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पारिस्थितिकी और पर्यावरण
प्रकृति तटस्थ होती है
Posted on 27 Apr, 2023 05:01 PMप्रकृति तथ्य होती है- तब "अम्फान" आकर गुजर गया था, अब "निसर्ग " आकर गुजर गया है। राहत की आवाज सुनाई दे रही है कि चलो गुजर गया! हिसाब यह लगाया जा रहा है कि "अम्फान " उड़ीसा से कटकर निकल गया, "निसर्ग" ने मुम्बई के चेहरे पर कोई गहरी खरोंच नहीं डाली तूफान कमजोर पड़ गया ! कैसे इसका हिसाब लगाया आपने कि तूफान कमजोर पड़ गया?
![प्रकृति तटस्थ होती है,PC-Fzilla](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20%E0%A4%A4%E0%A4%A5%E0%A5%8D%E0%A4%AF%20%E0%A4%B9%E0%A5%8B%E0%A4%A4%E0%A5%80.png?itok=bCZyEOkE)
समुद्री शैवाल की खेती और प्रसंस्करण क्षेत्र असंख्य संभावनाएं
Posted on 24 Apr, 2023 11:00 AMसमुद्री शैवाल खारे पानी में पाया जाने वाला एक वृहद शैवाल है विविध वंशावली के अंतर्गत इन्हें मूलतः तीन वर्गों जैसे क्लोरोफाइटा, फियोफाइटा और रोडोफाइटा में विभाजित किया गया है। आगार, कैरेजेनन और एल्गिनेट प्राथमिक हाइड्रोकार्बन हैं जिनकी उत्पत्ति समुद्री शैवाल से ही होती है। इन हाइड्रोकार्बन में उच्च व्यावसायिक क्षमता होती है, जिनका उपयोग दैनिक जरूरतों के उत्पादों में नियमित रूप से किया जाता है।
![समुद्री शैवाल की खेती,Pc-Forbes india](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/seaweeds.jpg?itok=gUS4Ugh9)
एक जिंदगी वृक्षों के नाम प्रकृति सहचरी वंगारी मथाई
Posted on 22 Apr, 2023 11:15 AMनोबल पुरस्कारों के साथ एक विसंगति है। वर्ष 1901 से आरंभ नोबेल पुरस्कार भौतिकी रसायन, कार्यिकी (चिकित्सा) के निमित्त तो हैं लेकिन नोवल प्रतिष्ठान गणित को कोई श्रेय नहीं देता है। यह अपने आप में विस्मयकारी है क्योंकि गणित विद्या तो सारे विज्ञानों की पटरानी है। गणित विद्या न होती तो आज न राकेट होते, न मिसाइलें, न कम्प्यूटर और न ही संचार क्रांति का पदार्पण होता। बहरहाल, नोयन पुरस्कार चयन समिति अर्थ
![एक जिंदगी वृक्षों के नाम प्रकृति सहचरी वंगारी मथाई,Pc-one earth](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/%E0%A4%8F%E0%A4%95%20%E0%A4%9C%E0%A4%BF%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%97%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A5%83%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%95%E0%A5%87%20%E0%A4%A8%E0%A4%BE%E0%A4%AE%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF%20%E0%A4%B8%E0%A4%B9%E0%A4%9A%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%B5%E0%A4%82%E0%A4%97%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%20%E0%A4%AE%E0%A4%A5%E0%A4%BE%E0%A4%88.jpg?itok=ZRtK3sZ8)
शिक्षा, पारंपरिक ज्ञान और हमारा पर्यावरण
Posted on 20 Apr, 2023 04:35 PMआज से करीब 30 वर्ष पहले पहाड़ के दूरदराज के गांवों में, गांव के लोगों के अनुरोध पर हमने स्कूल खोले। उस समय औसतन 7-10 गांवों के बीच एक सरकारी स्कूल हुआ करता था, पहाड़ के गांव छोटे- छोटे और बिखरे हुए होते हैं, एक गांव से दूसरे गांव की दूरी तय करने में घंटों लग सकते हैं, अब तो खैर स्थिति बदल गई है, सड़कें भी बन गई हैं और सरकारी स्कूलों की तादाद भी बढ़ी है।
![शिक्षा, पारंपरिक ज्ञान और हमारा पर्यावरण,Pc- Fii](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/FII.jpg?itok=8k2qIRC_)
तकनीकी पर्यावरण का नया चेहरा
Posted on 20 Apr, 2023 03:37 PMऊपर से देखने पर लग सकता है कि हमारे देश में सूचना क्रांति बदस्तूर जारी है पर वर्तमान त्रासदी ने डिजिटल डिवाइड का एक नया चेहरा सामने ला दिया है। लॉकडाउन का पहला झटका झेलने के बाद अधिकतर शहरी मध्यवर्ग और उच्च वर्ग अपने घरों में बंद हो गया। उससे अपेक्षा भी यह की जा रही थी। उसके पास अन्य लोगों से बेहतर डिजिटल सुविधाएं थी। जिनसे यह वर्क फ्रॉम होम जैसी लग्जरी का लाभ उठा सकता था। उसके पास शायद घर में
![तकनीकी पर्यावरण का नया चेहरा, Pc-stockholm](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/technolgy%3Cparyavarn.png?itok=75oDATFO)
पर्यावरण संरक्षण में विधायिका की भूमिका
Posted on 20 Apr, 2023 12:08 PMपर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों से मिलकर हुआ है। "परि" जो हमारे चारों ओर हैं और "आवरण-जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। दूसरे शब्दों में यदि कहा जाए तो पर्यावरण मनुष्य के आसपास का वह भौतिक परिवेश है जिसका मनुष्य एक भाग है और वह अपने जैविक कार्यकलापों, भरण-पोषण और विकास के लिए उस पर निर्भर है। भौतिक पर्यावरण के अंतर्गत वायु, जल और भूमि जैसे प्राकृतिक संसाधनों से लेकर ऊर्जा वाहक, मृदा और पेड़-प
![पर्यावरण संरक्षण में विधायिका की भूमिका,Pc Shutterstock](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%A3%20%E0%A4%AE%E0%A5%87%E0%A4%82%20%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%95%E0%A5%80%20%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%AE%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A4%BE.png?itok=LlJdCKzu)
इकोलॉजी यानी पारिस्थितिकी अध्ययन की संकल्पना
Posted on 19 Apr, 2023 05:18 PMइकोलॉजी और पर्यावरण आज बहुचर्चित एवं बहु प्रचलित शब्द हैं। पर्यावरण प्रदूषण, जलवायु परिवर्तन और ओजोन क्षरण जैसी समस्याओं ने विश्व भर में गंभीर चिंताओं को जन्म दिया है। असल में, पर्यावरण शब्द ‘परि’ और ‘आवरण’ के मेल से बना है। ‘परि’ का अर्थ होता है चारों ओर तथा ‘आवरण’ का अर्थ होता है ढका हुआ। यानी पर्यावरण वह सब कुछ है जो हमें चारों ओर से ढके हुए है। यही हमारे दिनोंदिन के जीवन को प्रभावित करता
![इकोलॉजी यानी पारिस्थितिकी अध्ययन की संकल्पना,PC-dreamstime](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/%E0%A4%87%E0%A4%95%E0%A5%8B%E0%A4%B2%E0%A5%89%E0%A4%9C%E0%A5%80%20%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A5%E0%A4%BF%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%E0%A5%80.jpg?itok=UOGOo-ZV)
पर्यावरण संरक्षण का उद्देश्य, सरोकार और उम्मीदें
Posted on 18 Apr, 2023 01:13 PMइस समय देश या फिर विश्व स्तर पर पर्यावरणीय विपर्याय की घटनाओं का विश्लेषण आवश्यक है। अभी अरब सागर के किनारे स्थित पश्चिमी घाट में आये ताक्ते (Tauktae) तूफान से उत्पन्न त्रासदी थमी नहीं थी कि पूर्वी घाट में आये 'यास' (YAAS) तूफान से ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं झारखण्ड में भयानक तबाही मची। मार्च 2022 में आए असनी (Asani) चक्रवात ने भी अंडमान-निकोबार म
![पर्यावरण संरक्षण का उद्देश्य, सरोकार और उम्मीदें, pc-indian wire](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-04/%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A3%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B0%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%A3%20%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%89%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6%E0%A5%8D%E0%A4%AF%2C.jpg?itok=LywmNVQT)