परमाणु बिजली पर चार खबरें

चुटका : एक और छोटी सी जीत


31 जुलाई 2013 को मध्य प्रदेश के मंडला जिले में प्रस्तावित चुटका परमाणु बिजली कारखाने की जन सुनवाई थी। व्यापक जन विरोध को देखते हुए प्रशासन को इसे स्थगित करने का फैसला करना पड़ा। जन सुनवाई की पूरी तैयारी हो गई थी। एक विशाल शमियाना भी लगाया जा चुका था, जिसमें करीब 16 ख रुपया खर्च हुआ होगा। लेकिन जन सुनवाई के दो दिन पहले प्रशासन ने इसे एकाएक रद्द करने का निर्णय लिया।

ग़ौरतलब है कि दो महीने पहले भी 24 मई को जन सुनवाई आयोजित की गई थी जिसे जन विरोध की आशंका के चलते प्रशासन ने स्थगित कर दिया था। इस बार प्रशासन ने ज्यादा तैयारी की थी। जन सुनवाई का स्थान चुटका से बदलकर 15 कि.मी. दूर मानेगांव में रखा गया था। प्रचार, प्रलोभन आदि का भी खूब प्रयोग किया गया। कारखाने के विरोध में प्रचार कर रहे कार्यकर्ताओं को पुलिस ने धमकाने-डराने की भी कोशिश की।

यह भी उल्लेखनीय है कि इस परियोजना से सीधे प्रभावित होने वाले (जिनकी ज़मीन जाएगी) तीनों गांव-चुटका, टाटीघाट और कुंडा-की ग्रामसभाएं सर्वसम्मिति से काफी पहले इस परियोजना के विरोध में प्रस्ताव पास कर चुकी हैं। यह पांचवी अनुसूची के तहत अधिसूचित आदिवासी इलाक़ा है और ‘पैसा कानून’ के तहत किसी भी परियोजना के लिए ग्राम सभा की सहमति अनिवार्य है।

30 जुलाई को परमाणु बिजलीघर के विरोध में मानेगांव में एक सभा रखी गई थी जो विजय-सभा और जुलूस में बदल गई। इसे समाजकर्मी संदीप पांडे, गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष गुलजार सिंह मरकाम, समाजवादी जन परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री सुनील, भाकपा और भाकपा (माले) के पदाधिकारी जयंत वर्मा और परमाणु संघर्ष समिति के पदाधिकारियों आदि ने संबोधित किया। इस मौके पर सजप के अनुराग मोदी, परमाणु निरस्त्रीकरण और शांति समिति (सी एन डी पी) के पी के सुंदरम, महान कोल फील्ड संघर्ष समिति सिंगरौली की प्रिया पिल्लई आदि भी शामिल हुए। इस मौके पर एक नुक्कड़ नाटक भी खेला गया। चित्रों और कार्टूनों के साथ परमाणु बिजली के ख़तरों को समझाती एक चोटी पुस्तिका और ‘जन गण मन’ नामक पत्र का चुटका संघर्ष पर केंद्रित पहला अंक भी इस मौके पर जारी किया गया।

(सुनील)

कुडनकुलम : प्रतिरोध जारी है


जुलाई माह में कुडनकुलम परमाणु बिजली कारखाने में अणु विखंडन की प्रक्रिया शुरु कर परमाणु ऊर्जा निगम ने संयंत्र को बाक़ायदा शुरू करने की घोषणा कर दी। स्थानीय लोग तथा देशभर के जागरुक वैज्ञानिक, बुद्धिजीवी और नागरिक समूह इस कारखाने का विरोध करते रहे हैं। वैसे तो निगम ने कहा कि वह इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार परमाणु बिजली-घर शुरू कर रहा है। लेकिन न्यायालय ने पर्यावरण मंत्रालय, तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा परमाणु ऊर्जा नियमन बोर्ड द्वारा अंतिम मंजूरी दिए जाने और इस पर न्यायालय की अंतिम हरी झंडी मिलने के बाद ही संयंत्र शुरू करने को कहा था। इस आदेश के साथ धूर्तता बरतते हुए परमाणु ऊर्जा निगम ने उसी शुक्रवार की आधी रात में कुडनकुलम संयंत्र शुरू कर दिया जिस दिन नियामक एजेंसियों ने सर्वोच्च न्यायालय को लिफाफे में अपनी रपट सौंपी। न अदालत के अंतिम फैसले का इंतजार किया गया और न ही इस मामले में दूसरे पक्ष को उक्त रपटों को देखकर अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया।

इस तरह धोखाधड़ी से, जनभावनाओं के खिलाफ जाकर और स्वतंत्र विशेषज्ञों की आपत्तियों को अनदेखा करके कुडनकुलम कारखाना चालू हुआ। इसी के पहले कुडनकुलम को महत्वपूर्ण मशीनों-पुरजों की आपूर्ति करने वाली रूसी कंपनी जिओ पोडोल्स्क से जुड़ा एक बड़ा घोटाला रूस में सामने आया था जिसमें कंपनी के एक निदेशक की गिरफ्तारी हुई है। चूंकि यह मामला खराब गुणवत्ता के उपकरणों की आपूर्ति से जुड़ा हुआ है, परमाणु ऊर्जा नियामन बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष डॉ. ए गोपालकृष्णन सहित कई वैज्ञानिकों ने कारखाने पर रोक लगाने और पहले एक विस्तृत समीक्षा करने की मांग उठाई थी। लेकिन इसे अनसुना कर दिया गया।

सर्वोच्च न्यायालय ने उसी फैसले में कुडनकुलम परियोजना का विरोध कर रहे आंदोलनकारियों पर लगे मुकदमे हटाने का आदेश भी दिया था। लेकिन राज्य सरकार इस पर टालमटोल कर रही है। चेन्नई उच्च न्यायालय को दिए एक शपथ-पत्र में राज्य सरकार ने कहा कि संयंत्र शुरू होने के बाद भी आंदोलन चालू है, इसलिए वह ये मुकदमे वापस नहीं लेगी। पूरी तरह शांतिपूर्ण आंदोलन पर लगाए इन मुकदमों में सैकड़ों की तादाद में देशद्रोह के केस बनाए गए हैं।

कुडनकुलम कारखाने से बिजली बनने में अभी छह महीने और लग सकते हैं। तब कर कई और अनियमितताएँ तथा जोखिम सामने आएंगे। जाहिर है कि लोगों ने हार नहीं मानी है और लड़ाई जारी है।

कुमार सुंदरम 09810556134

फुकुशिमा : जहरीला पानी समंदर में


जापान में फुकुशिमा के परमाणु बिजली कारख़ानों में दुर्घटना ढाई साल पहले हुई थी। लेकिन यह एक ऐसी दुर्घटना ढाई साल पहले हुई थी। लेकिन यह एक ऐसी दुर्घटना है, जो रुक ही नहीं रही है और लगातार जारी है। यह कहना है परमाणु विशेषज्ञ और ‘कार्बन-मुक्त एवं परमाणु-मुक्त’ किताब के लेखक अर्जुन मखीजानी का।

हाल में पता चला है कि फुकुशिमा में लगातार प्रतिदिन 70 से लेकर 80 हजार गैलन तक जहरीला पानी समंदर में रिस रहा है जिसमें स्ट्रोटियम – 90 जैसे जहरीले तत्व हैं। इस रिसाव को रोकने की सारी कोशिशें असफल हो गई हैं। इस समुद्री शैवाल, मछलियों और अततः भोजन श्रृंखला में यह जहर शामिल हो जाएगा। मानव शरीर में यह हड्डियों में जाकर जमा होता है, क्योंकि यह कैल्शियम जैसा है।

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चीन, ताईवान, आस्ट्रिया : लगता ब्रेक


जब भारत में कुडनकुलम परमाणु बिजली कारखाने में अणु विखंडन की प्रक्रिया शुरू की जा रही थी, उसी हफ्ते में चीन में परमाणु ईंधन प्रसंस्करण के लिए प्रस्तावित संयंत्र को रद्द करने का फैसला लिया जा रहा था। चीन के गुआनदोंड प्रांत में प्रस्तावित 600 करोड़ डालर के इस संयंत्र के अध्ययन की रपट 4 जुलाई को प्रकाशित हुई और उसी दिन हजारों ने विरोध में जुलूस निकाला। हेशान शहर के महापौर व युशियोंग ने कहा कि वे लोगों की भावनाओं के खिलाफ जाकर इस संयंत्र को मंजूरी नहीं दे सकते।

चीन के बगल में ताईवान में भी लाखों लोगों ने परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन करके सरकार को बाध्य किया है कि वह जल्दी ही इस मुद्दे पर जनमत संग्रह कराए। राजधारी ताइपेइ के पास बनकर लगभग तैयार देश के चौथे संयंत्र के बारे में संसद में काफी विवाद हुआ। इस साल फुकुशिमा की बरसी पर दो लाख से ज्यादा लोगों ने विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया।

यूरोप में आस्ट्रिया की राजधानी वियना में अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी का मुख्यालय है। लेकिन इस देश ने परमाणु बिजली कार्यक्रम को पूरी तरह बंद करने और देश को 100 फीसदी अक्षय ऊर्जा पर आधारित करने का फैसला लिया है। 4 जुलाई को इस बारे में एक कानून बना है। इसमें इस बात का ध्यान रखने का भी प्रावधान है कि पड़ोसी देशों से आयातित बिजली में भी परमाणु बिजली न हो। वर्तमान में आस्ट्रिया की कुल बिजली का 14 फीसदी परमाणु ऊर्जा से आती है।

कुमार सुंदरम 09810556134

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