गैर अक्षय ऊर्जा

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A transition of all fossil fuel sectors will need to be considered in a phased manner (Image: Ramkumar; Wikimedia Commons)
January 7, 2023 India’s cooling strategy can simultaneously mitigate the heat-related risks on lives and livelihoods, lower carbon emissions, and position India as a global hub for green cooling manufacturing.
Can India meet its growing domestic demand while also position itself as a manufacturing hub for cooling technologies? (Image: Gije Cho, CC)
February 16, 2022 Economic restructuring and development intervention will be essential, shows the latest study by iFOREST
Under the 'current policy scenario,' which aligns with India's netzero target of 2070, all the coal mines in Korba can be closed by 2050 and power plants by 2040 in a phased manner (A view of South Eastern Coalfields Limited in Korba; Image: India Water Portal)
March 17, 2021 Insights from urban slum households across six states
PMUY should expand its reach to urban slum households, given that there are still households without LPG connections. (Image: Adam Cohn, (CC BY-NC-ND 2.0))
परमाणु बिजली पर चार खबरें
Posted on 26 Sep, 2013 04:19 PM

चुटका : एक और छोटी सी जीत

कौन चुकाएगा परमाणु ऊर्जा की कीमत
Posted on 05 Sep, 2013 11:41 AM तमिलनाडु के कुडनकुलम स्थित परमाणु संयंत्र ने 13 जुलाई से काम करना शुरू कर दिया है, लेकिन रेडियोएक्टिव कचरे को निस्तारित करने का कोई उपाय नहीं हुआ है, दूसरी ओर रूस से हुए समझौते और अमेरिका से हुई ‘डील’ की अस्पष्टता भी है।
किस्सा विकिरण के फर्जी आंकड़ों का
Posted on 28 Jun, 2013 01:24 PM राजस्थान में रावतभाटा के परमाणु बिजलीघर के आसपास विकिरण के आंकड़ों में विसंगति थी। जब दो जागरुक वैज्ञानिक उसके पीछे लगे, तो पता चला कि फर्जी तरीके से आंकड़ों को तैयार किया जा रहा है। भारत के परमाणु प्रतिष्ठान की पोल खोलता एक दिलचस्प किस्सा।
Radioactive Pollution
चुटका के बहाने शहरों से एक संवाद
Posted on 11 Jun, 2013 04:01 PM अधिसूचना में जहां बड़े बांधों पर पूरी तरह से रोक की बात है वहीं 25 मेगावाट से छोटे बांधों को पूरी तरह से हरी झंडी देने का प्रयास है। अस्सीगंगा में 4 जविप निर्माणाधीन हैं जो 10 मेगावाट से छोटी हैं। जिनमें एशियाई विकास बैंक द्वारा पोषित निमार्णाधीन कल्दीगाड व नाबार्ड द्वारा पोषित अस्सी गंगा चरण एक व दो जविप भी है। उत्तरकाशी में भागीरथीगंगा को मिलने वाली अस्सीगंगा की घाटी पर्यटन की दृष्टि से ना केवल सुंदर है वरन् घाटी के लोगो को स्थायी रोज़गार दिलाने में भी सक्षम है।मध्य प्रदेश के जबलपुर, भोपाल, इंदौर सहित अन्य शहरों में रहने वाले निवासियों को यह पता भी नहीं होगा कि मंडला के पांच गांवों में 10 अप्रैल से 24 मई 2013 के बीच में क्या-क्या हुआ? मंडला जिले में राज्य सरकार चौदह सौ मेगावाट बिजली पैदा करने के लिए दो परमाणु ऊर्जा संयंत्र लगा रही है। नियम यह कहता है कि इस परियोजना की स्थापना के लिए ऐसा अध्ययन किया जाना चाहिए जिससे इस परियोजना के पर्यावरण यानी हवा, पानी, जमीन, पेड़-पौधों, चिड़िया, गाय, केंचुओं, कीड़े-मकोड़ों आदि पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी मिल सके और सरकार-समाज मिल कर यह तय करें कि हमें यह संयंत्र लगाना चाहिए कि नहीं। चुटका के लोगों और संगठनों ने पूछा कि राजस्थान के रावतभाटा संयंत्र की छह किलोमीटर की परिधि में बसे गांवों में कैंसर और विकलांगता पर सरकार चुप क्यों है? क्या यह सही नहीं कि इन संयंत्रों से निकलने वाले रेडियोधर्मी कचरे का यहीं उपचार भी होगा और वह जमीन में जाकर 2.4 लाख वर्षों तक पर्यावरण को नुकसान पहुंचाता रहेगा?
चुटका परमाणु बिजली-घर के खिलाफ संघर्ष रंग लाया
Posted on 26 May, 2013 10:27 AM

मध्यप्रदेश का चुटकी जैसा दिखने वाला गांव चुटका, अब देश-दुनिया में मिसाल बन गया है। यहां के मामूली से दिखने वाले लोगों ने अपनी ताकत से सरकार को झुका दिया है। भारी जन दबाव को देखते हुए चुटका परमाणु बिजली-घर की पर्यावरण मंजूरी के लिए 24 मई को होने वाली जन सुनवाई को रद्द करना पड़ा। इसके लिए प्रशासन ने भारी खर्च करके सर्वसुविधायुक्त भव्य टेंट लगाया था लेकिन उसे उखाड़कर वापस ले जाना पड़ा।

movement against chutka nuclear power plant
फुकुशिमा से आँख चुराता भारत
Posted on 04 May, 2013 03:35 PM फुकुशिमा की दूसरी बरसी पर दुनियाभर में परमाणु उर्जा के सुरक्षित स्वरूप को लेकर बहस चली। इस बीच संयंत्
परमाणु कचरे को ठिकाने लगाने की चुनौती
Posted on 04 Jan, 2013 11:21 AM अभी दुनिया भर के बहुत से देशों में परमाणु कचरा संयंत्रों के पास ही गहराई में पानी के पूल में जमा किया जाता है। इसके बाद भी कचरे से भरे कंटेनर्स की सुरक्षा बड़ी चुनौती होती है। परमाणु कचरे से उत्पन्न विकिरण हजारों वर्ष तक समाप्त नहीं होता। विकिरण से मनुष्य की सेहत और पर्यावरण पर पड़ने वाले घातक परिणाम भी सामने आ रहे हैं। परमाणु उर्जा का लंबा इतिहास रखने वाले कई विकसित देशों में भी इस कचरे को स्थायी रूप से ठिकाने लगाने की तैयारियाँ चल रही हैं, प्रयोग चल रहे हैं। बीच में एक विचार यह भी आया था कि इस कचरे को अंतरिक्ष में रखा जाए लेकिन मामला बेहद ख़र्चीला व जोखिम भरा होने के कारण वह विचार त्याग दिया गया।। परमाणु ऊर्जा के पक्ष-विपक्ष में तमाम तरह की चर्चाओं के बीच ब्रिटेन से खबर आई है जो भारतीय संदर्भ में निश्चय ही अत्यंत प्रासंगिक है। खबर के मुताबिक ब्रिटेन में परमाणु कचरे को साफ करने में 100 बिलियन, पौंड जैसी भारी-भरकम राशि खर्च होगी। इससे भी बड़ी बात यह कि इस काम को अंजाम तक पहुंचाने में 120 साल लगेंगे। वहां के विशेषज्ञों ने परमाणु कचरे को ठिकाने लगाने और इसकी सुरक्षा को लेकर भी चिंता व्यक्त की है।

ब्रिटेन में वर्ष 2005 में जब नेशनल डिकमिशनिंग अथॉरिटी (एनडीए) ने परमाणु कचरे के निस्तारण के तौर-तरीकों पर काम करना शुरू किया था तब अनुमान लगाया जा रहा था कि इस काम पर 56 बिलियन पौंड का ख़र्चा आएगा
सन्नाटा है, इन सवालों पर
Posted on 07 Aug, 2012 12:59 PM

भारत भी पहले से चल रहे कलपक्कम ऊर्जा केंद्र से लेकर बंगाल के हरिपुर, आंध्र के कोवाडा, गुजरात के मीठीविडी और महार

वैकल्पिक ऊर्जा से ही संकट दूर होगा
Posted on 11 May, 2012 05:43 PM 1954 में परमाणु ऊर्जा विकास के लिए तीन चरणों के एक विशाल कार्यक्रम की घोषणा की गई थी। उस समय 1980 तक 8000 मेगावाट परमाणु बिजली उत्पादन का दावा किया गया। समय बीतता गया तथा परमाणु ऊर्जा समर्थकों के दावे, वादे तथा अनुमान भी बढ़ते गए। 2003 तक मात्र 2,720 मेगावाट क्षमता का ही निर्माण हो पाया। विकास के अंधी दौड़ में वैकल्पिक ऊर्जा को छोड़ते जा रहे हैं। इसी एटमी ऊर्जा के बारे व्याख्या करते रमेश कुमार
परमाणु ऊर्जा और भारत
Posted on 20 Mar, 2012 02:30 PM

असल में ऊर्जा-सुरक्षा का सवाल सिर्फ परमाणु और कोयले की बिजली या नवीकरणीय ऊर्जा-स्रोतों के बीच चुनाव का सवाल नहीं

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