पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

Term Path Alias

/sub-categories/books-and-book-reviews

सुदी असाढ़ की पंचमी
Posted on 19 Mar, 2010 02:23 PM
सुदी असाढ़ की पंचमी, गरज धमधमो होय।
तो यो जानो भड्डरी, मधुरी मेघा जोय।।


भावार्थ- आषाढ़ शुक्ल पक्ष की पंचमी को यदि आसमान में बादल छाये हों और घोर गर्जना कर रहे हों, तो भड्डरी कहते हैं कि वर्षा अच्छी होने वाली है।

सांझै धनुष बिहानै पानी
Posted on 19 Mar, 2010 01:12 PM
सांझै धनुष बिहानै पानी।
कहै घाघ सुन पण्डित ज्ञानी।।


भावार्थ- घाघ का कहना है कि हे पंडित ज्ञानियों! सुनो, यदि संध्या समय में आकाश में इन्द्रधनुष दिखाई दे तो दूसरे दिन वर्षा अवश्य होगी।

सांझै धनुष बिहानै पानी
Posted on 19 Mar, 2010 01:08 PM
सांझै धनुष बिहानै पानी।
कहै घाघ सुन पण्डित ज्ञानी।।


भावार्थ- घाघ का कहना है कि हे पंडित ज्ञानियों! सुनो,यदि संध्या समय में आकाश में इन्द्रधनुष दिखाई दे तो दूसरे दिन वर्षा अवश्य होगी।

सावन पछुवा भादों भरे
Posted on 19 Mar, 2010 01:03 PM
सावन पछुवा भादों भरे।
भादों पूरबा पत्थर पड़े।।


भावार्थ- यदि सावन माह में पछुवा चले तो भादों में वर्षा खूब होगी लेकिन यदि भादों में पुरवा चले तो पत्थर (ओले) पड़ेंगे।

सावन पछुवाँ दिन दुइ चार
Posted on 19 Mar, 2010 12:55 PM
सावन पछुवाँ दिन दुइ चार।
चुल्ही के पाछा उपजै सार।।


भावार्थ- सावन में दो चार दिन भी पछुवा हवा बहेगी तो समझो पानी अच्छा बरसेगा और चूल्हे के पीछे की धरती भी अन्न उपजायेगी।

सिंह गरजै
Posted on 19 Mar, 2010 12:49 PM
सिंह गरजै, हथिया लरजै।

शब्दार्थ- लरजै-काँपना।

भावार्थ- यदि सिंह राशि के सूर्य में (मघा नक्षत्र में) आकाश में बादल गरजें तो हस्त नक्षत्र में बरसने वाले बादलों को भी कँपकपी आती है, अर्थात् इस नक्षत्र में वर्षा कम होती है।

सब दिन बरसै दखिना बाय
Posted on 19 Mar, 2010 12:41 PM
सब दिन बरसै दखिना बाय।
कभी न बरसै बरखा पाय।


भावार्थ- दक्खिनी हवा चलने पर सदैव पानी बरसता है किन्तु वर्षा के मौसम में दक्षिणी हवा चलने पर कभी भी पानी नहीं बरसेगा।

सावन पहली पंचमी
Posted on 19 Mar, 2010 12:34 PM
सावन पहली पंचमी, गरभे ऊदे भान।
बरखा होगी अति घनी, ऊँचो जानो धान।।


भावार्थ- सावन कृष्ण पंचमी को यदि सूर्य बादलों के बीच से उदित हो तो वर्षा बहुत होगी और धान की फसल भी अच्छी होगी।

सावन केरे प्रथम दिन
Posted on 19 Mar, 2010 11:32 AM
सावन केरे प्रथम दिन, उवत न दीखै भान।
चार महीना बरसै पानी, याको है परमान।।


भावार्थ- यदि सावन के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा को आसमान में बादल छाये रहें और प्रातःकाल सूर्य के दर्शन न हों तो निश्चय ही चार महीने तक जोरदार वर्षा होगी।

वायु चलेगी दखिना
Posted on 19 Mar, 2010 11:28 AM
वायु चलेगी दखिना।
माँड़ कहाँ से चखिना।


भावार्थ- जब दक्खिनी हवा चलेगी तो मांड़ चखने को नहीं मिलेगा अर्थात् धान की फसल अच्छी नहीं होगी।

×