पुष्पेन्द्र कुमार अग्रवाल
भारतवर्ष में जल संसाधन प्रबन्धन के क्षेत्र में प्रमुख समस्याएँ एवं समाधान
Posted on 15 Mar, 2016 03:42 PMकिसी देश की आर्थिक एवं सामाजिक समृद्धि को सुरक्षित रखने हेतु यह आवश्यक है कि देश में कृषि, उद्योगों एवं घरेलू उपयोग के क्षेत्रों के लिये आवश्यक स्वच्छ जल की पर्याप्त उपलब्धता हो।
भारत में बाँधों की स्थिति, उपयोगिता एवं समस्याएँ
Posted on 31 Dec, 2015 01:27 PMप्राचीन काल में (3150 ईसा पूर्व) महाराज युधिष्ठिर ने देवर्षि नारद से प्रश्न किया कि क्या हमारे राज्य में कृषक सुखी एवं समृद्ध हैं? क्या उनके जलाशय जल से परिपूर्ण हैं? तथा, क्या हमारे राज्य में कृषि वर्षा पर पूर्ण रूपेण आश्रित तो नहीं है?
जल प्रबंधन में कल्पित जल के सिद्धांत की भूमिका व महत्व
Posted on 15 May, 2012 03:49 PMकल्पित जल (Virtual Water) किसी उत्पाद या विशिष्ट सेवा के लिए आवश्यक जल की मात्रा है। खाद्यान्न, सब्जी, मांस, डेयरी उत्पादों, इस्पात, पैट्रोल, कागज इत्यादि के उत्पादन हेतु जल की आवश्यकता होती है। यह जल कल्पित है, क्योंकि प्रत्यक्षतः यह उत्पादों में विधमान नहीं रहता है। उदाहरणार्थ भारतवर्ष में एक किग्रा गेहूं के उत्पादन के लिए 1654 लीटर एवं एक किग्रा मक्का के उत्पादन हेतु 1937 लीटर जल की आवश्यकता होभारतवर्ष की प्रमुख नदियों के पौराणिक नाम - एक अध्ययन
Posted on 15 May, 2012 12:52 PMजल मानव जीवन के लिए अमूल्य है तथा जल के बिना जीवन की परिकल्पना भी सम्भव नहीं है। जल का प्रमुख स्रोत होने के कारण नदियों के तट पर विभिन्न संस्कृतियां एवं जन-जीवन विकसित हुए हैं। विश्व की अधिकांश नदियों को उनकी स्थिति, व्यवहार, जल के रंग-रुप एवं पौराणिक किवदंतियों के आधार पर अपने मूल नामों के साथ अन्य पौराणिक एवं वैकल्पिक नामों से भी जाना जाता है। प्रस्तुत प्रपत्र में विश्व की प्रमुख नदियों के साथ-सभारतवर्ष में जल क्षेत्र में संवैधानिक प्राविधान तथा अन्तर्राष्ट्रीय एवं अन्तर्राज्यीय जल मतभेद
Posted on 26 Dec, 2011 10:48 AMभारतवर्ष में जल का उपयोग राज्यों के कार्यक्षेत्र के अन्तर्गत आता है। यह सम्भव है, कि किसी राज्य में पूर्णतः प्रवाहित होने वाली नदी के पर्यावरणीय, एवं सामाजिक प्रभाव उदाहरणतः जल संभरण, जल ग्रसनता इत्यादि दूसरे राज्य पर पड़ें। इसके अतिरिक्त किसी राज्य में होने वाली भू-जल निकासी का प्रभाव निकटवर्ती राज्य पर पड़ सकता है। किसी राज्य में प्रवाहित होने वाली नदी पर बनने वाले बाँध के जल प्लावन क्षेत्
ब्रह्मपुत्र महानद का जलविज्ञानीय विश्लेषण (भाग 2) - ब्रह्मपुत्र बेसिन की जलवायु
Posted on 02 Aug, 2024 08:45 PMब्रह्मपुत्र बेसिन की जलवायु
200 किमी से 300 किमी तक की चौड़ाई वाली महान हिमालय पर्वत श्रृंखलाएं, तिब्बती पठार के ठीक दक्षिण में पूर्व-पश्चिम दिशा में स्थित हैं। ये पर्वत श्रृंखलाएं बेसिन को दो अलग-अलग जलवायु क्षेत्रों (अ) पर्वतीय जलवायु एवं (व) उष्णकटिबंधीय मानसून जलवायु में विभाजित करती हैं। उच्च तिब्बती पठार के अंतर्गत बेसिन का उत्तरी भाग, जो शीत और शुष्क है, पर्वतीय जलवायु के रूप म
ब्रह्मपुत्र महानद का जलविज्ञानीय विश्लेषण (भाग 1)
Posted on 31 Jul, 2024 05:31 AMपर्वतराज हिमालय विश्व के तीन प्रमुख नदी तंत्रों सिंधु, गंगा एवं ब्रह्मपुत्र का उद्गम स्थल है। भारतवर्ष का लगभग एक तिहाई भू-भाग गंगा-ब्रह्मपुत्र-बराक बेसिन से आच्छादित है। गंगा एवं ब्रहपुत्र नदियों का संगम बांग्लादेश में होता है जिसके बाद इसे पद्मा नदी के नाम से जाना जाता है। यह नदी अंततः मेघना नदी में मिलने के बाद बंगाल की खाड़ी में समाहित हो जाती है। भारत, नेपाल एवं बांग्लादेश के अंतर्गत गंगा,
बदलते वन परिदृश्य में वनीय-जलविज्ञान के क्षेत्र में शोध आवश्यकताएं
Posted on 09 Jul, 2024 08:50 AMसारांश: वनाच्छादित क्षेत्र अक्सर अनेक वृहत नदियों के शीर्ष जल आवाह क्षेत्र को निर्मित करते हैं। अतः सरिता प्रवाह वनों से होने वाले सर्वाधिक महत्वपूर्ण वहिर्वाह में से एक है। यह एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक सत्य है कि वनों के प्रकार एवं उनकी प्रबन्धन पद्धतियाँ विभिन्न जलविज्ञानीय प्रक्रियाओं उदाहरणतः अवरोधन, वाष्पोत्सर्जन, मृदा अन्तःस्यंदन तथा अपवाह में उपलब्ध पोषकों एवं अवसाद की मात्रा को प्रभावित क
नदियों में पर्यावरणीय प्रवाह प्रबंधन द्वारा नदी जल का इष्टतम उपयोग
Posted on 11 Aug, 2023 04:37 PMस्वच्छ जल हमारी दैनिक मूलभूत आवश्यकता है, जीवन के प्रत्येक क्षेत्र, उदाहरणतः घरेलू उपयोगों, खाद्यान्न उत्पादन, औद्योगिक एवं आर्थिक विकास एवं अन्य सामान्य अनुप्रयोग हेतु जल एक अत्यंत महत्वपूर्ण संसाधन के रूप में दृष्टिगोचर होता है, जिसके बिना मानव जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। भारतवर्ष में उपलब्ध जल हमें मुख्यतः वर्षा एवं हिमपात से वर्षा ऋतु के चार महीनों, जून से सितंबर के मध्य प्राप्त ह