पुस्तकें और पुस्तक समीक्षा

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लाल पियर जब होय अकास
Posted on 19 Mar, 2010 11:19 AM
लाल पियर जब होय अकास।
तौ नाहीं बरखा कै आस।।


भावार्थ- यदि आकाश लाल-पीला होने लगे तो वर्षा की आशा छोड़ देनी चाहिए।

रोहिनि बरसे मृग तपे
Posted on 19 Mar, 2010 11:13 AM
रोहिनि बरसे मृग तपे, कुछ दिन आद्रा जाय।
कहे घाघ सुनु घाघिनी, स्वान भात नहिं खाय।।


भावार्थ- घाघ कहते हैं कि हे घाघिन! यदि रोहिणी नक्षत्र में पानी बरसे और मृगशिरा तपे और आर्द्रा के भी कुछ दिन बीत जाने पर वर्षा हो तो पैदावार इतनी अच्छी होगी कि कुत्ते भी भात खाते-खाते ऊब जाएँगे और भात नहीं खाएंगे।

रात निबद्दर दिन को घटा
Posted on 19 Mar, 2010 11:08 AM
रात निबद्दर दिन को घटा,
घाघ कहैं ये बरखा हटा।


भावार्थ- यदि रात में आकाश स्वच्छ हो और दिन में बादल छाये हों तो घाघ का कहना है कि वर्षा नहीं होगी।

रोहिनि जो बरसै नहीं
Posted on 19 Mar, 2010 11:00 AM
रोहिनि जो बरसै नहीं, बरसै जेठ नित मूर।
एक बूँद स्वाती पड़ै, लागै तीनों तूर।।


शब्दार्थ- तूर-अन्न। जेठ-ज्येष्ठा। मूर-मूल।

भावार्थ- यदि रोहिणी नक्षत्र में वर्षा न हो, पर ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र में पानी बरस जाय तथा यदि स्वाति नक्षत्र में एक बूँद भी पानी पड़ जाये तो तीनों फसलें अच्छी हो जाती हैं।

रात दिना घमछाहीं
Posted on 19 Mar, 2010 10:46 AM
रात दिना घमछाहीं।
घाघ कहैं बरखा अब नाहीं।।


भावार्थ- यदि रात में आकाश साफ रहे और दिन में धूप छाँह होती रहे तो घाघ का कहना है कि अब वर्षा नहीं होगी।

मग्घा लगावे घग्घा
Posted on 19 Mar, 2010 10:41 AM
मग्घा लगावे घग्घा, सिवाती लावसु टाटी।
कहत बाड़ी हाथी रानी, हमहूँ आवत बाटी।।


भावार्थ- यदि मघा नक्षत्र में मेघ घहरे और स्वाती में बरसे, तो समझ लेना चाहिए कि वर्षा हस्त नक्षत्र में भी अच्छी होगी।

माघ सुदी आठैं दिवस
Posted on 19 Mar, 2010 10:33 AM
माघ सुदी आठैं दिवस, जो कृतिका रिस होय।
की फागुन पाथर पड़ै, की सावन महँगो होय।


शब्दार्थ- रिस –नक्षत्र।

भावार्थ- यदि माघ शुक्ल अष्टमी को कृतिका नक्षत्र पड़े तो या तो फागुन में ओले पड़ेंगे अथवा सावन में अनाज महँगा होगा।

माघ जो सातैं कज्जली
Posted on 19 Mar, 2010 10:27 AM
माघ जो सातैं कज्जली, आठैं बादर होय।
तो असाढ़ में पूरवा, बरसे जोसी जोइ।


शब्दार्थ- कज्जली-कृष्ण पक्ष।

भावार्थ- यदि माघ कृष्ण सप्तमी एवं अष्टमी को बादल हों तो आषाढ़ में वर्षा अवश्य होगी, ऐसा ज्योतिषी कहते हैं।

माघ सुदी जो सत्तमी
Posted on 19 Mar, 2010 10:19 AM
माघ सुदी जो सत्तमी, बिज्जु मेह हिम होय।
चार महीना बरसती, सोक करौ मति कोय।।


शब्दार्थ – हिम – जाड़ा।

भावार्थ – यदि माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी को बिजली चमके और वर्षा हो तथा सर्दी भी लगे तो समझ लेना चाहिए कि इस बार चौमासे (वर्षा के चार महीने) में पानी खूब बरसेगा और चिन्ता की कोई बात नहीं है, फसल भी अच्छी होगी।

माघ सत्तमी ऊजली
Posted on 19 Mar, 2010 10:13 AM
माघ सत्तमी ऊजली, बादर मेघ करंत।
तो असाढ़ में भड्डरी, घनो मेघ बरसंत।।


भावार्थ- यदि माघ शुक्ल सप्तमी को बादल हों तो आषाढ़ में घनघोर वर्षा होगी, ऐसा भड्डरी का मानना है।

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