पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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धुर अषाढ़ की अष्टमी
Posted on 20 Mar, 2010 10:50 AM
धुर अषाढ़ की अष्टमी, ससि निर्मल जो दीख।
पीव जाइके मालवा, माँगत फिरिहैं भीख।।


भावार्थ- यदि आषाढ़ शुक्ल अष्टमी को आसमान में बादल न हों और चन्द्रमा स्वच्छ दीख रहा हो तो निश्चय ही अकाल पड़ेगा और हे प्रियतम! लोग मालवा जाकर भीख मांगेंगे।

दिन सात जो चले बाँड़ा
Posted on 20 Mar, 2010 10:43 AM
दिन सात जो चले बाँड़ा।
सुखे जल सातो खाँड़ा।


शब्दार्थ- बांड़ा – दक्षिण-पश्चिम हवा।

भावार्थ- यदि दक्षिणी पश्चिमी हवा निरन्तर सात दिनों तक चले तो पृथ्वी के सातों खंडों का पानी सूख जायेगा अर्थात् वर्षा नहीं होगी।

दिन को बादर रात को तारे
Posted on 20 Mar, 2010 10:35 AM
दिन को बादर रात को तारे।
चलो कंत जहाँ जीवें बारे।।


शब्दार्थ- बारे-बच्चे।

भावार्थ- यदि दिन में बादल हों और रात में तारे तो समझ लेना चाहिए कि अकाल पड़ने वाला है। किसान कि पत्नी कहती है कि हे स्वामी! यहाँ से कहीं और चलो जहाँ बच्चे जी सकें।

ढेकी बोले जाय अकास
Posted on 20 Mar, 2010 10:29 AM
ढेकी बोले जाय अकास।
अब नाहीं बरखा के आस।।


शब्दार्थ- ढेकी-वनमुर्गी।

भावार्थ- वनमुर्गी पक्षी यदि आकाश में (जमीन से थोड़ा ऊपर) उड़-उड़कर बोले तो वर्षा नहीं होगी अर्थात् सूखा पड़ने वाला है, वर्षा की कोई उम्मीद नहीं है।

जेठ उज्यारी तीज दिन
Posted on 20 Mar, 2010 10:20 AM
जेठ उज्यारी तीज दिन, आद्रा रिख बरसंत।
जोसी भाखै भड्डरी दुर्भिछ अवसि करंत।।


भावार्थ- यदि ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष तीज के दिन आर्द्रा नक्षत्र बरस जाय तो भड्डरी ज्योतिषी कहते हैं कि अकाल अवश्य पड़ेगा।

जै दिन जेठ बहे पुरवाई
Posted on 20 Mar, 2010 09:45 AM
जै दिन जेठ बहे पुरवाई
तै दिन सावन धूरि उड़ाई।।


भावार्थ- जेठ में जितने दिन पुरवा हवा चलेगी सावन में उतने दिन धूल उड़ेगी यानी पानी नहीं बरसेगा।

चैत मास उजियाले पाख
Posted on 20 Mar, 2010 09:44 AM
चैत मास उजियाले पाख, आठें दिवस बरसत राख।
नव बरसे जित बिजली जोय, ता दिसि काल हलाहल होय।।


भावार्थ- यदि चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी को धूल उड़े और नवमी को पानी बरसे तो जिस दिशा में बिजली चमकी, समझो उस दिशा में अकाल पड़ने वाला है।

चटका मघा पटकिगा ऊसर
Posted on 20 Mar, 2010 09:30 AM
चटका मघा पटकिगा ऊसर।
दूध भात में परिगा मूसर।।


भावार्थ- यदि मघा नक्षत्र सूखा चला जाय तो समझो कि सारी जमीन ऊसर बन जायेगी और किसान को दूध-भात भी नहीं मिलेगा।

चित्रा स्वाति विसाखड़ी
Posted on 20 Mar, 2010 09:23 AM
चित्रा स्वाति विसाखड़ी, जो बरसै आसाढ़।
भागो लोग विदेस को, पड़े अकाल प्रगाढ़।।


भावार्थ- यदि आषाढ़ के महीने के चित्रा, स्वाती और विशाखा नक्षत्रों में वर्षा न हुई तो अकाल पड़ना निश्चित है। ऐसे में लोगों को छोड़ कर विदेश में शरण लेनी पड़ेगी।

कृष्ण अषाढ़ी प्रतिपदा
Posted on 20 Mar, 2010 09:14 AM
कृष्ण अषाढ़ी प्रतिपदा, जो अम्बर गरजन्त।
छत्री छत्री जूझिया, निहचै काल पड़न्त।।


शब्दार्थ- जूझिया-लड़ना।

भावार्थ- आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा को यदि आसमान में बादल गरजें तो क्षत्रिय आपस में लड़ेगे और अकाल पड़ेगा।

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