Posted on 20 Mar, 2010 04:08 PM आधा खेत बटैया देके, ऊँची दीह किआरी। जो तोर लइका भूखे मरिहें, घघवे दीह गारी।।
भावार्थ- घाघ कहते हैं कि यदि किसान के पास खेत अधिक है तो आधा बटाई पर दे देना चाहिए और आधे खेत में ऊँचे मेंढ़ बाँधकर खेती करनी चाहिए। यदि इतना करने पर भी पैदावार अच्छी न हो तो मुझे गाली देना।
Posted on 20 Mar, 2010 04:02 PM आकर कोदो, नीम जवा। गाडर गेहूँ, बैर चना।।
शब्दार्थ- आकर-मदार। गाडर- एक घास जिसकी जड़ ‘खस’ कहलाती है।
भावार्थ- जिस वर्ष मदार खूब फूलें औऱ फलें तो समझो उस वर्ष कोदों की पैदावार अच्छी होगी। जब गाडर घास की अधिकता हो तो गेहूँ की फसल अच्छी होती है। जब बेर की फसल अच्छी हो तो चना की पैदावार अच्छी होती है।
Posted on 20 Mar, 2010 03:27 PM सावन कृष्ण एकादसी, गर्जि मेघ घहरात। तुम जाओ प्रिय मालवै, हम जाबै गुजरात।।
भावार्थ- यदि सावन के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मेघ गरज कर घहरायें (गंभीर ध्वनि करें) तो निश्चय ही अकाल पड़ने वाला है। अतः हे प्रिय! तुम, मालवा जाओ और मैं गुजरात जाऊँगी।