धुर अषाढ़ की अष्टमी, ससि निर्मल जो दीख।
पीव जाइके मालवा, माँगत फिरिहैं भीख।।
भावार्थ- यदि आषाढ़ शुक्ल अष्टमी को आसमान में बादल न हों और चन्द्रमा स्वच्छ दीख रहा हो तो निश्चय ही अकाल पड़ेगा और हे प्रियतम! लोग मालवा जाकर भीख मांगेंगे।
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