Posted on 20 Mar, 2010 10:50 AM धुर अषाढ़ की अष्टमी, ससि निर्मल जो दीख। पीव जाइके मालवा, माँगत फिरिहैं भीख।।
भावार्थ- यदि आषाढ़ शुक्ल अष्टमी को आसमान में बादल न हों और चन्द्रमा स्वच्छ दीख रहा हो तो निश्चय ही अकाल पड़ेगा और हे प्रियतम! लोग मालवा जाकर भीख मांगेंगे।
Posted on 20 Mar, 2010 10:35 AM दिन को बादर रात को तारे। चलो कंत जहाँ जीवें बारे।।
शब्दार्थ- बारे-बच्चे।
भावार्थ- यदि दिन में बादल हों और रात में तारे तो समझ लेना चाहिए कि अकाल पड़ने वाला है। किसान कि पत्नी कहती है कि हे स्वामी! यहाँ से कहीं और चलो जहाँ बच्चे जी सकें।
Posted on 20 Mar, 2010 09:23 AM चित्रा स्वाति विसाखड़ी, जो बरसै आसाढ़। भागो लोग विदेस को, पड़े अकाल प्रगाढ़।।
भावार्थ- यदि आषाढ़ के महीने के चित्रा, स्वाती और विशाखा नक्षत्रों में वर्षा न हुई तो अकाल पड़ना निश्चित है। ऐसे में लोगों को छोड़ कर विदेश में शरण लेनी पड़ेगी।