पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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सावन मास बहै पुरवाई
Posted on 20 Mar, 2010 02:58 PM
सावन मास बहै पुरवाई।
बरधा बेंचि बेसाहो गाई।।


भावार्थ- जब श्रावण मास में पुरवाई चले तो कृषक को चाहिए कि वह अपने बैलों को बेचकर गाय खरीद ले क्योंकि सूखा पड़ने के आसार हैं जिसमें खेती नहीं हो सकेगी।

सुदि असाढ़ में बुध को
Posted on 20 Mar, 2010 02:56 PM
सुदि असाढ़ में बुध को, उदै भयो जो देख।
सुक्र अस्त सावन लखो, महाकाल अवरेख।।


भावार्थ- यदि आसाढ़ शुक्ल में बुध उदय हो और श्रावण मास में शुक्र अस्त हो तो निश्चय ही भीषण अकाल पड़ेगा।

सावन कृष्ण पक्ष में देखौ
Posted on 20 Mar, 2010 02:50 PM
सावन कृष्ण पक्ष में देखौ। तुल को मंगल होय बिसेखौ।।
कर्क रासि पर गुरु जो आवै। सिंह रासि में सुक्र सुहावै।।
ताल सो सोखै बरसै धूर। कहूँ न उपजै सातो तूर।।

सावन पहली पंचमी
Posted on 20 Mar, 2010 02:42 PM
सावन पहली पंचमी, जोर की चलै बयार।
तुम जाना प्रिय मालवा, हम जावैं पितुसार।।


भावार्थ- यदि श्रावण कृष्ण पंचमी को हवा तेज चले, तो हे प्रिय! तुम मालवा जाना और मैं अपने पिता के घर चली जाऊँगी क्योंकि अकाल पड़ना तय है।

सावन सुक्ला सत्तमी
Posted on 20 Mar, 2010 02:40 PM
सावन सुक्ला सत्तमी, जो गरजे अधिरात।
तू पिय जाओ मालवा, हम जायें गुजरात।।


भावार्थ- यदि श्रावण शुक्ल सप्तमी को अर्धरात्रि में बादल गरजें, तो हे प्रिय तुम मालवा चले जाना और मैं गुजरात चली जाऊँगी अर्थात् अकाल पड़ने वाला है।

सावन सुक्ला सत्तमी
Posted on 20 Mar, 2010 02:37 PM
सावन सुक्ला सत्तमी, उभरे निकले भान।
हम जायें पिय माइके, तुम कर लो गुजरान।।


भावार्थ- यदि श्रावण शुक्ल सप्तमी को सूर्य के उदय होने के समय आसमान स्वच्छ हो तो हे प्रियतम! मैं मायके जा रही हूँ और तुम किसी प्रकार अपना गुजारा कर लेना क्योंकि भीषण अकाल पड़ने वाला है।

सावन सुक्ला सत्तमी
Posted on 20 Mar, 2010 01:40 PM
सावन सुक्ला सत्तमी, उवत जो दीखै भान।
या जल मिलि है कूप में, या गंगा असनान।।


भावार्थ- यदि श्रावण शुक्ल सप्तमी को स्वच्छ आकाश में सूर्य उदय होता हुआ दिखाई पड़े तो वर्षा नहीं होगी, निश्चय ही सूखा पड़ेगा। ऐसी स्थिति आ जायेगी कि पानी या कुएँ में दिखेगा या गंगास्नान करने में गंगा में मिलेगा।

सावन सुक्ला सत्तमी
Posted on 20 Mar, 2010 01:32 PM
सावन सुक्ला सत्तमी, चन्दा छिटिक करै।
की जल देखौ कूप में, की कामिनी सीस धरै।।


शब्दार्थ- कूप-कुआँ। कामिनी-स्त्री।

भावार्थ- यदि सावन शुक्ल सप्तमी को चाँदनी फैली हो तो वर्षा नहीं होगी, सूखा पड़ेगा। ऐसे में पानी या तो कुँए मे दिखेगा या फिर स्त्रियों के सिर पर रखे घड़े में।

सावन पुरवाई चलै
Posted on 20 Mar, 2010 01:27 PM
सावन पुरवाई चलै, भादों में पछियाँव।
कन्त डँगरवा बेचि के, लरिका जाइ जियाव।।


शब्दार्थ- कन्त स्वामी। डँगरवा-पशु। लरिका-बच्चा।

भावार्थ- यदि सावन महीने में पुरवा हवा बहे और भाद्र में पछुवा, तो हे स्वामी! पशुओं को बेच दो और बच्चों को पालने की चिन्ता करो क्योंकि वर्षा नहीं होगी और अकाल पड़ेगा।

रात निर्मली दिन को छाँहीं
Posted on 20 Mar, 2010 01:22 PM
रात निर्मली दिन को छाँहीं।
कहैं भड्डरी पानी नाहीं।।


भावार्थ- यदि रात्रि में आसमान स्वच्छ हो और दिन में बादल छाये रहें तो वर्षा नहीं होगी अर्थात् सूखा पड़ने वाला है।

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