कृष्ण अषाढ़ी प्रतिपदा, जो अम्बर गरजन्त।
छत्री छत्री जूझिया, निहचै काल पड़न्त।।
शब्दार्थ- जूझिया-लड़ना।
भावार्थ- आषाढ़ कृष्ण प्रतिपदा को यदि आसमान में बादल गरजें तो क्षत्रिय आपस में लड़ेगे और अकाल पड़ेगा।
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