन की ओर बढ़ते कदम
Posted on 09 Sep, 2023 03:23 PMइस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर प्रधान मंत्री मोदी ने अपने भाषण में व्यक्त किया था कि पर्यावरण देश की प्रगति के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और हमने वर्तमान एवं भविष्य की जरूरतों को संतुलित रखते हुए पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन को सुरक्षित करने के लिए एक स्पष्ट दिशानिर्देश यानी रोडमैप तैयार किया है। प्रधानमंत्री ने यह भी दोहराया है। कि जहां भारत निर्धन वर्ग को सहायता प्रदान कर रहा है, वह
![स्वच्छ ईंधन की ओर बढ़ते कदम](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/Green%20energy.jpeg?itok=owWCgKhG)
क्या हिमालय दिवस का विचार केवल चिंता करने तक सीमित था ?
Posted on 09 Sep, 2023 02:56 PMहिमालय के संवेदनशील पर्यावरण के लिए चिंतित देश भर के सामाजिक कार्यकर्ताओ और पर्यावरणविदों ने मिलकर देहरादून स्थित हैस्को केंद्र शुक्लापुर में 2010 मे एक बैठक की थी। जिसमें हर वर्ष 9 सितंबर को हिमालय दिवस मनाने का निर्णय लिया गया था। जब यह विचार आया तो हम काफी उत्साहित थे कि हिमालय की गंभीर समस्याओं को लेकर हिमालय दिवस के अवसर पर राज समाज को साथ लेकर यहां के ज्वलंत मुद्दों की तरफ सरकार का ध्यान
![हिमालय दिवस](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/Himalay%20day%20.jpeg?itok=-For4TsW)
पर्यावरण परिक्रमा(environmental revolution)
Posted on 09 Sep, 2023 02:38 PMअंतरिक्ष के कचरे का इसरो ने खोजा समाधान
अंतरिक्ष में बढ़ते कचरे का भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने समाधान खोज निकाला है। इसरो ने ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (पीएसएलवी-सी 56 ) को प्रक्षेपित कर सिंगापुर के सात उपग्रहों को ऊंची कक्षा में स्थापित किया। इसके बाद रॉकेट के चौथे चरण को 300 किलोमीटर की निचली कक्षा में लाने के प्रयोग में भी सफलता प्राप्त की है।
![पर्यावरण परिक्रमा](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/Enviroment%20evolution.jpeg?itok=drTzIJfB)
देश में बाघों का अमृतकाल
Posted on 06 Sep, 2023 05:10 PMमध्यप्रदेश एक बार फिर 'बाघ राज्य' यानी टाइगर स्टेट के नाम से जाना जाएगा। यहां बाघों की आबादी 526 से बढ़कर 785 पहुंच गई है। जो सभी प्रांतों में सबसे ज्यादा है। केन्द्रीय वन राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने अखिल भारतीय बाघ आकलन रिपोर्ट-2022 जारी कर राज्यवार और बाघ आरक्षित क्षेत्र वार बाघों की वर्तमान में मौजूद संख्या के आंकड़े जारी किए हैं।
![देश में बाघों का अमृतकाल](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/OIG%20%2819%29.jpeg?itok=82jhzG_x)
उरुग्वे में जल आपातकाल हमारा भूमण्डल
Posted on 06 Sep, 2023 04:16 PMअपनी बेहतरीन फुटबॉल टीम के कारण दुनिया भर में पहचाना जाने वाला दक्षिण अमेरिका का साढे चौंतीस लाख आबादी वाला छोटा सा देश उरुग्वे अब पानी के भीषण संकट से दो-चार है। पानी की यह बदहाली उस देश में हो रही है जहां अभी दो दशक पहले बाकायदा कानून बनाकर पानी के निजीकरण को रोका और उसे मौलिक मानवाधिकार बनाया गया था।
![उरुग्वे में जल आपातकाल हमारा भूमण्डल,Pc-पर्यावरण डाइजेस्ट](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/Urguvay%20.png?itok=tJHB-5aL)
घायल पर्यावरण को बचाने की गुहार
Posted on 06 Sep, 2023 12:23 PMप्रकृति पंच तत्वों के बिना अधूरी है पंच तत्व अर्थात् पानी, हवा, नभ, अग्नि और भूमि ये तत्व ही सृष्टि का संचालन करते हैं। इनके बिना प्रकृति अधूरी है। इस विश्व में खुशहाल देश वही हुए हैं जहां पानी, हवा और भूमि का संरक्षण किया जाता है। हमारा देश भारत वनों, वन्यजीवों एवं विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों के लिए प्रसिद्ध है। समस्त विश्व में अत्यंत ही अदभुत तथा आकर्षक वन्यजीव पाए जाते हैं। हमारे देश में भी
![घायल पर्यावरण को बचाने की गुहार](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/Paryvarn.jpeg?itok=WSwiIaBn)
सामंजस्य
Posted on 05 Sep, 2023 02:45 PMसभी ग्रहों में, हमारा ग्रह पृथ्वी ही जीवन समर्थक है, क्योंकि यहां की प्रकृति जीवन के अनुकूल है। हमें सदा ही प्रकृति, पर्यावरण और जलवायु का ऋणी रहना चाहिए क्योंकि हमारा अस्तित्व इसी पर अवलम्बित है। उगता हुआ सूर्य, बहती हुई पवन, चहचहाती हुई चिड़िया, पशु-पक्षी, पेड़-पौधे, सुन्दर सुन्दर फूल, जीव जगत आदि सभी, हमारी अनभिज्ञता के बावजूद, न केवल हमारे साथ रहते हैं बल्कि इनका होना हमारे लिए अत्यंत महत्व
![प्रकृति और मनुष्य,सामंजस्य से ही साथ रहते हैं](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/prakarit%20aur%20manusya.jpeg?itok=RXBOIM25)
जलवायु परिवर्तन-प्राकृतिक आपदाएँ एवं विलुप्त होती प्रजातियाँ
Posted on 05 Sep, 2023 01:49 PMमानव का प्रकृति के साथ हमेशा घनिष्ठ संबंध रहा है क्योंकि मानव जीवन खुद इसका एक अंग है। प्राचीन काल से ही मानव पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर रहा है तथा आज भी समस्त मूलभूत ज़रूरतें प्रकृति पर ही निर्भर हैं। मानव का जलवायु के साथ संबंध सदियों से चला आ रहा है, किन्तु इस प्राणदायिनी जलवायु को मानव 5000-9000 वर्ष पूर्व से ही दूषित करता आ रहा है। वरन आग का आविष्कार हो या आवास का निर्माण या कृषि के लिए मि
![जलवायु परिवर्तन-प्राकृतिक आपदाएँ एवं विलुप्त होती प्रजातियाँ](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/J_%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A5%81%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%A8-%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%86%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%81.jpeg?itok=VRltgsf1)
राष्ट्रीय हरित अधिकरण की वर्तमान आवश्यकता
Posted on 04 Sep, 2023 05:06 PMहमारे धर्म ग्रंथ उपनिषद एवं साहित्यिक कृतियां सनातन मानवीय व्यवस्था के साक्षी हैं और उनमें वर्णित न्याय सिद्धान्त पर्यावरण के प्रत्येक घटक को संपूर्ण संरक्षण प्रदान करते हैं। हमारा जीवन दर्शन धर्म व न्याय शास्त्र से निर्देशित है। चेतना के स्थान पर भौतिकता को प्रश्रय हमें अमानवीय बना रहा है और हमें न्याय से दूर ले जा रहा है। हमने प्रकृति के नाजुक तानेबाने को स्वयं के लाभ के लिए इतना ज्यादा नुकसा
![राष्ट्रीय हरित अधिकरण की वर्तमान आवश्यकता](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%AF%20%E0%A4%B9%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%A4%20%E0%A4%85%E0%A4%A7%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20.jpeg?itok=kxDLdQa9)
मार्बल स्लरी : पर्यावरण समस्या एवं उपलब्ध समाधान
Posted on 04 Sep, 2023 04:37 PMचमकीले पत्थर " मार्बल" से निर्मित विश्वप्रसिद्ध ताजमहल, विक्टोरिया मेमोरियल महल, दिलवाड़ा मंदिर एवं बिरला मंदिर जैसी अनेकों इमारतों, मकबरों एवं मंदिरों ने सब का मन मोहा है। भू-गर्भ के अत्यधिक ताप एवं दाब उपरांत कायांतरित चट्टानों में रूपांतरित अवसादी एवं आग्नेय चट्टान का ही एक नाम मार्बल है जिसकी राजस्थान के कुल 33 जिलों में से 16 जिलों में खुदाई की जा रही है एवं प्रसंस्करण भी किया जा रहा है। र
![मार्बल स्लरी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-09/%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AC%E0%A4%B2%20%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%B2%E0%A4%B0%E0%A5%80.jpeg?itok=8ttyUhVk)